असंगठित क्षेत्र को पर्सनल सेक्टर के रूप में कहना प्रधानमंत्री का ऐतिहासिक परिवर्तन
गौरतलब है कि गत 18 सितम्बर को वाराणसी की एक सभा में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने असंगठित क्षेत्र को पर्सनल सेक्टर की संज्ञा दी थी। भरतिया एवं खण्डेलवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश के आर्थिक विकास में पब्लिक एवं प्राइवेट सेक्टर को जितना योगदान देना चाहिए था, उतना न देने पर विफल कहना बेहद तार्किक है।
1991 से 2011 तक के 20 वर्षों में कॉर्पोरेट सेक्टर ने वित्तीय सहायता, करों में रियायत और अन्य छूटों से लगभग 50 लाख करोड़ रुपये से अधिक लिया लेकिन वर्ष 1991 में इस सेक्टर का जीडीपी में 12% का योगदान था जो बीस वर्षों में बढ़कर केवल 15% ही हुआ। जबकि असंगठित क्षेत्र ने बिना किसी सरकारी सहायता के जीडीपी में लगभग 45% का योगदान दिया है। प्रधानमंत्री का यह कहना कि पर्सनल सेक्टर में अपरिमित क्षमताएं हैं, बिलकुल सही आंकलन है।
दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा की हम एक लम्बे समय से असंगठित क्षेत्र को सही रूप में परिभाषित करने की मांग कर रहे थे और अब प्रधानमंत्री ने इसे बेहद तार्किक रूप से परिभाषित किया है। यह सेक्टर देश में लगभग 46 करोड़ लोगों को रोज़गार देता है, लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों ने इस क्षेत्र को लगातार नजरअंदाज किया है।
भरतिया एवं खण्डेलवाल ने कहा की प्रधानमंत्री मुद्रा योजना द्वारा प्रधानमंत्री ने छोटे व्यवसायियों के वित्तीय समावेश का एक बड़ा कदम उठाया है, लेकिन इस सेक्टर के समग्र विकास के लिए सरकार को रिटेल ट्रेड के लिए एक राष्ट्रीय व्यापार नीति का निर्माण और इस सेक्टर के सुनियोजित विकास के लिए पृथक रूप से एक आतंरिक व्यापार मंत्रालय का गठन करना होगा। इससे रिटेल व्यापार के विभिन्न वर्गों में गला-काट प्रतियोगिता को समाप्त किया जा सकेगा। कैट ने छोटे व्यवसाय के अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री से समय भी माँगा है।