फादर्स डे पर जान पर खेलकर बचाई पिता की जान

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अजमेर। फादर्स डे पर अजमेर शहर में एक बेटे ने अपनी जान पर खेलकर पिता की जान बचाई। दरअसल रविवार तड़के हथियारों से लैस पारदी गिरोह के कुछ सदस्य चंदवरदाई नगर में लेखाधिकारी के घर चोरी के इरादे से घुस गए, उन्होंने लेखाधिकारी और उनके बेटे पर हमला कर दिया।

बेटे के शोर मचाने से डकैत घबराकर भाग गए। बाद में पड़ोसियों ने घायलों को जवाहरलाल नेहरू अस्पताल पहुंचाया। रामगंज थाना पुलिस ने जानलेवा हमला व रात में चोरी की नियत से मकान में दाखिल होने का मामला दर्जकर अनुसधान शुरू कर दिया।

पुलिस के अनुसार चन्दवरदाईनगर 'ए' ब्लॉक निवासी लेखाधिकारी जे.डी. पारवानी को रविवार तड़के 2.30 बजे घर के बाहर खटपट की आवाज आई। उसने रसोई घर की खिड़की से बाहर देखा, लेकिन उसे कोई नजर नहीं आया। पारवानी ने हिम्मत जुटाकर मुख्यद्वार खोला।

दरवाजा खोलते ही एक युवक उसको धक्का देते हुए भीतर दाखिल हुआ। उसके साथ तीन अन्य भी अन्दर आए और दरवाजा बंद कर दिया। चीख सुन पहली मंजिल पर सो रहा पारवानी का बेटा नरेश बाहर आया तो उसकी आंखे खुली रह गई। उसने पिता पर हथियार से ताबड़तोड़ वार कर रहे शातिर को धक्का देकर दूर करने प्रयास किया, लेकिन आरोपितों ने नरेश पर हमला बोल दिया।

धारदार हथियार से सिर, सीने और हाथ पर हुए ताबड़तोड़ वार से नरेश और उसके पिता की चीखें निकल गई। शोर होने से जाग का खतरा मंडराता हुआ देख शातिर चोर भागने में कामयाब रहे। पड़ौसियों ने जे.डी पारवानी और नरेश को जवाहरलाल नेहरू अस्पताल पहुंचाया।

वारदात के एक घंटे बाद पुलिस को घटना की इत्तला मिली। सुबह अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक(शहर) प्रवीन जैन, एसएचओ भूपेन्द्रसिंह मौके पर पहुंचे। पुलिस ने जानलेवा हमला और रात में चोरी की नियत से घर में दाखिल होने का मामला दर्ज किया है।

फादर्स डे पर तोहफा

फादर्स डे पर नरेश ने अपना पुत्र धर्म निभाया। डकैतों ने उसके पिता को चाकू मार दिया था। आवाजें सुनकर उसकी नींद नहीं खुलती तो शातिर बड़ी वारदात अंजाम देने में कामयाब हो जाते। नरेश के शोर से चोर भी घबरा गए। हालांकि शातिर चोर पारवानी और उसके बेटे के सिर, हाथ, चेहरे और पेट पर धारदार हथियार से जख्मी कर दिया। दोनों को लहूलुहान हालत में छोड़ फरार हो गए। नरेश ने हिम्मत जुटाकर 108 को कॉल किया। जबकि पड़ौसी डा. देवेन्द्र शर्मा व अशोक कश्यप ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया।

फिर बंद किया दरवाजा

शातिर के बाहर भागते ही पारवानी ने तत्परता बरते हुए दरवाजा बंद कर दिया। पारवानी ने बताया कि उन्हें लगा कि शातिर पुन: भीतर दाखिल ना हो ऐसे में उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया। गनीमत रही कि नरेश की पत्नी दीया अपने दो बच्चों के साथ ऊपर के कमरे में दुबकी रही। अन्यथा बड़ा हादसा हो जाता।

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