लोकपाल विधेयक राज्यसभा में पारित, आज होगा लोकसभा में पेश

नई दिल्ली। सरकार में शीर्ष स्तर पर भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करने के लिए लोकायुक्त की नियुक्ति के प्रावधान के लिए लाए गए लोकपाल विधे...

नई दिल्ली। सरकार में शीर्ष स्तर पर भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करने के लिए लोकायुक्त की नियुक्ति के प्रावधान के लिए लाए गए लोकपाल विधेयक को भाजपा एवं वाम सहित अधिकतर दलों के समर्थन से मंगलवार को राज्यसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया

भ्रष्टाचार-रोधी इस विधेयक के सबसे अहम प्रावधान में विधेयक के कानून के रूप में अधिसूचित होने के एक वर्ष के भीतर केंद्रीय स्तर पर लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति की जानी है। लोकायुक्त का स्वरूप तय किया जाना राज्यों की विधानसभाओं पर छोड़ा गया है। विधेयक को लोकसभा ने पहले ही पारित कर दिया था, लेकिन राज्यसभा में कुछ संशोधनों के कारण उसे फिर से मंजूरी के लिए लोकसभा में भेजा जाएगा।

लोकसभा से वर्ष 2011 में पारित यह विधेयक उस समय राज्यसभा में पारित नहीं हो पाया था और उसी समय से लंबित था। राज्यसभा की एक प्रवर समिति ने विधेयक में कुछ बदलाव के सुझाव दिए, जिसे विधेयक में शामिल किया गया और केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उसे मंजूरी दी। राज्यसभा में विधेयक पर हुई चर्चा का समापन करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने इसे ऐतिहासिक घड़ी करार दिया, लेकिन इस बात पर भी जोर दिया कि अकेले लोकपाल से भ्रष्टाचार दूर नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा, "कानून अकेले भ्रष्टाचार को नहीं मिटा सकता। कानून भ्रष्ट लोगों से निपटने में मदद कर सकता है, लेकिन भ्रष्टाचार की प्रेरणा से नहीं निपट सकता। यह महज एक प्रतिरोधक हो सकता है।"उन्होंने यह भी कहा कि सरकार, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी द्वारा उठाए गए 'आपूर्ति पक्ष' के भ्रष्टाचार से भी निपटेगी। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार निवारक विधेयक में संशोधन संबंधी विधेयक लोकसभा में लंबित है, जिसमें रिश्वत के स्रोत से निपटने की व्यवस्था की गई है।

मंगलवार को राज्यसभा से पारित विधेयक के अनुसार, लोकपाल में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्य शामिल होंगे, जिनमें से 50 प्रतिशत न्यायिक सदस्ये होंगे। लोकपाल के 50 प्रतिशत सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाएं होंगी।विधेयक पारित होने के बाद संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ ने संसद के उच्च सदन में विधेयक को पारित कराने में मदद के लिए सभी दलों को धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा, "आज का दिन ऐतिहासिक है। राज्यसभा में विधेयक पारित कराने के लिए मैं सभी दलों को धन्यवाद देता हूं। राजनीति में बढ़ रही आत्मविश्वास की कमी को दूर करने के लिए यह समय की मांग थी।" विधेयक पारित होने के बाद सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा कि यह अच्छा विधेयक है, लेकिन यह देखना बाकी है कि यह अच्छी तरह से किस तरह काम करेगा।

इससे पहले सदन में हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा कि संसद को लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने वाले एक 'प्रभावी लोकपाल' विधेयक पारित करना चाहिए।

इस विधेयक को राज्यसभा में पारित किए जाने के बावजूद मंगलवार को सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का अनशन आठवें दिन भी जारी रहा। उनकी सहयोगी और दिल्ली पुलिस की पूर्व अधिकारी किरण बेदी ने अपने ट्विट में कहा था कि वे संसद में जारी चर्चा पर नजर रखे हुई हैं। इस विधेयक पर अब बुधवार को लोकसभा में चर्चा होगी।

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