पर्यटकों-जायरीनों के लिए चैक-पॉइंट बना गायों का डेरा
अजमेर। ख्वाजा नगरी के नाम से दुनियाभर में विख्यात अजमेर शहर अपने आप में एक ओर जहां शानदार विरासत समेटे हुए हैं, जिसके चलते ही आज अजमेर श...
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अजमेर। ख्वाजा नगरी के नाम से दुनियाभर में विख्यात अजमेर शहर अपने आप में एक ओर जहां शानदार विरासत समेटे हुए हैं, जिसके चलते ही आज अजमेर शहर दुनियाभर के कौने-कौने से आने वाले पर्यटकों और जायरीनों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। शहर के सबसे व्यस्ततम इलाके दरगाह बाजार में हमेशा ही ख्वाजा साहब की दरगाह में आने वाले पर्यटकों और जायरीनों की भीड़ लगी रहती है और जब मौका उर्स या फिर किसी और उत्सव का हो तो यहां लोगों की तादाद कई गुना बढ़ जाती है।
इन सबके चलते दुविधा यह है कि, ख्वाजा की बारगाह में सर झुकाकर दुआएं मागने के लिए आने वाले देशी-विदेशी जायरीन और पर्यटक दरगाह बाजार में घुसने के साथ ही यहां फैले अव्यवस्थाओं के आलम को देखकर अपने नाक-मुंह सिकोड़ने को मजबूर हो जाते हैं।
यहां पर अक्सर हमेशा ही रहने वाली जायरीनों और पर्यटकों की भीड़ के एक ओर जहां बेतरतीब वाहनों की रेलमपेल लगी रहती है, वहीं दूसरी ओर यहां पर फैली गंदगी और आवारा जानवरों का मजमा इन अव्यवस्थाओं में और भी इजाफा करता है। ऐसे में यहां आने वाले लोगों के साथ शहर के बारे में जो सन्देश जाता है उसका अंदाजा आप बखूबी लगा सकते हैं।
दरगाह बाजार में प्रवेश करने का मुख्य द्वार देहली गेट है, जिसे पार करने के साथ ही दरगाह बाजार शुरू हो जाता है। देहली गेट का आलम यह है कि यहां से महज कुछ ही क़दमों की दूरी पर पुलिस चौकी भी स्थित है और देहली गेट में प्रवेश करने के साथ ही यहां आने वाले जायरीनों-पर्यटकों का स्वागत गंदगी के बीच फैले-पसरे आवारा जानवरों के दीदार से होता है और यहीं से इन लोगों के नाक-मुंह सिकुड़ना शुरू हो जाता है।
यह वही रास्ता है जो सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह तक जाता है, जहां शनिवार से हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाए जाने वाले मोहर्रम की पहली तारीख के साथ मोहर्रम की शुरुआत हुई है और जायरीनों की तादाद में भी इजाफा होना शुरू हो गया है। ऐसे में यह भली-भांति समझा जा सकता है कि यहां आने वाले पर्यटक और जायरीन शहर के बारे के अपने साथ क्या सोच लेकर जाएंगे।
इन सबके चलते दुविधा यह है कि, ख्वाजा की बारगाह में सर झुकाकर दुआएं मागने के लिए आने वाले देशी-विदेशी जायरीन और पर्यटक दरगाह बाजार में घुसने के साथ ही यहां फैले अव्यवस्थाओं के आलम को देखकर अपने नाक-मुंह सिकोड़ने को मजबूर हो जाते हैं।
यहां पर अक्सर हमेशा ही रहने वाली जायरीनों और पर्यटकों की भीड़ के एक ओर जहां बेतरतीब वाहनों की रेलमपेल लगी रहती है, वहीं दूसरी ओर यहां पर फैली गंदगी और आवारा जानवरों का मजमा इन अव्यवस्थाओं में और भी इजाफा करता है। ऐसे में यहां आने वाले लोगों के साथ शहर के बारे में जो सन्देश जाता है उसका अंदाजा आप बखूबी लगा सकते हैं।
दरगाह बाजार में प्रवेश करने का मुख्य द्वार देहली गेट है, जिसे पार करने के साथ ही दरगाह बाजार शुरू हो जाता है। देहली गेट का आलम यह है कि यहां से महज कुछ ही क़दमों की दूरी पर पुलिस चौकी भी स्थित है और देहली गेट में प्रवेश करने के साथ ही यहां आने वाले जायरीनों-पर्यटकों का स्वागत गंदगी के बीच फैले-पसरे आवारा जानवरों के दीदार से होता है और यहीं से इन लोगों के नाक-मुंह सिकुड़ना शुरू हो जाता है।
यह वही रास्ता है जो सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह तक जाता है, जहां शनिवार से हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाए जाने वाले मोहर्रम की पहली तारीख के साथ मोहर्रम की शुरुआत हुई है और जायरीनों की तादाद में भी इजाफा होना शुरू हो गया है। ऐसे में यह भली-भांति समझा जा सकता है कि यहां आने वाले पर्यटक और जायरीन शहर के बारे के अपने साथ क्या सोच लेकर जाएंगे।