ख्वाजा नगरी में भिखारियों की धरपकड़ में बेबस पुलिस

अजमेर (विजय हंसराजानी)। सूफी संत ख्वाजा मोइनुदिन चिश्ती की नगरी अजमेर में भिखारियों की बढ़ती हुई संख्या चिंता का विषय बनती जा रही है और द...

अजमेर (विजय हंसराजानी)। सूफी संत ख्वाजा मोइनुदिन चिश्ती की नगरी अजमेर में भिखारियों की बढ़ती हुई संख्या चिंता का विषय बनती जा रही है और दुनिया के मशहूर शहर में शुमार अजमेर की एक कुरूप तस्वीर पेश करती है। दरगाह शरीफ में हर आने जाने वाले जायरीन को यहां के भिखारी ऎसे पकड़ लेते हैं, जैसे जायरीन ने कोई गुनाह कर दिया हो या फिर ये लोग उन जायरीनों से कोई कर्जा मांगते हो।

इसके चलते ये लोग जायरीनों को तब तक नहीं छोड़ते जब तक वे इन्हे कुछ देते नहीं। इसके विपरीत अगर कोई जायरीन इनको कुछ नहीं देता है तो ये लोग उन्हें मन ही मन अपशब्द बोलते हैं और कई बार तो उनके साथ ऐसा बर्ताव भी करते हैं, जिसे किसी कर्जा वसूलने वाले के द्वारा कर्जदार के साथ किया जाता है।

दरगाह इलाके में चलने वाले इस मजमे को वहां खड़ा पुलिस का जवान भी बेबस होकर देखता हुआ नजर आता है। यहां आने वाले जायरीनों-पर्यटकों से भीख मांगने वाले इन भिखारियों में अधिकतर भिखारी नशे के आदी हैं। शराब से लेकर गांजा,अफीम और स्मैक तक इनके पास आसानी से मिल जाती है और अक्सर हर समय ये लोग नशे की आगोश में डूबे हुए नजर आते हैं। कई बार नशे की लत को पूरा करने के लिए चोरियां भी हुए भी पकड़े जा चुके हैं।

ऐसे में इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि इनमे से जो लोग नशे के इस कदर आदि हो चुके हैं कि वे नशे के बिना नहीं रह सकते, वैसे भिखारी कभी भी किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।

दुविधा यह है कि इनमे से अधिकांश भिखारी ऐसे हैं, जिनकी किसी तरह की कोई पहचान नहीं होती। अगर ऐसे में इस तरह के लोगों को चंद रुपयों का लालच देकर कोई इनसे किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने में इनका इस्तेमाल करता है तो इनका पता लगाकर इनको पकड़ना टेढ़ी खीर के समान है, क्योंकि इनके पास अपनी पहचान का कोई भी प्रमाण नहीं होता, जिसकी बिनाह पर इन तक पहुंचा जा सके।

बहरहाल, दुनियाभर में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले शहर अजमेर में बढ़ रही भिखारियों की तादाद कभी भी किसी वारदात की वजह बन सकती है, जिस पर समय रहते परिस्थितियों के अनुसार अंकुश नहीं लगाना और इस तरफ ध्यान नहीं देना बहुत बड़ी गलती बन सकती है।   इसलिए आवश्यक है कि समय रहते पुलिस-प्रशासन और दरगाह कमेटी के द्वारा इस ओर ध्यान दिया जाए तथा उचित कदम उठाते हुए इस दिशा में कोई कारगर उपाय किए जाए।



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