जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में गुलजार की ‘नज्म’ ने किया श्रोताओं को भावुक
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जयपुर। रविवार का दिन होने की वजह से जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में जहां साहित्य-प्रेमियों की भारी भीड़ रही, वहीं गुलजार और जावेद अख्तर जैसे प्रख्यात गीतकारों ने यहां उपस्थित साहित्यप्रेमियों को अपनी रचनाओं से भाव-विभोर कर दिया। राजधानी जयपुर में डिग्गी पैलेस के फ्रंट लॉन में आयोजित 'नज्म उलझी हुई है सीने में' विषय पर हुए सेशन में प्रख्यात गीतकार गुलजार ने पवन के वर्मा के साथ चर्चा की।
सेशन में गुलजार ने बहुत ही हल्के फुल्के माहौल में पर्यावरण से जुड़े मसलों पर गंभीर मैसेज दिया। इस दौरान गुलजार ने कहा कि अपने घर और आसपास में अपने साथ पेड़ों को भी बड़ा होते ऐखा है। ऐसे में मेरे परिवार का ही हिस्सा मेरे अपनों के जैसा ही प्रकृति का यह रुप मुझे लगता है। उन्होंने प्रकृति के विविध स्परूपों पर काव्य पाठ किया। मार्मिक काव्य पाठ के दौरान श्रोताओं की आंखों से आंसू बह निकले।
गुलजार ने कहा कि हम सिर्फ अपने संगे संबंधियों और मानव जाति तक ही सीमित रहते है, जानवरों से भी आंशिक नजदीकी है, लेकिन पेड़, पौधों, फूलों, पत्तियों, बादलों, बारिश, हवा आदि से अपने को जोड़ कर भी अलग रखते है। डिग्गी पैलेस में गगन की ओर तांक कर खड़े पेड़ भी आपके साथ साहित्य की सरिता में बह रहे हैं। वो शब्दों को महसूस कर खिलखिला रहे हैं, प्रतिक्रिया दे रहे हैं। आवश्यकता है तो बस उनकी भावनाओं को समझने की।
गुलजार का क्रेज दर्शकों के सर चढ़ कर बोला. डिग्गी पैलेस में उनकी गुलजार का क्रेज इतना जबरदस्त रहा कि उनकी किताब आउट ऑफ स्टॉक हो गई. गुलजार की कविताओं को सुनने बड़ी संख्या में युवा श्रोता भी मौजूद रहे। सेशन के दौरान फ्रंट लॉन में भारी भीड़ उमड़ने पर कुछ देर के लिए प्रवेश बंद करना पड़ा।
सेशन में गुलजार ने बहुत ही हल्के फुल्के माहौल में पर्यावरण से जुड़े मसलों पर गंभीर मैसेज दिया। इस दौरान गुलजार ने कहा कि अपने घर और आसपास में अपने साथ पेड़ों को भी बड़ा होते ऐखा है। ऐसे में मेरे परिवार का ही हिस्सा मेरे अपनों के जैसा ही प्रकृति का यह रुप मुझे लगता है। उन्होंने प्रकृति के विविध स्परूपों पर काव्य पाठ किया। मार्मिक काव्य पाठ के दौरान श्रोताओं की आंखों से आंसू बह निकले।
गुलजार ने कहा कि हम सिर्फ अपने संगे संबंधियों और मानव जाति तक ही सीमित रहते है, जानवरों से भी आंशिक नजदीकी है, लेकिन पेड़, पौधों, फूलों, पत्तियों, बादलों, बारिश, हवा आदि से अपने को जोड़ कर भी अलग रखते है। डिग्गी पैलेस में गगन की ओर तांक कर खड़े पेड़ भी आपके साथ साहित्य की सरिता में बह रहे हैं। वो शब्दों को महसूस कर खिलखिला रहे हैं, प्रतिक्रिया दे रहे हैं। आवश्यकता है तो बस उनकी भावनाओं को समझने की।
गुलजार का क्रेज दर्शकों के सर चढ़ कर बोला. डिग्गी पैलेस में उनकी गुलजार का क्रेज इतना जबरदस्त रहा कि उनकी किताब आउट ऑफ स्टॉक हो गई. गुलजार की कविताओं को सुनने बड़ी संख्या में युवा श्रोता भी मौजूद रहे। सेशन के दौरान फ्रंट लॉन में भारी भीड़ उमड़ने पर कुछ देर के लिए प्रवेश बंद करना पड़ा।