लोकसभा में पास हुआ लोकपाल बिल, अन्ना ने तोड़ा अनशन
नई दिल्ली। सरकारी महकमे में भ्रष्टाचार के खिलाफ जन आंदोलनों से उपजे ऐतिहासिक लोकपाल विधेयक को आज संसद की मंजूरी मिलने के साथ अन्ना हजारे ...
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नई दिल्ली। सरकारी महकमे में भ्रष्टाचार के खिलाफ जन आंदोलनों से उपजे ऐतिहासिक लोकपाल विधेयक को आज संसद की मंजूरी मिलने के साथ अन्ना हजारे ने अपना अनशन तोड़ दिया।
अन्ना दस दिसंबर से अनशन पर थे। इससे पहलेलोकसभा ने राज्यसभा से संशोधनों के साथ पारित इस विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत से अपनी मुहर लगा दी। राज्यसभा ने इसे मंगलवार को अपनी प्रवर समिति के सुझाए 15 संशोधनों के साथ पारित किया था।
विधि मंत्री कपिल सिब्बल द्वारा चर्चा के लिए पेश विधेयक का सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने ही समर्थन करते हुए इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई में महत्वपूर्ण हथियार बताया। विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने चर्चा शुरू करते हुए इस बात पर एतराज किया कि सरकार और कांग्रेस इस विधेयक का श्रेय लेने की कोशिश कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक का पूरा श्रेय जानेमाने समाजसेवी अन्ना हजारे और देश की जनता को जाता है, जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने लगातार आंदोलन से सरकार को यह कानून बनाने के लिए मजबूर कर दिया। स्वराज ने कहा कि सदन ने दिसंबर 2011 में जो लोकपाल विधेयक पारित किया था, वह कमजोर तथा खामियों और विसंगतियों से भरा था। उस समय विधेयक में बदलाव करने की विपक्ष की मांग को सरकार ने अनसुना कर दिया था।
उन्होंने इस बात के लिए राज्यसभा की सराहना की कि उसने उस विधेयक को प्रवर समिति के सुपुर्द कर दिया। प्रवर समिति ने 15 महत्वपूर्ण सिफारिशों के साथ इसे लौटाया, जिनमें से 13 को सरकार ने विधेयक में शामिल किया। लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि चर्चा के बाद सरकार ने वहां बाकी दो सिफारिशों को भी स्वीकार कर लिया।
स्वराज ने कहा कि विधेयक को जल्दी पारित कराने में सरकार ही टालमटोल करती रही है। राज्यसभा की प्रवर समिति ने साल भर पहले अपनी सिफारिशें दे दी थीं, मगर सरकार इसे पारित कराने के लिए नहीं लाई।
मौजूदा सत्र में भी सत्तारूढ़ पार्टी और उसके सहयोगी सदन की कार्यवाही में लगातार व्यवधान डालते रहे, जिससे एक भी दिन कामकाज नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि सत्तरूढ कांग्रेस के सदस्यों ने उस समय सारी हदें पार कर दीं, जब उन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया।
कांग्रेस के राहुल गांधी ने विधेयक का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई और सरकारी महकमे की जनता के प्रति जवाबदेही तय करने के लिए लोकपाल का गठन महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि लेकिन लोकपाल ही पर्याप्त नहीं है और इसके लिए भ्रष्टाचार विरोधी व्यापक तंत्र की जरूरत है। गांधी ने कहा कि सरकार ने यह तंत्र बनाने के लिए छह और विधेयक संसद में पेश किए हैं, जिन्हें इसी सत्र में पारित किया जाना चाहिए। उन्होंने इन विधेयकों को पारित कराने के लिए संसद के मौजूदा सत्र को बढाने की अपील की।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक संशोधन विधेयक के अलावा सेवाओं और वस्तुओं के समयबद्ध निष्पादन, न्यायिक जवाबदेही, विदेशी सरकारी अधिकारी रिश्वत निवारण, सरकारी खरीद तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों के संरक्षण से संबंधित विधेयक संसद में लंबित हैं। हमारी जिम्मेदारी है कि उन सभी को मौजूदा लोकसभा के कार्यकाल में ही पारित कराया जाए।
इस दौरान आंध्र प्रदेश के विभाजन का विरोध कर रहे तेलुगू देशम पार्टी, वाई आर एस कांग्रेस और कांग्रेस के सदस्य अध्यक्ष के आसन के पास आकर शोरशराबा करते रहे। इस हंगामे की वजह से सरकार के खिलाफ दो अविश्वास प्रस्ताव नोटिसों पर आगे की कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकी।
अन्ना दस दिसंबर से अनशन पर थे। इससे पहलेलोकसभा ने राज्यसभा से संशोधनों के साथ पारित इस विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत से अपनी मुहर लगा दी। राज्यसभा ने इसे मंगलवार को अपनी प्रवर समिति के सुझाए 15 संशोधनों के साथ पारित किया था।
विधि मंत्री कपिल सिब्बल द्वारा चर्चा के लिए पेश विधेयक का सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने ही समर्थन करते हुए इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई में महत्वपूर्ण हथियार बताया। विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने चर्चा शुरू करते हुए इस बात पर एतराज किया कि सरकार और कांग्रेस इस विधेयक का श्रेय लेने की कोशिश कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक का पूरा श्रेय जानेमाने समाजसेवी अन्ना हजारे और देश की जनता को जाता है, जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने लगातार आंदोलन से सरकार को यह कानून बनाने के लिए मजबूर कर दिया। स्वराज ने कहा कि सदन ने दिसंबर 2011 में जो लोकपाल विधेयक पारित किया था, वह कमजोर तथा खामियों और विसंगतियों से भरा था। उस समय विधेयक में बदलाव करने की विपक्ष की मांग को सरकार ने अनसुना कर दिया था।
उन्होंने इस बात के लिए राज्यसभा की सराहना की कि उसने उस विधेयक को प्रवर समिति के सुपुर्द कर दिया। प्रवर समिति ने 15 महत्वपूर्ण सिफारिशों के साथ इसे लौटाया, जिनमें से 13 को सरकार ने विधेयक में शामिल किया। लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि चर्चा के बाद सरकार ने वहां बाकी दो सिफारिशों को भी स्वीकार कर लिया।
स्वराज ने कहा कि विधेयक को जल्दी पारित कराने में सरकार ही टालमटोल करती रही है। राज्यसभा की प्रवर समिति ने साल भर पहले अपनी सिफारिशें दे दी थीं, मगर सरकार इसे पारित कराने के लिए नहीं लाई।
मौजूदा सत्र में भी सत्तारूढ़ पार्टी और उसके सहयोगी सदन की कार्यवाही में लगातार व्यवधान डालते रहे, जिससे एक भी दिन कामकाज नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि सत्तरूढ कांग्रेस के सदस्यों ने उस समय सारी हदें पार कर दीं, जब उन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया।
कांग्रेस के राहुल गांधी ने विधेयक का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई और सरकारी महकमे की जनता के प्रति जवाबदेही तय करने के लिए लोकपाल का गठन महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि लेकिन लोकपाल ही पर्याप्त नहीं है और इसके लिए भ्रष्टाचार विरोधी व्यापक तंत्र की जरूरत है। गांधी ने कहा कि सरकार ने यह तंत्र बनाने के लिए छह और विधेयक संसद में पेश किए हैं, जिन्हें इसी सत्र में पारित किया जाना चाहिए। उन्होंने इन विधेयकों को पारित कराने के लिए संसद के मौजूदा सत्र को बढाने की अपील की।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक संशोधन विधेयक के अलावा सेवाओं और वस्तुओं के समयबद्ध निष्पादन, न्यायिक जवाबदेही, विदेशी सरकारी अधिकारी रिश्वत निवारण, सरकारी खरीद तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों के संरक्षण से संबंधित विधेयक संसद में लंबित हैं। हमारी जिम्मेदारी है कि उन सभी को मौजूदा लोकसभा के कार्यकाल में ही पारित कराया जाए।
इस दौरान आंध्र प्रदेश के विभाजन का विरोध कर रहे तेलुगू देशम पार्टी, वाई आर एस कांग्रेस और कांग्रेस के सदस्य अध्यक्ष के आसन के पास आकर शोरशराबा करते रहे। इस हंगामे की वजह से सरकार के खिलाफ दो अविश्वास प्रस्ताव नोटिसों पर आगे की कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकी।
