नहीं माने हिन्दु संगठन, हर हाल में होगा चक्काजाम
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चारदीवारी में फिर उसी जगह पर बनेंगे 6 मंदिर
जयपुर। राजधानी जयपुर में मंदिरों को तोडऩे के मामले में अब जिम्मेदार अफसरों और नेताओं के विरोध में खतरे की घंटी बज चुकी है। संघ की नाराजगी के बाद इन पर कार्यवाही करने पर सरकार मजबूर है। सरकार भी अधिकारियों के दिए गए तर्क से संतुष्ट नहीं है और मौखिक आदेश पर मंदिर तोडऩे को लेकर अफसरों के जवाब गोलमाल सामने आए।वहीं दूसरी ओर, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कड़े रुख के बाद राज्य सरकार में उच्च स्तर पर सहमति बनी है कि रोजगारेश्वर मंदिर का निर्माण फिर से उसी जगह पर कराया जाए, जहां से इसे हटाया गया था। सरकार ने तय किया है कि मेट्रो का काम पूरा होने के बाद छोटी चौपड़ पर उसी जगह रोजगारेश्वर मंदिर की पुनर्स्थापना की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार मंदिर का निर्माण उसी शैली में होगा, जिस शैली में यह प्राचीन मंदिर बना हुआ था। शहर में मंदिरों को तोडऩे की शुरुआत के साथ-साथ हिंदू संगठनों में नाराजगी होने लगी थी, लेकिन जब से रोजगारेश्वर मंदिर के टूटने के साथ ही आक्रोश फैल गया।
परकोटा क्षेत्र में मंदिरों को अनावश्यक तोडऩे से विरोध में स्थानीय लोग भी जुड़ते गए और अब मामला आरएसएस की ओर से चक्काजाम तक नौबत आ गई। रोजगारेश्वर मंदिर के निर्माण के फैसले के पीछे आरएसएस और अन्य संगठनों की नाराजगी कम करने की कोशिश मानी जा रही है।
जेडीए के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट की एंपावर्ड कमेटी ने जेडीए को सर्वे के बाद 476 धार्मिक स्थलों की सूची सौंपी थी। उनमें से जेडीए ने 21 मंदिर तोड़े। जेडीए ने अब तक कुल 73 मंदिर और बाजार तोड़े। इन सभी का ब्यौरा मांगा गया है। जेडीए प्रशासन का कहना है कि रिंग रोड़ को चौड़ी करने और अन्य प्रमुख मार्गों को चौड़ा करने के लिए बीच राह आ रहे मंदिरों को तोड़ा गया। इनकी कुल संख्या 16 हैं। मुख्यमंत्री के समक्ष प्रजेंटेशन में इन 16 मंदिरों को लेकर भी बड़ा हल्ला नहीं मचा।
जानकारी के अनुसार इसमें कष्टहरण महादेव मंदिर, कंवल साहब हनुमान सहित अन्य मंदिरों को फिर उसी स्थान पर बनाए जाने का हिन्दु संगठनों का दवाब है। हालांकि धर्म विशेषज्ञ इसको सही नहीं मान रहे है। मंदिरों की मूर्तियों की बार-बार प्राण प्रतिष्ठा हिन्दु धर्मशास्त्र के अनुसार सही नहीं है।
हालांकि जनभावना में बसा रोजगारश्वर महादेव मंदिर टूटने से हुए बवाल से अब सरकार पूरी तरह घिरी दिखाई दे रही है और संघ की भूमिका के बाद पूरे मामले में सरकार को आम जनता, हिन्दु संगठनों सहित मुस्लिम संगठनों और अपने विधायकों और कार्यकर्ताओं का आक्रोश भी झेलना पड़ रहा है।
संघ की मांगें
- मंदिर गिराने के दोषी अफसर व नेताओं पर कार्रवाई हो।
- चार प्रमुख मंदिरों को पुनर्स्थापित किया जाए।
- अब आगे मंदिर नहीं टूटने चाहिए।