सियासी चंगुल में फंसे मानवेन्द्र पर सेना का शिकंजा

बाड़मेर (दुर्गसिंह राजपुरोहित)। रविवार सुबह बाड़मेर में उस समय चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया, जब सेना के द्वारा जालिपा आर्मी स्टेशन के पीछे...

बाड़मेर (दुर्गसिंह राजपुरोहित)। रविवार सुबह बाड़मेर में उस समय चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया, जब सेना के द्वारा जालिपा आर्मी स्टेशन के पीछे के हिस्से में एक किलोमीटर के क्षेत्र में तारबंदी कर पूरे क्षेत्र को अपने कब्जे में ले लिया गया। आर्मी ने जो क्षेत्र अपने कब्जे में लिया हैं, उनमे पूर्व रक्षा मंत्री जसवंत सिंह के पुत्र कर्नल मानवेन्द्र सिंह का निर्माणाधीन मकान भी तारबंदी में घिर चुका हैं। 

वर्त्तमान में मौके पर आर्मी के जवान साजो-सामान के साथ तैनात है और चुनावी माहौल होने से यहाँ चर्चा का विषय भी बन गया हैं क्योंकि बाड़मेर से जसवंत सिंह बीजेपी से बगावत कर चुनावी मैदान में हैं। इस सारे घटनाक्रंम के बाद बाड़मेर में यह भी एक चुनावी मुद्दा बन सकता हैं क्योंकि बीजेपी के द्वारा पिता पुत्र पर शिकंजा कसने की रणनीति का एक हिस्सा हो सकता हैं।

हालांकि मौके पर मौजूद ग्रामीणो का यह कहना था कि हमारी खातेदारी जमीन पर भी सेना ने रातों-रात तारबंदी कर दी हैं और जब हमे पता चला और मौके पर पहुंचे तो स्थितियां देख हम खुद समझ नही पाये कि ये माजरा क्या हैं।

बहरहाल, इस संबंध में अभी तक ना तो प्रशासन और ना ही सेना के द्वारा कोई बयान दिया गया हैं, जिससे फिलहाल इस मामले में कब और क्या मोड़ आएगा यह कहना सम्भव नही हैं।

वैसे भी कहते हैं कि जब सितारे गर्दिश में हो तो बड़े से बड़े ओहदे पर बैठे लोग परेशानी में आ जाते हैं। बाड़मेर में भी ऐसा ही हो रहा हैं पूर्व रक्षा मंत्री जसवंत सिंह और उनके परिवार के साथ। पहले बीजेपी से जसवंत की टिकट कटी फिर मानवेन्द्र पर कार्रवाई की तलवार लटकी और अब जसवंत सिंह और उनके पुत्र मानवेंद्र सिंह पर सियासत के साथ अब सेना का शिकंजा कसा जा रहा हैं। कर्नल मानवेन्द्र सिंह पूर्व सासंद होने के साथ साथ वर्त्तमान में बीजेपी के शिव इलाके से विधायक भी हैं।

दरअसल, बाड़मेर के जालिपा सैन्य स्टेशन के पास उनके बंगला बनाया जा रहा था और सेना ने इसे अवैध करार देते हुए रविवार तड़के निर्माणाधीन बंगले पर कब्जा करते हुए इसके आसपास के एक किलोमीटर के इलाके में तारबंदी कर टैंक स्थापित किये हैं और आम आदमी का इस इलाके में प्रवेश निषेध कर दिया हैं। सेना ने यहाँ पर सशस्त्र जवान भी तैनात कर दिए हैं। लोगो का आरोप हैं कि ये कारर्वाई गलत हैं और किसानो कि जमीनो पर भी कब्जा किया हैं।

यह हैं मामला : जानकारी के अनुसार 8 अप्रेल 1981 को यह जमीन सेना को मिली थी, उसके बाद इस जमीन पर तारबंदी वर्ष 2010 में करवाई गई और 36 बीघा जमीन को प्रशिक्षण कार्यो के लिए बिना तारबंदी के छोड़ दिया गया। लेकिन इसके बाद आठ बीघा जमीन को मानवेन्द्र सिंह के द्वारा किसी तीसरी पार्टी से खरीदा गया। सेना और मानवेन्द्र सिंह के मध्य विवाद की स्थिति होने पर 21 जुलाई 2012 को सेना और मानवेन्द्र सिंह इस मामले को लेकर कोर्ट में पहुंचे, लेकिन शनिवार को देर रात कार्रवाई होना संशय पैदा कर रहा हैं कि क्या वजह रही कि सेना को रविवार तड़के इस कार्रवाई को अंजाम देना पड़ा।


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