2017 तक राजस्थान के 15 हजार घरों मे होगा सौर विद्युतीकरण
https://khabarrn1.blogspot.com/2016/06/By-2017-the-15-thousand-households-in-Rajasthan-gets-solar-electrification.html
जयपुर। एक ऐसे देश में जहां एक चौथाई जनसंख्या के पास बिजली उपलब्ध नहीं है, यहां द कोका-कोला इंडिया फाउंडेशन, आनंदना ने आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर अपने क्रियान्वयन सहयोगी अद्वित फाउंडेशन, मंथन संस्थान, प्रयत्न संस्थान और सोशल एक्शन फॉर रूरल एडवांस्मेंट के साथ मिलकर 2017 तक राजस्थान के 15 हजार घरों का सौर विद्युतीकरण करने की घोषणा की।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य राजस्थान के 100 गावों के 15 हजार घरों में रहने वाली 1 लाख की आबादी को सौर ऊर्जा प्रदान कर लाभ पहुंचाना है। इसके लिए कोका-कोला फाउंडेशन के सहयोगियों और सामाजिक सदस्यों ने आज पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण इलाकों में अक्षय ऊर्जा संसाधनों के उपयोग से महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
ग्रामीण भारत के सौर विद्युतीकरण का अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2019 तक हर घर में 24 घंटे बिजली सुनिश्चित करने के लक्ष्य में भी योगदान दे रहा है। वर्तमान समय में, राजस्थान में दूर-दराज़ के गांव रौशनी तथा अन्य घरेलू कामों के लिए खनिज तत्वों पर आधारित ईंधन (कोयला, केरोसीन) पर निर्भर हैं।
केरोसीन लैंप से निकलने वाला धुआं और अपर्याप्त रौशनी से पर्यावरण एवं आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य जोखिम और बच्चों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ग्रामीण भारत में केरोसीन लैंप का इस्तेमाल सांस संबंधी संक्रमण का प्रमुख कारण है। भारत की ऊर्जा प्रणाली की खनिज आधारित ईंधन पर अधिक निर्भरता से पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रति लीटर केरोसीन जलने से 2.8 किलो ब्व्2 यानि कार्बन डाइऑक्साइड पैदा होता है।
इन मुश्किलों को हल करने के लिए आनंदना फाउंडेशन अपने सहयोगी गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर अक्षय ऊर्जा स्रोतों (सौर ऊर्जा) के इस्तेमाल की सख्त जरूरत को बढ़ावा दे रहे हैं और इस तरह पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिक महिला समर्थक तैयार कर रहे हैं। इस परियोजना के अंतर्गत फाउंडेशन ने एक क्षमता निर्माण कार्यक्रम भी शुरु किया है जिसमें स्थानीय स्तर पर महिलाओं को सोलर लाइट्स स्थापित करने, उनके संचालन, देखभाल और मरम्मत का प्रशिक्षण दिया जाएगा और इस तरह से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। सोलर लाइट उपलब्ध होने से इन महिलाओं के उत्पादक समय में वृद्धि होगी जिससे आगे चलकर उनकी आजीविका और आमदनी के अवसर भी बढ़ेंगे।
परियोजना के बारे में बताते हुए कोका-कोला इंडिया फाउंडेशन - आनंदना के सीईओ योगेश चंद्रा ने बताया कि, “राजस्थान के कई गांवों में पर्याप्त बिजली उपलब्ध नहीं है। हमारा फाउंडेशन यहां की आम जनता का जीवन बेहतर बनाने के लिए पर्यावरण पर्यावरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्थायी विकास हेतु प्रतिबद्ध है। हमें खुशी है कि हमारी सौर विद्युतीकरण परियोजना के जरिये हम दूर-दराज़ के गावों में लोगों को ऊर्जा का सुरक्षित एवं स्वच्छ स्रोत प्रदान कर सकेंगे और उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाएंगे।”
अद्वित फाउंडेशन, मंथन संस्थान, प्रयत्न संस्थान और सोशल एक्शन फॉर रूरल एडवांस्मेंट के प्रतिनिधि प्रमुखों ने संयुक्त रूप से विचार व्यक्त करते हुए कहा, “इन गांवों के लोग सोलर लांटेन के उपयोग के साथ एक बेहतर जीवन व्यतीत कर पाएंगे। अंधेरा होने के बाद बच्चे अपनी पढ़ाई कर सकेंगे और लोग शाम के समय में काम करते हुए अपनी आमदनी बढ़ा सकेंगे। साथ ही घर के अंदर केरोसीन लैंप से पैदा होने वाले धुएं में कमी आने से इन 1 लाख लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होगा।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य राजस्थान के 100 गावों के 15 हजार घरों में रहने वाली 1 लाख की आबादी को सौर ऊर्जा प्रदान कर लाभ पहुंचाना है। इसके लिए कोका-कोला फाउंडेशन के सहयोगियों और सामाजिक सदस्यों ने आज पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण इलाकों में अक्षय ऊर्जा संसाधनों के उपयोग से महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
ग्रामीण भारत के सौर विद्युतीकरण का अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2019 तक हर घर में 24 घंटे बिजली सुनिश्चित करने के लक्ष्य में भी योगदान दे रहा है। वर्तमान समय में, राजस्थान में दूर-दराज़ के गांव रौशनी तथा अन्य घरेलू कामों के लिए खनिज तत्वों पर आधारित ईंधन (कोयला, केरोसीन) पर निर्भर हैं।
केरोसीन लैंप से निकलने वाला धुआं और अपर्याप्त रौशनी से पर्यावरण एवं आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य जोखिम और बच्चों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ग्रामीण भारत में केरोसीन लैंप का इस्तेमाल सांस संबंधी संक्रमण का प्रमुख कारण है। भारत की ऊर्जा प्रणाली की खनिज आधारित ईंधन पर अधिक निर्भरता से पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रति लीटर केरोसीन जलने से 2.8 किलो ब्व्2 यानि कार्बन डाइऑक्साइड पैदा होता है।
इन मुश्किलों को हल करने के लिए आनंदना फाउंडेशन अपने सहयोगी गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर अक्षय ऊर्जा स्रोतों (सौर ऊर्जा) के इस्तेमाल की सख्त जरूरत को बढ़ावा दे रहे हैं और इस तरह पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिक महिला समर्थक तैयार कर रहे हैं। इस परियोजना के अंतर्गत फाउंडेशन ने एक क्षमता निर्माण कार्यक्रम भी शुरु किया है जिसमें स्थानीय स्तर पर महिलाओं को सोलर लाइट्स स्थापित करने, उनके संचालन, देखभाल और मरम्मत का प्रशिक्षण दिया जाएगा और इस तरह से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। सोलर लाइट उपलब्ध होने से इन महिलाओं के उत्पादक समय में वृद्धि होगी जिससे आगे चलकर उनकी आजीविका और आमदनी के अवसर भी बढ़ेंगे।
परियोजना के बारे में बताते हुए कोका-कोला इंडिया फाउंडेशन - आनंदना के सीईओ योगेश चंद्रा ने बताया कि, “राजस्थान के कई गांवों में पर्याप्त बिजली उपलब्ध नहीं है। हमारा फाउंडेशन यहां की आम जनता का जीवन बेहतर बनाने के लिए पर्यावरण पर्यावरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्थायी विकास हेतु प्रतिबद्ध है। हमें खुशी है कि हमारी सौर विद्युतीकरण परियोजना के जरिये हम दूर-दराज़ के गावों में लोगों को ऊर्जा का सुरक्षित एवं स्वच्छ स्रोत प्रदान कर सकेंगे और उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाएंगे।”
अद्वित फाउंडेशन, मंथन संस्थान, प्रयत्न संस्थान और सोशल एक्शन फॉर रूरल एडवांस्मेंट के प्रतिनिधि प्रमुखों ने संयुक्त रूप से विचार व्यक्त करते हुए कहा, “इन गांवों के लोग सोलर लांटेन के उपयोग के साथ एक बेहतर जीवन व्यतीत कर पाएंगे। अंधेरा होने के बाद बच्चे अपनी पढ़ाई कर सकेंगे और लोग शाम के समय में काम करते हुए अपनी आमदनी बढ़ा सकेंगे। साथ ही घर के अंदर केरोसीन लैंप से पैदा होने वाले धुएं में कमी आने से इन 1 लाख लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होगा।