देश में आरटीआई एक्ट को हुए 10 साल पूरे

Right to Information Act, RTI Act, सूचना का अधिकार अधिनियम, आरटीआई कानून
नई दिल्ली। 15 जून 2005 को संसद में आरटीआई कानून पास होने के बाद 12  अक्टूबर 2005 को देशभर में पूरी तरह से लागू हुए सूचना का अधिकार अधिनियम के आज दस साल पूरे हो गए हैं। दस साल के इस सफर में आरटीआई एक्ट ने भ्रष्टाचार के कई बड़े मामलों को उजागर करने में अपनी अहम भूमिका निभाई है।

साथ ही यह अधिनियम आम लोगों के महत्वपूर्ण हथियार के रुप में उभर कर सामने आया है, लेकिन अभी भी इस अधिनियम में कई ऐसी खामियां हैं, जो इस कानून को लचर बना रही हैं।

मसलन सूचना का अधिकार अधिनियम में प्रावधान किया गया कि सूचना देने में देरी करने पर जुर्माना केवल लोकसूचना अधिकारी पर ही लगाया जा सकता है, जबकि कई बार लोकसूचना अधिकारी से उनके उच्चाधिकारियों से सम्बंधित सूचनाएं भी मांग ली जाती है। ऐसे मामलों में विवादास्पद सूचनाएं होने पर अक्सर लोकसूचना अधिकारी जुर्माना भुगतकर भी सूचनाएं देने से कतराते हैं।

वहीं आरटीआई एक्ट में सूचना देने में होने वाली देरी पर लोकसूचना अधिकारी पर तो कार्यवाही किए जाने का प्रावधान है, लेकिन प्रथम अपीलीय अधिकारी पर ऐसे मामलों में किसी भी तरह की कार्यवाही का प्रावधान नहीं किया गया है।

इसी प्रकार की कई खामियों के चलते, यह खामियां जहां इस कानून को लचर बना रही हैं, वहीं जिम्मेदार लोगों के लिए इस अधिनियम से बचने की राहें भी खोल रही हैं।

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