MLA को गिरफ्तार करने गई पुलिस को लौटना पड़ा खाली हाथ

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बिजनौर से बीजेपी के विधायक कुंवर भारतेंद्र सिंह को गिरफ्तार करने के लिए गई उत्तर प्रदेश पुलिस को उत्तराखंड के बीजे...

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बिजनौर से बीजेपी के विधायक कुंवर भारतेंद्र सिंह को गिरफ्तार करने के लिए गई उत्तर प्रदेश पुलिस को उत्तराखंड के बीजेपी विधायकों के गुस्से का सामना करना पड़ा और आखिरकार विरोध के चलते पुलिस को बैरंग वापस लौटना पड़ा।

पुलिस पर आरोप ये भी हैं कि वो बिना वारंट के विधायक को गिरफ्तार करने गई थी। सवाल ये है कि आखिर बेइज्जत हुई पुलिस ने गिरफ्तारी का ये दिखावा किया क्यों। दूसरी ओर कुंवर भारतेंद्र सिंह, पर ये आरोप है कि इन्होंने मुजफ्फरनगर में दंगा भड़काने में अपना योगदान दिया है। उन पर भड़काऊं भाषण देने का आरोप है।

उत्तर प्रदेश पुलिस के दावों की माने तो ये भारतेंद्र सिंह को गिरफ्तार करने पहुंची थी, लेकिन देखिए पुलिस वालों के लिए सड़क पर भी खड़ा होना मुहाल हो गया। विधायक जी को गिरफ्तार करने पहुंची उत्तर प्रदेश पुलिस को दुत्कार, अपमान का सामना करना पड़ा। शायद आम आदमी होता तो पुलिस जवाब देती। लेकिन यहां तो उसे ही एक-एक पल भारी पड़ रहा था। विधायक जी पूछ रहे थे कहां है गिरफ्तारी का वारंट, कहां है कागजात।

आखिरकार पुलिस वालों को बैरंग ही वापस लौटना पड़ा। कुंवर भारतेंद्र सिंह को गिरफ्तार करने में पुलिस को नाकामी हाथ लगी। अब सवाल ये है कि आखिर सरेआम सड़क पर इतनी बुरी तरह से बेइज्जती सहने वाली और बेबसी दिखाने वाली यूपी पुलिस नेता जी को वारंट क्यों नहीं दिखा पाई। आखिर वो बिना तैयारी के कैसे देहरादून पहुंच गई।

एक न्यूज चेनल ने जब इस बारे में पुलिस अफसरों से बात की तो वो कैमरे के सामने नहीं आएं। लेकिन उनका कहना था कि  उनके पास विधायक की गिरफ्तारी के सारे कागजात थे। हांलाकि देहरादून के बीजेपी विधायक दावा कर रहे हैं कि दुनिया की कोई ताकत भारतेंद्र सिंह को गिरफ्तार नहीं कर सकती।

उधर गिरफ्तारी में बाधक बने विधायक गणेश जोशी ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर फर्जी मुकदमा दर्ज करने का आरोप मढ़ते हुए कहा कि उनके पास गिरफ्तारी वारंट नहीं है। बिना वारंट के वह अपनी पार्टी के विधायक को गिरफ्तार नहीं होने देंगे। उधर इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस की मंशा पर भी सवाल उठ रहे हैं। एक तो उत्तर प्रदेश पुलिस बिना तैयारी के विधायक को गिरफ्तार करने पहुंची। दूसरा यह कि देहरादून पहुंची यूपी पुलिस की टीम में कई पुलिस अधिकारी भेजे गये थे, लेकिन मौके पर सिर्फ दारोगा व चार सिपाही ही गये।

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