‘भारत में ऐतिहासिक लेखन की उभरती दृष्टियाँ’ विषय पर नेशनल कान्फ्रेंस 29 से

Rajasthan University, राजस्थान विश्वविद्यालय, राजस्थान अध्ययन केन्द्र
जयपुर। इतिहास एवं भारतीय संस्कृति विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय तथा राजस्थान अध्ययन केन्द्र, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में 29 एवं 30 जनवरी को ‘भारत में ऐतिहासिक लेखन की उभरती दृष्टियाँ’ (इमर्जिंग परसेप्शन्स आॅफ हिस्टोरिकल राइटिंग्स इन इंडिया) विषय पर दो दिवसीय नेशनल कान्फ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है।

काॅन्फ्रेंस के संयोजक इतिहास एवं भारतीय संस्कृृति विभाग के अध्यक्ष एवं राजस्थान अध्ययन केन्द्र के निदेशक प्रोफेसर कृष्णगोपाल शर्मा ने बताया कि इस संगोष्ठी में भारतीय इतिहास लेखन की नवीन प्रवृत्तियों एवं पद्धतियों पर विमर्श किया जाएगा। 

इसके अन्तर्गत वाचिक इतिहास, नवपुरातत्व, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, आर्य आक्रमण की मिथ, सरस्वती नदी की ऐतिहासिकता, पर्यावरणीय इतिहास, फेमिनिस्ट इतिहास लेखन, कृषक एवं दलित केन्द्रित इतिहास, उत्तर-आधुनिक इतिहास, जनजातीय समाज के भक्ति संत, महाराणा प्रताप, शिवाजी, गुरू गोबिन्द सिंह, अकबर, औरंगजेब एवं टीपू सुल्तान से सम्बन्धित नवीन विवाद आदि विषयों पर विचार-मंथन होगा।

प्रोफेसर कृष्णगोपाल शर्मा ने बताया कि ने बताया कि कान्फ्रेन्स का उद्घाटन समारोह 29 जनवरी को सुबह साढ़े 10 बजे राजस्थान विश्वविद्यालय के मानविकी पीठ सभागार में होगा।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पंजाब विष्वविद्यालय के इतिहास विभाग के आचार्य एवं सुविज्ञ इतिहासविद् प्रो. जे. के. शर्मा होंगे। कान्फ्रेन्स का उद्घाटन संभाषण रोहिलखण्ड विष्वविद्यालय, बरेली के सुप्रसिद्ध इतिहास विषेषज्ञ प्रो. अतुल कुमार सिन्हा द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा।

कान्फ्रेन्स का समापन समारोह 30 जनवरी को दोपहर 3 बजे आयोजित किया जाएगा। इस समापन समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकारसिंह लखावत होंगे। कान्फ्रेन्स का समापन संभाषण बरहामपुर विश्वविद्यालय, उड़ीसा के इतिहास विभाग के आचार्य प्रो. नारायण राव द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा।

अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन सचिव डाॅ. बालमुकुन्द पाण्डेय कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। इस संगोष्ठी में भारत के विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 500 इतिहासकार एवं शोधार्थी भाग ले रहे हैं।

संगोष्ठी का आयोजन राजस्थान विश्वविद्यालय के मानविकी पीठ सभागार में किया जाएगा। इस संगोष्ठी में भारत के विभिन्न क्षेत्रों से अनेक नामी इतिहासकार भाग ले रहे हैं।

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