सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय सिर्के पद से हटाया
https://khabarrn1.blogspot.com/2017/01/supreme-court-removed-BCCI-president-Anurag-Thakur-and-secretary-Ajay-Sirke.html
नई दिल्ली। पिछले करीब सालभर से भी ज्यादा समय से चल रहे लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने के मामले में आज देश की शीर्ष अदालत ने अहम फैसला सुनाते हुए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय सिर्के को पद से हटा दिया। इससे पहली सुनवाई में ही सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के उच्च अधिकारियों के खिलाफ कडा रूख अख्तियार कर लिया था। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय सिर्के को तुरंत प्रभाव से बोर्ड का कामकाज करना बंद कर देना चाहिए। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही ठाकुर के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का भी फैसला किया। उनसे जवाब मांगा गया कि बीसीसीआई में सुधार लागू करने के अदालत के निर्देशों के क्रियान्वयन में बाधा पहुंचाने के लिये आखिर क्यों न उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि बीसीसीआई के कामकाज को प्रशासकों की एक समिति देखेगी और उसने वरिष्ठ अधिवक्ता फाली एस नरिमन और इस मामले में न्यायमित्र के रूप में सहायता कर रहे गोपाल सुब्रहमण्यम से प्रशासकों की समिति में ईमानदार व्यक्तियों को सदस्यों के रूप में नामित करने में अदालत की मदद करने का आग्रह किया।
कोर्ट ने ऐडमिस्ट्रेटर्स के नाम सुझाने के लिए वरिष्ठ वकील फली नरीमन और गोपाल सुब्रह्मणयम की दो सदस्यीय समिति का भी गठन किया है। कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 19 जनवरी को करेगा। ठाकुर पर आरोप था कि उन्होंने आईसीसी कहा था कि वह (आईसीसी) ऐसा पत्र जारी करे जिसमें यह लिखा हो कि अगर लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को लागू किया जाता है तो इससे बोर्ड के काम में सरकारी दखलअंदाजी बढ़ जाएगी। हालांकि ठाकुर ने इस आरोप से इनकार किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय सिर्के को तुरंत प्रभाव से बोर्ड का कामकाज करना बंद कर देना चाहिए। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही ठाकुर के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का भी फैसला किया। उनसे जवाब मांगा गया कि बीसीसीआई में सुधार लागू करने के अदालत के निर्देशों के क्रियान्वयन में बाधा पहुंचाने के लिये आखिर क्यों न उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि बीसीसीआई के कामकाज को प्रशासकों की एक समिति देखेगी और उसने वरिष्ठ अधिवक्ता फाली एस नरिमन और इस मामले में न्यायमित्र के रूप में सहायता कर रहे गोपाल सुब्रहमण्यम से प्रशासकों की समिति में ईमानदार व्यक्तियों को सदस्यों के रूप में नामित करने में अदालत की मदद करने का आग्रह किया।
कोर्ट ने ऐडमिस्ट्रेटर्स के नाम सुझाने के लिए वरिष्ठ वकील फली नरीमन और गोपाल सुब्रह्मणयम की दो सदस्यीय समिति का भी गठन किया है। कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 19 जनवरी को करेगा। ठाकुर पर आरोप था कि उन्होंने आईसीसी कहा था कि वह (आईसीसी) ऐसा पत्र जारी करे जिसमें यह लिखा हो कि अगर लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को लागू किया जाता है तो इससे बोर्ड के काम में सरकारी दखलअंदाजी बढ़ जाएगी। हालांकि ठाकुर ने इस आरोप से इनकार किया था।