बजरी संकट से राज्य के दो लाख लोग बेरोजगारी के कगार पर
जयपुर। सुप्रीम कोर्ट ने बजरी खनन से भले ही रोक हटा दी है लेकिन इसका स्टॉक बाजारों में नहीं पहुंच पाने के कारण बजरी संकट के कारण राज्य के...
राजस्थान बजरी ट्रक आॅपरेटर्स वैलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष नवीन शर्मा ने यूनियन की समस्याओं के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद भी राज्य खनन विभाग के आला अधिकरियों द्वारा अभी तक राज्य में बजरी खनन कार्य चालू नहीं करवाया गया है, जिससे राज्य में बजरी ट्रक आॅपरेटर्स मजदूर, ग्रीट सियोर, बिल्डर्स व्यवसाय से जुड़े मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है, जिन्हें अपने परिवार का पेट पालने के लिए मजबूरन कोई दूसरा कार्य करना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि इस बारे में राज्य के मुख्य सचिव को भी दो बार ज्ञापन देकर बवगत कराया गया है, लेकिन अभी तक किसी तरह की कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में अब यूनियन ने भावी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से अपील की है कि उनकी इस समस्या की ओर ध्यान दिया जाए और राज्य में बजरी खनन कार्य को जल्द चालू करवाया जाए, अन्यथा बेरोजगारी की कगार पर खड़े इन मजदूरों को अपनी रोजी-रोटी पाने के लिए मजबूरन सड़कों पर उतरना पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि बजरी खनन पर रोक लगने के कारण कई विकास योजनाओं का काम ठप्प पड़ जाने के चलते 26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बजरी खनन पर रोक हटा दी गई, लेकिन खनन का अधिकार 82 लीजधारकों के पास होने से इस कारोबार पर सिर्फ इनका ही एकाधिकार हो गया। इस एकाधिकार से बजरी महंगी होने की भी आशंका पैदा हो गई है।
बजरी संकट के चलते अभी भी बजरी के दाम उतरे नहीं है। हाइकोर्ट की रोक से पहले महज 16-18 रुपए फीट तक मिलने वाली बजरी अभी भी 30 से 40 रुपए तक बिक रही है। वहीं बजरी की कमी के कारण कई विकास योजनाओं सहित अन्य प्रोजेक्ट अटक पड़े हैं।