लोकतांत्रिक प्रणाली में वाद-विवाद और चर्चा जरूरी है, न कि अवरोध : प्रणब मुखर्जी
राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र में चर्चा का सिद्धांत ‘आ नो भद्रा कृत्वो यंतु विश्वत:’ होना चाहिए, अर्थात चर्चा में सभी वर्गो के लोगों के सुविचार शामिल किये जाने चाहिए। इस माननीय संस्था का सदस्य होना गौरव की बात तो है, लेकिन इसके साथ महत्वपूर्ण दायित्व भी जुड़े हुए हैं।”
संसद का बजट सत्र शुरू होने पर दोनों सदनों के केंद्रीय कक्ष में होने वाली संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति की ओर से किये जाने वाले अपने पारंपरिक संबोधन में प्रणब ने कहा, “मेरी सरकार संसद के सुचारू और रचनात्मक कार्य संचालन के लिए निरंतर प्रयासरत है।'
'लोकतांत्रिक प्रणाली में वाद विवाद और चर्चा जरूरत है, न कि अवरोध पैदा करना। मैं सभी सांसदों से अनुरोध करता हूं कि वे सहयोग और आपसी सद्भावना के साथ अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करके एक समृद्ध भारत बनाने का प्रयास करें।”
संसद के पिछले सत्रों में खासकर राज्यसभा में विभिन्न मुद्दों पर बार बार कामकाज में व्यवधान उत्पन्न होने और सदन का समय नष्ट होने के संदर्भ में राष्ट्रपति की इस टिप्पणी को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राज्य सभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है।
राष्ट्रपति ने कहा, “नवजीवन और विकास लाने वाले बसंत के इस मौसम में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में आपका स्वागत है और मुझे विश्वास है कि यहां पर होने वाली चर्चा उस भरोसे पर खरी उतरेगी, जो हमारे नागरिकों ने हमारे प्रति जताया है। इस पथ पर आगे बढ़ते हुए अपने गौरवशाली देश के विकास और प्रगति में हम सभी बराबर के भागीदार बनेंगे।”
उन्होंने कहा, “पिछले वर्ष संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए मैंने अपनी सरकार की परिकल्पनाओं की एक रूपरेखा बताई थी, जिसका आशय ऐसे भारत का निर्माण करना है, जो भविष्य में पूरे आत्मविश्वास के साथ अग्रसर होगा। ऐसा सशक्त और दूरदर्शी भारत जो लोगों को विकास के वे सारे अवसर मुहैया करायेगा, जिनका संविधान में प्रावधान किया गया है। विकास का यह सिद्धांत ‘सबका साथ, सबका विकास’ में निहित है और यही मेरी सरकार का मूलभूत सिद्धांत है।”
राष्ट्रपति ने हाल में पठानकोठ वायु सेना स्टेशन पर हुए आतंकवादियों के हमले को सफलतापूर्वक निष्फल करने के लिए सुरक्षा बलों को बधाई देते हुए कहा, “मेरी सरकार देश की सुरक्षा से संबंधित सभी चुनौतियों से सख्ती से निपटने के लिए कृत संकल्प है। आतंकवाद विश्वव्यापी खतरा है और इसे पूरी तरह से समाप्त करने के लिए विश्व स्तर पर आतंकवाद निरोधी कठोर उपाए किये जाने की आवश्यकता है।”