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जयपुर। प्रदेश को जैतून की खेती का हब बनाने के लिए की गई कवायदों के मह किए गए कई महत्वपूर्ण कार्यों के चलते जहां अच्छी-खासी मात्रा में जैतून का उत्पादन होने लगा है। वहीं अब जैतून का तेल निकालने, उसकी पैकेजिंग करने और फिर राज ऑलिव ब्राण्ड से तेल मार्केट में बेचने के लिए अब इसे निजी हाथों में सौंपने की तैयारी की जा रही है।
जानकारी के अनुसार जैतून की खेती से होने वाले उत्पादन के बाद जैतून से तेल निकालने, उसकी पैकेजिंग करने और राज ऑलिव ब्राण्ड से जैतून का तेल मार्केट में बेचने को लेकर अभी कोई फैसला नहीं हो पाया रहा है, जिसके चलते पिछले साल निकला करीब 8 हजार लीटर जैतून का तेल औने-पौने दामों में बेचना पड़ा था।
इसी को लेकर अब जैतून उतपादन और इसके तेल से जुड़ा सारा काम अब निजी हाथों में सौंपने की दिशा में कृषि विभाग की ओर से कवायदें की जा रही है, ताकि जैतून के भरपूर उत्पादन के बावजूद उसके तेल को कम दामों में बेचने की वजह से होने वाले नुकसान से बचा जा सके और जैतून के तेल से उचित राजस्व प्राप्त किया जा सके।
जैतून की खेती का सफर
जैतून की खेती के सफर को राजस्थान में सात साल पूरे हो चुके हैं। देश की पहली जैतून रिफाइनरी चार करोड़ रुपए की लागत से बीकानेर के लूणकरणसर में लग चुकी है। 2008 में जैतून की खेती के शुरु हुए सफर में राज्य सरकार अब तक 23 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। राज्य में सरकारी फार्म और किसानों के निजी खेतों को मिलाकर करीब 450 हैक्टेयर में फिलहाल जैतून की खेती राज्य में हो रही है।
यहां हो रहा उत्पादन
प्रदेश में इस समय नागौर, श्रीगंगानगर, अलवर, बीकानेर जिले की 282 हैक्टेयर भूमि पर जैतून की खेती हो रही है, जिसे बढ़ाकर अब पांच हजार हैक्टेयर करने का लक्ष्य है।