अमेठी से राहुल ने जीता चुनाव, कुमार विश्वास की जमानत जब्त
अमेठी। 16वीं लोकसभा के चुनाव में जहां देशभर में मोदी लहर ने भाजपा को प्रचंड बहुमत और ऐतिहासिक जीत दिलाकर सत्ता में काबिज किया है, वहीं दू...
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अमेठी। 16वीं लोकसभा के चुनाव में जहां देशभर में मोदी लहर ने भाजपा को प्रचंड बहुमत और ऐतिहासिक जीत दिलाकर सत्ता में काबिज किया है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अमेठी से एक बार फिर जीत का परचम लहराया है। अमेठी में राहुल ने अपनी प्रतिद्वंदी भाजपा की प्रत्याशी स्मृति ईरानी को कड़े मुकाबले में हराया। वहीं आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुमार विश्वास की जमानत जब्त हो गई है।
अमेठी की जनता ने इस बार भी राहुल पर भरोसा करके उन्हें अपना सांसद चुना है। चुनावी रैलियों में राहुल गांधी ने कहा था कि अमेठी से हमारा दिल का रिश्ता है, फिलहाल इस रिश्ते को अमेठी की जनता ने दिल से ही निभाया है।
गौरतलब है कि इससे पहले राहुल गांधी 2004 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से लगभग 3 लाख वोटों से जीतकर संसद पहुंचे थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 3,33,000 वोटों से पराजित करके अपना अमेठी निर्वाचन क्षेत्र बनाए रखा।
इस चुनाव में कांग्रेस ने कुल 80 लोकसभा सीटों में से 21 सीटें उ.प्र. में जीतकर खुद को पुनर्जीवित किया और इस बदलाव का श्रेय राहुल गांधी को दिया गया। 6 सप्ताह में देश भर में उन्होंने 125 रैलियां में भाषण दिया था। उनकी राजनीतिक रणनीतियों में जमीनी स्तर की सक्रियता को बल देना, ग्रामीण भारत के साथ गहरे संबंध स्थापित करना और कांग्रेस पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत करने की कोशिश करना प्रमुख हैं। अनुभवहीनता के चलते राहुल ने मनमोहन सिंह की सरकार में मन्त्रीपद लेने से इंकार किया।
अमेठी की जनता ने इस बार भी राहुल पर भरोसा करके उन्हें अपना सांसद चुना है। चुनावी रैलियों में राहुल गांधी ने कहा था कि अमेठी से हमारा दिल का रिश्ता है, फिलहाल इस रिश्ते को अमेठी की जनता ने दिल से ही निभाया है।
गौरतलब है कि इससे पहले राहुल गांधी 2004 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से लगभग 3 लाख वोटों से जीतकर संसद पहुंचे थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 3,33,000 वोटों से पराजित करके अपना अमेठी निर्वाचन क्षेत्र बनाए रखा।
इस चुनाव में कांग्रेस ने कुल 80 लोकसभा सीटों में से 21 सीटें उ.प्र. में जीतकर खुद को पुनर्जीवित किया और इस बदलाव का श्रेय राहुल गांधी को दिया गया। 6 सप्ताह में देश भर में उन्होंने 125 रैलियां में भाषण दिया था। उनकी राजनीतिक रणनीतियों में जमीनी स्तर की सक्रियता को बल देना, ग्रामीण भारत के साथ गहरे संबंध स्थापित करना और कांग्रेस पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत करने की कोशिश करना प्रमुख हैं। अनुभवहीनता के चलते राहुल ने मनमोहन सिंह की सरकार में मन्त्रीपद लेने से इंकार किया।
