(वीडियो) देश में पहली बार हुई ड्रोन से पिज्जा डिलिवरी

मुंबई। देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाली फिल्मनगरी मुंबई में भीड़ भरी सड़कों पर चलना कोई आसान काम नहीं और अगर ऐसे में किसी पिज्जा कंपनी क...

मुंबई। देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाली फिल्मनगरी मुंबई में भीड़ भरी सड़कों पर चलना कोई आसान काम नहीं और अगर ऐसे में किसी पिज्जा कंपनी को अपने ग्राहकों तक पिज्जा पहुँचाना हो तो ट्रैफिक की वजह से यह काम किसी चुनौती से कम नहीं है। इसी ट्रैफिक की वजह से लगने वाले जाम में फंसकर पिज्जा की डिलिवरी में देरी हो जाती है, जो इन पिज्जा कम्पनियों के लिए परेशानी के समान है।

इसी परेशानी से निजात पाने के लिए मुंबई में एक पिज्जा आउटलेट ने देश में पहली बार एक नया प्रयोग किया है, जिसमे वह सफल रही है। इस पिज्जा आउटलेट ने देश में पहली बार ड्रोन (मानवरहित सूक्ष्म विमान) के जरिए अपने ग्राहक को पिज्जा पहुंचाने की उपलब्धि हासिल की है।

फ्रांसिस्को पिज्जेरिया के मुख्य कार्यकारी मिखेल रजनी ने बुधवार को कहा कि हम सभी ने वैश्विक ई-कामर्स कंपनी अमेजन द्वारा ड्रोन के इस्तेमाल के बारे में पढ़ा है। हमने सफलतापूर्वक 11 मई को अपने आउटलेट से डेढ़ किलोमीटर दूर एक ग्राहक को पिज्जा की डिलिवरी ड्रोन के जरिए की है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सिर्फ परीक्षण के लिए किया गया। लेकिन इससे इस बात की पुष्टि होती है कि भविष्य में इसका इस्तेमाल नियमित रूप से किया जा सकता है।
रजनी ने कहा कि फोर रोटर ड्रोन ने सेंट्रल मुंबई के लोवर परेल क्षेत्र से उड़ान भरकर पास की वर्ली क्षेत्र की ऊंची इमारत में पिज्जा की डिलिवरी की। उन्होंने दावा किया देश में पहली बार ड्रोन के जरिये पिज्जा की डिलिवरी की गई है। पिछले दो साल से परिचालन कर रही इस पिज्जा आउटलेट ने डिलिवरी का वीडियो बनाया है।

उन्होंने कहा कि ड्रोन से कंपनी का समय व लागत बचती है, अन्यथा कंपनी को पिज्जा की डिलिवरी के लिए दोपहिया वाले एजेंट का सहारा लेना पड़ता है। उन्होंने कहा कि हमने जो किया है, वह अगले चार-पांच साल में आम बात हो जाएगी। रजनी ने बताया कि प्रत्येक ऐसे कस्टमाइज्ड ड्रोन की लागत 2,000 डॉलर बैठती है।

उन्होंने बताया कि अभी ड्रोन के इस्तेमाल के मामले में कई नियामकीय पाबंदियां हैं। मसलन ड्रोन को 400 फीट से अधिक ऊंचाई पर उड़ान की अनुमति नहीं है। इसके अलावा कई तकनीकी दिक्कतें हैं। मसलन इसके परिचालन का दायरा 8 किलोमीटर है, जिसके बाद बैटरी खत्म हो जाती है। हालांकि, चार्जिंग स्टेशनों जैसे उचित ढांचे से इस समस्या का निदान किया जा सकता है।


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