ई-कॉमर्स में ऍफ़ डी आई भारतीय रिटेल बाजार को डंपिंग यार्ड बनाएगा : कैट

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय द्वारा आज ई-कॉमर्स में ऍफ़डीआई को अनुमति देने पर सम्बंधित वर्गों की एक बैठक नई दिल्ली में बुलाई गई, जिसमें कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सरकार से कहा की यदि ई-कॉमर्स में एफडआई को अनुमति दी गई तो भारत का रिटेल बाजार एक डंपिंग ग्राउंड में तब्दील हो जाएगा। 

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खण्डेलवाल ने बैठक में भाग लेते हुए कहा की भारतीय रिटेल व्यापार केवल व्यापार ही नहीं है, बल्कि देश के करोड़ों लोगों की रोज़ी-रोटी का जरिया भी है। इसलिए कोई भी नीतिगत फैसला लेने से पहले इस दृष्टिकोण को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है।

 खण्डेलवाल ने कहा ई-कॉमर्स व्यापार पर डंपिंग ग्राउंड का ठप्पा लगाते हुए कहा की वस्तुओं की डंपिंग तभी संभव होती है, जब आसानी से विदेशी धन उपलब्ध हो जो कीमतें कम रखने के एवज में नुकसान की भरपाई करे। वर्तमान में ई-कॉमर्स पोर्टल लागत से भी कम मूल्य पर माल बेच रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपने पोर्टल चलाने के लिए विदेशी धन आसानी से उपलब्ध हो रहा है। यह और कुछ नहीं बल्कि ई-कॉमर्स डंपिंग ही है। और यदि ई-कॉमर्स में एफडीआई को अनुमति दे दी गई तो दुनिया में बिकने वाली वस्तुओं की भरपूर डंपिंग भारत में होगी।


उन्होंने ने कहा की रिटेल व्यापार में ऍफ़डीआई असमान प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाएगा। रिटेल व्यापार के बिज़नेस-टू-बिज़नेस मॉडल में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है और इसी का सहारा लेकर ई-कॉमर्स पोर्टल सभी नियमों को धत्ता बताते हुए सीधे उपभोक्ता को माल बेच रहे हैं और व्यापारी उनका मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं।

दूसरी ओर विदेशों में धन 1 .5 प्रतिशत से लेकर 3 प्रतिशत की ब्याज दर पर उपलब्ध होता है। वहीँ भारत में यह धन 12 प्रतिशत से लेकर 20 प्रतिशत और उससे अधिक की ब्याज दर पर मिलता है। एफडीआई प्राप्त करने वाली कम्पनियों से इतने अधिक की ब्याज दर पर व्यापारी कैसे मुकाबला करेगा। खण्डेलवाल ने कहा की एफडीआई नीति देश के रिटेल व्यापार के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और इस पर कोई भी फैसला लिए जाने से पूर्व इसके प्रभावों का अध्ययन किया जाना बेहद आवश्यक है।

कैट ने कहा है कि ई-कॉमर्स के लिए एक स्थापित नीति और दिशा निर्देश बनाया जाने चाहिए, जैसे अमरीका, इंग्लैंड, यूरोपियन यूनियन, चीन जैसे देशों में बने हैं। रिटेल के किसी भी फॉर्मेट में एफडीआई को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, बल्कि देश के रिटेल व्यापार को और अधिक आधुनिक बनाने एवं व्यापार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के लिए एक राष्ट्रीय व्यापार नीति बनाई जाए।

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