भावुकता के साथ गहराई समझाने में मददगार है 'नीरजा'
नीरजा भानोत के जीवन पर आधारित बॉलीवुड फैशनिस्टा और 'खूबसूरत' अभिनेत्री सोनम कपूर अभिनीत फिल्म 'नीरजा' को करने से पहले शायद सोनम कपूर ने भी नीरजा का नाम नहीं सुना होगा। ये बेशक हैरानी की बात नहीं है। हाल ही में उन्होंने इंटरनेट पर वायरल हुए एक वीडियो में सियाचिन के सैनिक लांस नायक हनुमंथप्पा को 'लांस' नाम से बुलाया, ये समझते हुए कि 'लांस' उनका नाम है।
इस फ़िल्म में एक क्षण आता है, जब बेटी के पिता उनकी मां को फ़ोन करके बताते हैं कि उनकी बेटी के विमान का अपहरण कर लिया गया है। उस क्षण को फिल्म में बड़े ही भावुक अंदाज में दिखाया गया है। इसी दृश्य को देखकर ये अहसास हो जाता है कि फ़िल्म के निर्माता इस चुनौती पर कितने खरे उतरे हैं।
गौरतलब है कि नीरजा भनोत के विमान का कराची एयरपोर्ट पर चरमपंथी संगठन अबू-निदाल के चार चरमपंथियों द्वारा अपहरण कर लिया गया था। वो साल था 1986, जब इस्लाम के नाम पर अंतरराष्ट्रीय चरमपंथ अपना सर उठा ही रहा था। ये वो साल भी है, जब हमारी मौजूदा युवा पीढ़ी के ज़्यादातर लोग जन्में भी नहीं होंगे।
फ़िल्म की कहानी सोनम कपूर के इर्द-गिर्द घूमती है। ये कहना मुश्किल है कि कोई और इस किरदार को और अच्छी तरह से निभा सकता था। यहां ये कहना काफ़ी होगा कि उनकी पिछली फ़िल्मों में उनके अभिनय से उनके अभिनय को लेकर जो शक पैदा हुआ था, वो बेबुनियादी साबित हो गया है।
सोनम फ़िल्म में उस ज़माने की एयरहोस्टेस का किरदार निभा रही हैं, जब ख़ूबसूरत महिलाएं इस काम को ग्लैमर और हाई लाइफ़ का टिकट समझती थीं। उस ज़माने में, एयर इंडिया की एयर होस्टेस (घरेलू उड़ानों की भी) को आमतौर पर 'हवाई सुंदरियां' कहा जाता था। वहीँ, शबाना आज़मी इस 23 वर्षीय लड़की की मां की भूमिका में हैं, जो एक चट्टान की तरह मज़बूती से खड़ी रहती हैं।
फिल्म में निर्देशक की पकड़ कहीं कमजोर नहीं हो पाती है, क्योंकि कहीं कोई कड़ी तोड़ने का अहसास होते ही कहानी फिर से दर्शकों से एक कनेक्ट फिर बना लेती है। बहरहाल, फिल्म देखने के ये कहा जा सकता है कि, अगर आप नीरजा भनोट की कहानी से वाकिफ हैं तो ये फिल्म आपको जरूर देखनी चाहिए, जो आपको नीरजा की कहानी को भावुकता के साथ और गहराई से जानने में मदद कर सकती है।