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जयपुर। ऑल इण्डिया मोटर ट्रांसपोटर्स कांग्रेस के आह्वान पर चल रही ट्रक और ट्रांसपोटर्स यूनियनों की हड़ताल के तहत किए जा रहा चक्काजाम का आज आखिर पिछले पांच दिनों के बाद खत्म हो गई। हड़ताल खत्म होने के साथ ही प्रदेशभर में थमे हुए ट्रकों के पहिये एक बार फिर से सड़कों पर दौडऩे लगे हैं। वहीं दूसरी ओर, हड़ताल खत्म होने के बाद पिछले पांच दिनों से अटके ट्रक ड्राइवरों एवं परिचालकों ने राहत की सांस ली है।
गौरतलब है कि 1 अक्टूबर को शुरू हुए हड़ताल के तहत किए गए चक्काजाम के चलते जो ट्रक ड्राइवर बाहर गए हुए थे, वे वहीं थमे हुए थे, जिसके चलते अपने घर से बाहर दूसरी जगह पर होने की वजह से आर्थिक परेशानी उठा रहे थे।
हड़ताल खत्म होने के बाद अपने ट्रकों के रुके हुए पहियों को एक बार फिर से घूमता हुआ देख ट्रक चालकों ने राहत की सांस ली है। दूसरे स्थानों पर अटके ट्रक चालक एवं परिचालक हड़ताल खत्म होने के साथ ही तुरंत अपने घर की ओर प्रस्तान के लिए निकल पड़े, जिससे सड़कों पर एक बार फिर से ट्रकों की आवाजाही दिखाई देने लगी।
उल्लेखनीय है कि पिछले चार दिनों से विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल और चक्का जाम से हजारों लोगों को रोजगार से महरूम होना पड़ रहा था। राजस्थान में संचालित करीब 13 हजार ट्रांसपोर्ट कंपनियों के द्वारा हड़ताल में शामिल होने से ट्रकों के पहिये थमे हुए थे। जयपुर ट्रांसपोर्ट आपरेटर्स एसोशिएशन के अध्यक्ष गोपाल सिंह राठौड़ ने कहा कि टोल बेरियर मुक्त भारत बनाने के लिए हड़ताल की जा रही थी। हमने सरकार को प्रपोजल दिया है कि हम 15 हजार करोड़ एक मुश्त देकर टोल परमिट चाह रहे हैं।
ये हुआ निर्णय
राठौड़ ने बताया कि सरकार से बातचीत के बाद ट्रांसपोर्ट सेक्रटरी राजीव छिब्बर की अध्यक्षता मे एक कमेटी का गठन किया गया है, जिसमें सरकारी पदाधिकारियों के साथ ही टांसपोर्ट ऑपरेटर्स एसोसियेशन के पांच-छह सदस्य भी शामिल होंगे। सरकार ने मांगों पर विचार किए जाने के लिए 15 दिसम्बर तक का समय मांगा है। 15 दिसंबर तक मांगों के अनुसार संभव सुझाव एवं विकल्प निकाले जाएंगे और उन पर फिर से विचार किया जाकर आगामी 1 जनवरी तक उचित निर्णय लिया जाएगा।