"हां हां, चोरी की ही फ़िल्म बनाई है मैंने, जो उखड़ सकता है उखाड़ लेना"
जयपुर। राजस्थानी फिल्म के एक डायरेक्टर चिंटू माहेश्वरी, जिन्होंने हाल ही में फिल्म "म्हारे हिवड़ा में नाचे मोर" बनाई है, उनका ...
https://khabarrn1.blogspot.com/2014/03/director-of-mhare-hiwda-me-nache-mor-says-everything-is-copy-in-my-film.html
जयपुर। राजस्थानी फिल्म के एक डायरेक्टर चिंटू माहेश्वरी, जिन्होंने हाल ही में फिल्म "म्हारे हिवड़ा में नाचे मोर" बनाई है, उनका कहना है कि उनकी इस फिल्म में सब कुछ चोरी का है। डायरेक्टर साहब ने तो यहां तक भी कह दिया कि उनकी इस फिल्म में हीरो-हिरोईन भी चोरी के हैं, जो कि फिल्म में काम करने वाले अपने कलाकारों के अभिनय की मजाक उड़ाना है। अब भला कोई इन डायरेक्टर साहब से ये पूछे कि किसी फिल्म में अभिनय करने वाले कलाकार आखिर कैसे चोरी किए जा सकते हैं।
दरअसल, शुक्रवार 21 मार्च को रिलीज हुई फिल्म "म्हारे हिवड़ा में नाचे मोर" का पहला शो जयपुर के गोलछा सिनेमा में ग्रैंड प्रीमियर के तौर पर देखा गया था, जिसमे फिल्म की स्टार कास्ट समेत पूरी टीम और मीडिया ने फिल्म को सिल्वर स्क्रीन पर देखा था। इसके बाद RajasthanNews1 पर फिल्म की समीक्षा पब्लिश की गई थी, जो डायरेक्टर साहब के गले नहीं उतर सकी और उसे पढने के बाद फिल्म के डायरेक्टर साहब ने गुस्से से आग-बबूला होकर फिल्म-समीक्षा लिखने वाले को अपनी भड़ास का शिकार बनाते हुए 'हड़काना' शुरू कर दिया।
गुस्से से लाल-पीले हुए डायरेक्टर साहब ने अपना आपा खोते हुए वह सब बोल डाला जो उनके मन में आया। गुस्से के मारे डायरेक्टर साहब ने फिल्म की कहानी को बॉलीवुड की फिल्म 'नो एंट्री' से चोरी करने की बात तक कबूल कर ली, जो कि समीक्षा में कुछ हद तक मिलती-जुलती बताई गई थी। इतना ही नहीं डायरेक्टर साहब ने तो यहां तक कह दिया कि, "हां, मेरी फिल्म की ना सिर्फ स्टोरी बल्कि गाने, हीरो-हिरोईन और सब कुछ चोरी का है, तुमसे जो उखड़ सकता है उखाड़ लेना...।"
ऐसे में डायरेक्टर साहब के द्वारा फोन पर कही गई बातें उन सब बातों को और भी मजबूत कर गई, जो कि फिल्म की समीक्षा में बताई गई थी, जिसे डायरेक्टर साहब हजम नहीं कर पाए और गुस्से से आग-बबूला होकर किए गए फोन पर उन्होंने खुद ने भी कबूल ली।
बहरहाल, अगर कोई डायरेक्टर इस तरह से चोरी की फ़िल्में बनाता है तो, ऐसे में क्या यह उम्मीद की जा सकती है कि राजस्थानी फिल्मों का जो दौर कभी 'रमकूड़ी-झमकूडी', 'बाई चाली सासरिये', 'बाबा रामदेव', 'ननद-भोजाई' सरीखी फिल्मों के समय में हुआ करता था, उसे फिर से ला पाना संभव हो सकेगा?
दरअसल, शुक्रवार 21 मार्च को रिलीज हुई फिल्म "म्हारे हिवड़ा में नाचे मोर" का पहला शो जयपुर के गोलछा सिनेमा में ग्रैंड प्रीमियर के तौर पर देखा गया था, जिसमे फिल्म की स्टार कास्ट समेत पूरी टीम और मीडिया ने फिल्म को सिल्वर स्क्रीन पर देखा था। इसके बाद RajasthanNews1 पर फिल्म की समीक्षा पब्लिश की गई थी, जो डायरेक्टर साहब के गले नहीं उतर सकी और उसे पढने के बाद फिल्म के डायरेक्टर साहब ने गुस्से से आग-बबूला होकर फिल्म-समीक्षा लिखने वाले को अपनी भड़ास का शिकार बनाते हुए 'हड़काना' शुरू कर दिया।
गुस्से से लाल-पीले हुए डायरेक्टर साहब ने अपना आपा खोते हुए वह सब बोल डाला जो उनके मन में आया। गुस्से के मारे डायरेक्टर साहब ने फिल्म की कहानी को बॉलीवुड की फिल्म 'नो एंट्री' से चोरी करने की बात तक कबूल कर ली, जो कि समीक्षा में कुछ हद तक मिलती-जुलती बताई गई थी। इतना ही नहीं डायरेक्टर साहब ने तो यहां तक कह दिया कि, "हां, मेरी फिल्म की ना सिर्फ स्टोरी बल्कि गाने, हीरो-हिरोईन और सब कुछ चोरी का है, तुमसे जो उखड़ सकता है उखाड़ लेना...।"
डायरेक्टर साहब की बात सुनने के लिए यहां क्लिक करें
ऐसे में डायरेक्टर साहब के द्वारा फोन पर कही गई बातें उन सब बातों को और भी मजबूत कर गई, जो कि फिल्म की समीक्षा में बताई गई थी, जिसे डायरेक्टर साहब हजम नहीं कर पाए और गुस्से से आग-बबूला होकर किए गए फोन पर उन्होंने खुद ने भी कबूल ली।
बहरहाल, अगर कोई डायरेक्टर इस तरह से चोरी की फ़िल्में बनाता है तो, ऐसे में क्या यह उम्मीद की जा सकती है कि राजस्थानी फिल्मों का जो दौर कभी 'रमकूड़ी-झमकूडी', 'बाई चाली सासरिये', 'बाबा रामदेव', 'ननद-भोजाई' सरीखी फिल्मों के समय में हुआ करता था, उसे फिर से ला पाना संभव हो सकेगा?
