आप खुद ही फैसला कीजिए, भ्रष्टाचार बंद होना चाहिए या भारत बंद : नरेन्द्र मोदी
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पीएम मोदी ने कहा कि 500 और 1000 रुपए के नोट बदलने से जहां लोगों को कुछ परेशानी होगी, वहीं इससे एक नए भारत का निर्माण होगा। नोटबंदी के इस फैसले से जहां बड़े-बड़े लोगों को बड़ी तकलीफ होगी, वहीं छोटे-छोटे लोगों को यह तकलीफ छोटी सी लग रही है। पीएम ने कांग्रेस के 28 नवंबर को आक्रोश दिवस मनाने और भारत बंद पर निशाना साधते हुए कहा कि हम देश में भ्रष्टाचार बंद करने की कोशिश में जुटे हुए हैं और कुछ लोग भारत बंद करने में।
पीएम ने लोगों से पूछा की आप ही बताइए क्या बंद होना चाहिए, भ्रष्टाचार या फिर भारत। इससे पहले अपने संबोधन की शुरुआत भोजपुरी में करते हुए पीएम ने लोगों को को भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार कभी भी किसी को चोट नहीं पहुंचाएगी। काला धन बाहर लाने के अभियान में हम लगे हैं। इसी कारण सभी को थोड़ी तकलीफ होगी। मेरा निर्णय सरल नहीं है, इसको लागू करना भी सरल नहीं था, लेकिन आप सभी लोगों के भरोसे ने मुझे इस फैसले को लागू करने का साहस दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 70 साल से देश के गरीब को लूटा। अब देश को नहीं लूटने देंगे।बिना पैसे के कारोबार चलाने की दिशा में सारी दुनिया चल पड़ी है, हम पीछे रह गए हैं। पर अब भारत पीछे नहीं रहेगा। 70 सालों तक की लूट का पैसा निकालकर गरीबों को बिजली और दवाई लाएंगे, आप सहयोग कीजिए देश में अब भ्रष्टाचार नहीं आने पाएगा।
पीएम मोदी ने कहा कि लोगों को तकनीक धीरे-धीरे अपने आप आ गई। ऐसे ही जल्द ही कैश ट्रांसफर करना भी लोगों को आ जाएगा। इसी आसानी से बैंक में अगर खाता है, आप कुछ भी खरीद सकते हो। आपके हथेली में बैंक है। बटुए की जरूरत नहीं, मोबाइल में पैसे होते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि देश में आधे से ज्यादा लोग ऑनलाइन टिकट खरीद रहे हैं।
यहां गन्ना का किसान बहुत परेशानियों से गुजरा है। चीनी मिलें जीवन के लिए चुनौती बन गयी। मैं आपका सेवक हूं आपने मुझे बहुत दिया है। मैं उसका कर्ज चुकाने आया हूं। देने वाली सरकार नहीं आम जनता है। चीनी मिल वाले आये थे कहा, साहेब दाम कम हो गये पैकेज दे दो। पहली मीटिंग में मैंने उनसे कहा कि जितना मांगोगे उतना देने के लिए तैयार हूं। वो खुश हो गये। मैंने बकाये का हिसाब मांगा। उनके पसीने छूट गये, फिर उन्होंने पैकेज से मना कर दिया।
सरकार ने फैसला किया गन्ना किसानों का फायदा सीधे किसानों को मिलेगा। बिचौलिया बीच में नही आयेगा। समस्याएं आती है लेकिन उसके रास्ते भी खोजे जा सकते हैं। कुछ चीनी मिलें बंद थी उनका कहना था कि उन्हें नुकसान हो रहा है। हमने उन्हें इनेनॉल बनाने के लिए कहा इससे काफी मदद मिली। हमने 100 करोड़ लीटर का इथेनॉल बना दिया है।
यूरिया के लिए किसानो को लंबी कतार लगती थी। उन्हें लाठी खानी पड़ती थी। यह बड़ा बदलाव कैसे आया। उस वक्त यूरिया किसानों के खेतों में नहीं केमिकल कारखानों में चला जाता था। हमने यूरिया की नीमकोटिंग कर दी। कैमिकल के लिए यह यूरिया बेकार हो गया। पहले की सरकारें सब जानती थी। उन्हें किसान से ज्यादा पूंजीपतियों की चिंता था।