प्रदेश में वकीलों की हड़ताल स्थगित
जयपुर। न्यायिक अधिकारियों के स्थानान्तरण और वकीलों के खिलाफ की गई अवमानना कार्रवाई को वापस लेने सहित चौदह सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल कर...
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जयपुर। न्यायिक अधिकारियों के स्थानान्तरण और वकीलों के खिलाफ की गई अवमानना कार्रवाई को वापस लेने सहित चौदह सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे वकीलों ने रविवार को कार्रवाई मुख्य न्यायाधीश से मिले आश्वासन के बाद पिछले 68 दिनों से जारी हड़ताल को स्थगित करते हुए राजस्थान अधिवक्ता संघर्ष समिति ने सोमवार से काम पर लौटने का ऐलान किया है।
समिति के संयोजक गोपेश गुम्बज ने कहा कि महाधिवक्ता ने कार्य वाहक मुख्य न्यायाधीश से बातचीत के बाद बताया कि वह संपन्न हुई वार्ता और समझौता से पूर्ण रूप से सहमत हैं। इसलिए जो न्यायिक कार्य का बहिष्कार हमारे द्वारा किया जा रहा था वह स्थगित किया जाता है और हम सोमवार से काम पर आएंगे। राजस्थान के महाधिवक्ता एनएम लोढा ने संवाददाताओं को बताया कि न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक के निवास पर हुई तीन घंटें चली वार्ता में न्यायमूर्ति मनीष भंडारी भी मौजूद रहें।
दोनों न्यायाधीशों और महाधिवक्ता ने संघर्ष समिति का पक्ष कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुनील अंबुवानी के समक्ष रखा और इसके बाद वकीलों की पांच मांगों पर सहमति बन गई। वार्ता में सामने आया की हाईकोर्ट की शिकायत निवारण कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट प्रशासन ने कार्रवाई आरंभ कर दी है।
वहीं आरजेएस एसोसिएशन की ओर से बैठक बुलाकर वकीलों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के मामले में मुख्य न्यायाधीश ने जल्दी से जल्दी कार्रवाई का आश्वासन दिया। जबकि डीजे दीपक माहेश्वरी और एडीजे महेन्द्रसिंह के स्थानान्तरण के मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने दो-तीन दिन में कार्रवाई करने में असक्षमता जताते हुए कुछ दिनों बाद स्थानान्तरण का आश्वासन दिया।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश से वार्ता के बाद महाधिवक्ता ने संघर्ष समिति को न्यायपालिका के रुख से अवगत कराया। इस पर समिति ने न्यायिक बहिष्कार समाप्त कर सोमवार से काम पर लौटने का एलान किया है। हालांकि इस संबंध में समिति महासचिव संजय व्यास का कहना है कि जब हमें लगेगा की हाईकोर्ट प्रशासन अपने वादे से पीछे हट रहा है तो हम न्यायिक बहिष्कार फिर से आरंभ कर देंगे।
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समिति के संयोजक गोपेश गुम्बज ने कहा कि महाधिवक्ता ने कार्य वाहक मुख्य न्यायाधीश से बातचीत के बाद बताया कि वह संपन्न हुई वार्ता और समझौता से पूर्ण रूप से सहमत हैं। इसलिए जो न्यायिक कार्य का बहिष्कार हमारे द्वारा किया जा रहा था वह स्थगित किया जाता है और हम सोमवार से काम पर आएंगे। राजस्थान के महाधिवक्ता एनएम लोढा ने संवाददाताओं को बताया कि न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक के निवास पर हुई तीन घंटें चली वार्ता में न्यायमूर्ति मनीष भंडारी भी मौजूद रहें।
दोनों न्यायाधीशों और महाधिवक्ता ने संघर्ष समिति का पक्ष कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुनील अंबुवानी के समक्ष रखा और इसके बाद वकीलों की पांच मांगों पर सहमति बन गई। वार्ता में सामने आया की हाईकोर्ट की शिकायत निवारण कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट प्रशासन ने कार्रवाई आरंभ कर दी है।
वहीं आरजेएस एसोसिएशन की ओर से बैठक बुलाकर वकीलों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के मामले में मुख्य न्यायाधीश ने जल्दी से जल्दी कार्रवाई का आश्वासन दिया। जबकि डीजे दीपक माहेश्वरी और एडीजे महेन्द्रसिंह के स्थानान्तरण के मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने दो-तीन दिन में कार्रवाई करने में असक्षमता जताते हुए कुछ दिनों बाद स्थानान्तरण का आश्वासन दिया।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश से वार्ता के बाद महाधिवक्ता ने संघर्ष समिति को न्यायपालिका के रुख से अवगत कराया। इस पर समिति ने न्यायिक बहिष्कार समाप्त कर सोमवार से काम पर लौटने का एलान किया है। हालांकि इस संबंध में समिति महासचिव संजय व्यास का कहना है कि जब हमें लगेगा की हाईकोर्ट प्रशासन अपने वादे से पीछे हट रहा है तो हम न्यायिक बहिष्कार फिर से आरंभ कर देंगे।
9 जुलाई से कर रहे थे कार्य बहिष्कार
वकील भारत भूषण पारीक के खिलाफ आदेश पारित करने के बाद बार अध्यक्ष गोपेश कुंभज के अदालत में जाने पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश महेन्द्र चौधरी ने कुंभज सहित चार वकीलों के खिलाफ अवमानना की टिप्पणी करते हुए आदेश लिखा। इसके विरोध में वकीलों ने हडताल कर दी। वहीं हाईकोर्ट ने भी स्वप्रेरणा से इन चारों वकीलों को अवमानना नोटिस जारी किए। दूसरी तरफ आरजेएस एसोसिएशन ने बैठक कर जयपुर की अदालतों को चार हिस्सों में बांटने सहित वकीलों के खिलाफ चार प्रस्ताव लिए।सभी अपडेट के लिए हमें Facebook और Twitter पर फ़ॉलो करें