नहीं निकल पाया अखिलेश-मुलायम की बातचीत का कोई सार्थक नतीजा
https://khabarrn1.blogspot.com/2017/01/cannot-found-out-a-meaningful-outcome-from-negotiations-of-Mulayam-and-Akhilesh-yadav.html
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाली विधानसभा चुनावों को लेकर भले ही अभी रातनीतिक उठापटक का दौर शुरू नहीं हुआ हो, लेकिन यूपी में चुनावों से भी ज्यादा सियासी पारा पिता—पुत्र के बीच 'साइकिल' को लेकर चल रही सियासी खींचतान से गरमाया हुआ है। सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के बीच सुलह के लिए आज हुई बाचतचीत फेल हो गई है, जिससे इस मिटिंग का कोई सार्थक नतीजा नहीं निकल पाया है।
जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को दोनों के बीच चली करीब तीन घंटे से भी ज्यादा की बातचीत के बाद भी दोनों गुटों में सुलह की कोशिश नाकाम हो गई है। इस दौरान दोनों अपनी—अपनी शर्तों पर अड़े रहे, जिसके चलते बातचीत का कोई सार्थक नतीजा नहीं निकल पाया। बातचीत में जहां अखिलेश राज्य में टिकट बंटवारे में अपना एकाधिकार, अमर सिंह को पार्टी से निकालने और शिवपाल सिंह यादव को यूपी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर से हटाने की बात पर अड़े रहे, वहीं मुलायम इन शर्तों पर राजी नहीं हुए।
वहीं दूसरी ओर, अखिलेश गुट के रामगोपाल सिंह यादव ने पार्टी में किसी तरह की सुलह की खबरों को सिरे से खारिज कर दिया है। रामगोपाल ने कहा कि समाजवादी पार्टी में अब कोई समझौता नहीं होने वाला है। उन्होंने कहा कि हम अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में ही राज्य में चुनाव लड़ेंगे। रही बात चुनाव चिन्ह की तो इसका फैसला चुनाव आयोग को करना है।
सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश ने मुलायम से कहा है कि शिवपाल यादव को प्रदेश की राजनीति से दूर रखा जाए, वहीं इसके लिए उन्हें केंद्र की राजनीति में भेजने का सुझाव दिया। अखिलेश ने अमर सिंह को पार्टी से बाहर निकालने की मांग भी दोहराई है। मुलायम की नाराजगी का शिकार हुए रामगोपाल यादव को भी लेकर अखिलेश ने शर्त रखी है। अखिलेश ने मुलायम से मांग की है कि रामगोपाल को फिर से पार्टी में जगह और अधिकार दिए जाएं।
गौरतलब है कि इससे पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के अखिलेश गुट ने चुनाव आयोग से मिलकर पार्टी के चुनाव चिन्ह 'साइकिल' पर दावा पेश करते हुए कहा कि वही असली पार्टी है। अखिलेश गुट के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव, नरेश अग्रवाल और पार्टी उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने चुनाव आयोग के साथ लगभग 20 मिनट की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि सपा के तमाम कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में आस्था व्यक्त की है और उन्हें सर्वसम्मति से पार्टी का नया अध्यक्ष चुना गया है। इसके आधार पर ही पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर अखिलेश गुट ने अपना दावा किया है।
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने 30 दिसंबर को बड़ी कार्रवाई करते हुए अपने पुत्र एवं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव को पार्टी से छह-छह साल के लिये पार्टी से निष्कासित कर दिया था। सपा प्रमुख ने मुख्यमंत्री अखिलेश और महासचिव रामगोपाल को कारण बताओ नोटिस जारी करने के महज पौन घंटे के अंदर संवाददाता सम्मेलन करके दोनों को पार्टी से निकालने का फरमान सुना दिया था।
वहीं रामगोपाल यादव द्वारा आगामी एक जनवरी को पार्टी के राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाये जाने को अवैध करार देते हुए मुलायम ने कहा था कि इसका अधिकार केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष को ही है। रामगोपाल के कदम से पार्टी को नुकसान हुआ है और चूंकि रामगोपाल के कृत्य में अखिलेश का भी समर्थन है, इसलिये उन्हें भी पार्टी से छह साल के लिये निकाल दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को दोनों के बीच चली करीब तीन घंटे से भी ज्यादा की बातचीत के बाद भी दोनों गुटों में सुलह की कोशिश नाकाम हो गई है। इस दौरान दोनों अपनी—अपनी शर्तों पर अड़े रहे, जिसके चलते बातचीत का कोई सार्थक नतीजा नहीं निकल पाया। बातचीत में जहां अखिलेश राज्य में टिकट बंटवारे में अपना एकाधिकार, अमर सिंह को पार्टी से निकालने और शिवपाल सिंह यादव को यूपी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर से हटाने की बात पर अड़े रहे, वहीं मुलायम इन शर्तों पर राजी नहीं हुए।
वहीं दूसरी ओर, अखिलेश गुट के रामगोपाल सिंह यादव ने पार्टी में किसी तरह की सुलह की खबरों को सिरे से खारिज कर दिया है। रामगोपाल ने कहा कि समाजवादी पार्टी में अब कोई समझौता नहीं होने वाला है। उन्होंने कहा कि हम अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में ही राज्य में चुनाव लड़ेंगे। रही बात चुनाव चिन्ह की तो इसका फैसला चुनाव आयोग को करना है।
सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश ने मुलायम से कहा है कि शिवपाल यादव को प्रदेश की राजनीति से दूर रखा जाए, वहीं इसके लिए उन्हें केंद्र की राजनीति में भेजने का सुझाव दिया। अखिलेश ने अमर सिंह को पार्टी से बाहर निकालने की मांग भी दोहराई है। मुलायम की नाराजगी का शिकार हुए रामगोपाल यादव को भी लेकर अखिलेश ने शर्त रखी है। अखिलेश ने मुलायम से मांग की है कि रामगोपाल को फिर से पार्टी में जगह और अधिकार दिए जाएं।
गौरतलब है कि इससे पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के अखिलेश गुट ने चुनाव आयोग से मिलकर पार्टी के चुनाव चिन्ह 'साइकिल' पर दावा पेश करते हुए कहा कि वही असली पार्टी है। अखिलेश गुट के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव, नरेश अग्रवाल और पार्टी उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने चुनाव आयोग के साथ लगभग 20 मिनट की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि सपा के तमाम कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में आस्था व्यक्त की है और उन्हें सर्वसम्मति से पार्टी का नया अध्यक्ष चुना गया है। इसके आधार पर ही पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर अखिलेश गुट ने अपना दावा किया है।
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने 30 दिसंबर को बड़ी कार्रवाई करते हुए अपने पुत्र एवं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव को पार्टी से छह-छह साल के लिये पार्टी से निष्कासित कर दिया था। सपा प्रमुख ने मुख्यमंत्री अखिलेश और महासचिव रामगोपाल को कारण बताओ नोटिस जारी करने के महज पौन घंटे के अंदर संवाददाता सम्मेलन करके दोनों को पार्टी से निकालने का फरमान सुना दिया था।
वहीं रामगोपाल यादव द्वारा आगामी एक जनवरी को पार्टी के राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाये जाने को अवैध करार देते हुए मुलायम ने कहा था कि इसका अधिकार केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष को ही है। रामगोपाल के कदम से पार्टी को नुकसान हुआ है और चूंकि रामगोपाल के कृत्य में अखिलेश का भी समर्थन है, इसलिये उन्हें भी पार्टी से छह साल के लिये निकाल दिया गया है।