"इंस्पेक्टरों पर धौंस जमाया करते थे दैनिक भास्कर व राजस्थान पत्रिका के संपादक"

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राजस्थान के सबसे प्रमुख अखबार होने का दावा करने वाले दो अखबारों को लेकर सोशल मीडिया पर खबर है कि अब इन दोनों अख़बारों की मुश्किलों में और इजाफा होने वाला है।

सोशल नेट्वर्किंग साइट फेसबुक पर Bhadas Rajasthan नामक एक प्रोफाइल ने लिखा है कि, "राजस्थान में दैनिक भास्कर व राजस्थान पत्रिका की मुश्किलें अब बढऩे वाली है। अभी तक तो ये दोनों अखबार श्रम विभाग के इंस्पेक्टरों को कोई तव्वजों नहीं देते थे। कागजात मांगने पर आनाकानी करते थे। संपादकों के जरिए सीएमओ से फोन करवा कर इंस्पेक्टरों पर धौंस जमाया करते थे। अब श्रम विभाग का यही इंस्पेक्टर इनकी मुश्किलें बढ़ाने वाला है।"

इस प्रोफाइल ने अपनी एक पोस्ट में लिखा है कि, "राजस्थान ने सर्वोच्च न्यायालय के मजीठिया वेज बोर्ड लागू करने की जांच के आदेश की पालना में श्रमजीवी पत्रकार एवं अन्य समाचार पत्र कर्मचारी (सेवा की शर्ते) और प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम 1955 की धारा 17 (ख) की उपधारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए संपूर्ण राज्य में निरीक्षकों की नियुक्ति की है।

इसके बाद श्रम विभाग के अधिकारी राज्य के विभिन्न समाचार पत्रों विशेषकर दैनिक भास्कर व राजस्थान पत्रिका समेत विभिन्न समाचार पत्रों के कार्यालयों में जाकर कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन देने की जांच करेंगे। इसके लिए उनसे दस्तावेज मांगेंगे और कर्मचारियों से उनका पक्ष भी सुनेंगे।"

इसके अतिरिक्त प्रदेश के विभिन्न छोटे-बड़े अख़बारों में कार्य करने वाले पत्रकारों को जानकारी देते हुए पोस्ट में लिखा गया है कि, "समाचार पत्रों में कार्यरत सभी कर्मचारी जिन्होंने अभी तक केस नहीं किया है वे संबंधित अधिकारियों को जाकर व्यक्तिगत रुप से लिखित में अपना पक्ष रख सकता है। श्रम विभाग राजस्थान की वेबसाइट पर जाकर कोई भी इस अधिसूचना को डाउनलोड कर सकता है।"
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