एशियाड खेलों में पदक जीतने पर है नजरें : बजरंग लाल ताखर
झुंझुनूं। नौकायान की कई अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपना लोहा मनवा चुके अन्तर्राष्ट्रीय नौकायान खिलाड़ी बजरंग लाल ताखर का मानना है ...
https://khabarrn1.blogspot.com/2014/09/bajrang-lal-takhar-says-my-target-is-win-the-medals-in-asian-games.html
झुंझुनूं। नौकायान की कई अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपना लोहा मनवा चुके अन्तर्राष्ट्रीय नौकायान खिलाड़ी बजरंग लाल ताखर का मानना है कि हौसला बुलन्द हो, मन में जीत का जज्बा हो तो सफलता आपके कदम चूमेगी। ताखर का मानना है कि उन्हे नौकायान के खेल में अभी काफी आगे तक जाना है। उनका पूरा प्रयास है कि आगामी 19 सितम्बर से शुरू होने जा रहे एशियाड खेलों की नौकायान प्रतियोगिता में भारत के लिये पदक जीतकर देश का नाम रोशन करना है।
एशियाड में भाग लेने जा रही 36 सदस्यीय भारतीय नौकायान टीम के कप्तान बजरंग लाल ताखर ने हैदराबाद से एशियाड के लिये दक्षिण कोरिया के चूंगजू शहर के लिये रवाना होने से पहले आज टेलीफोन पर बताया कि हमने 2010 के एशियाड की नौकायान में एक स्वर्ण, तीन रजत व एक कांस्य सहित कुल पांच पदक जीते थे। इस बार हमारा ईरादा पांच से अधिक पदक जीतने का है तथा मैं भी अपना स्वर्ण पदक दूसरी बार जीतूंगा।
नौकायान में ताखर को पहली बड़ी सफलता 2006 के साऊथ एशियन गेम्स में मिली जहां उन्होने सिंगल व डबल स्किल में दो स्वर्ण पदक जीते। इसी वर्ष दोहा में सम्पन्न हुये एशियन गेम्स की नौकायान प्रतियोगिता में उन्होने प्रथम व्यक्तिगत रजत पदक जीता। उसके बाद तो वो लगातार सफलता हासिल करते चले गयें। 2007 में कोरिया में सम्पन्न हुयी एशियन नौकायान प्रतियोगिता में उन्होने स्वर्ण पदक जीता।
2008 में ताखर को भारत सरकार द्वारा आर्मी अवार्ड से सम्मानित किया गया। 2008 में चीन के बीजिंग में सम्पन्न हुये ओलम्पिक गेम्स की नौकायान प्रतियोगिता में ताखर 21 वीं रैंक पर रहे थे। 2010 में चीन के गांजाऊ शहर में सम्पन्न हुये एशियन गेम्स में नौकायान प्रतियोगिता की व्यक्तिगत स्पर्धा में प्रथम स्वर्ण पदक जीत कर देश का नाम गौरवान्वित करने वाले ताखर का कहना है कि इस बार एशियाड प्रतियोगिता में वो हर हाल में अपना पदक बरकरार रखने का पूरा प्रयास करेंगें।
गत ओलम्पिक प्रतियोगिता में स्वास्थ्य खराब होने के कारण ताखर भाग नहीं ले पाये थे। इस बात का उन्हे अब भी मलाल है। वर्तमान में भारतीय सेना की राजपूताना रायफल्स रेजिमेंन्ट में नायब सूबेदार के पद पर कार्यरत ताखर की खेल प्रतिभा को देखते हुये 2008 में भारत सरकार द्वारा उन्हे अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया था। 2013 में ताखर को नौकायान खेल के लिये पद्म श्री सम्मान से भी सम्मानित किया गया।
अर्जुन पुरस्कार विजेता पूर्व नौकायान खिलाड़ी जेनिल कृष्णन को अपना रोल माडल मानने वाले ताखर ने नौकायान में भारत में अभी तक का सर्वोच्च पुरस्कार 2010 के एशियाड में स्वर्ण पदक जीतकर यह दिखा दिया था कि वह भी ओलम्पिक में पदक जीतने का दम रखता है। स्वर्ण पदक जीतने के बाद से सरकार भी नौकायान को बढ़ावा देने लगी है। खिलाडिय़ों के प्रशिक्षण के लिये सरकार ने इटली से नावें मंगवायीं हैं तथा प्रशिक्षण के लिये बेहतर साधन उपलब्ध करवा रही है। ताखर ने बताया कि यूरोपिय देशों का वातावरण नौकायान के लिये हमारे से बेहतर है।
राजस्थान के रेगिस्तानी शेखावाटी क्षेत्र के सीकर जिले की छोटी सी बालूराम की ढ़ाणी में 5 जनवरी 1981 को सामान्य किसान परिवार में जन्में ताखर 1 अप्रैल 2000 को भारतीय सेना में सिपाही के रूप में भर्ती हुये थे तथा 2001 में अच्छी कद-काठी व लम्बाई के चलते इनका चयन नौकायान के प्रशिक्षण के लिये हो गया।
राजस्थान में नौकायान की संभावनाओं पर ताखर का कहना है शेखावाटी के खिलाडिय़ों में अन्य प्रदेशों के खिलाडिय़ों के मुकाबले अधिक दमखम होता है मगर जरूरत है उन्हे उचित प्रशिक्षण व सुविधा उपलब्ध करवाने की। यदि सरकार द्वारा यहां नौकायान की पर्याप्त सुविधायें उपलब्ध करवा दी जाये तो इस क्षेत्र से कई अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकल सकतें हैं । इस क्षेत्र में प्रतिभाओं की कमी नहीं हैं। 1982 के एशियाड खेलों के दौरान जयपुर के रामगढ़ बांध में नौकायान प्रतियोगिताओं का आयोजन करवाया गया था मगर उसके बाद किसी ने वहां की सुध नहीं ली इस कारण यहां पर दुबारा ऐसी कोई प्रतियोगिता का आयोजन नहीं हो पाया।
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एशियाड में भाग लेने जा रही 36 सदस्यीय भारतीय नौकायान टीम के कप्तान बजरंग लाल ताखर ने हैदराबाद से एशियाड के लिये दक्षिण कोरिया के चूंगजू शहर के लिये रवाना होने से पहले आज टेलीफोन पर बताया कि हमने 2010 के एशियाड की नौकायान में एक स्वर्ण, तीन रजत व एक कांस्य सहित कुल पांच पदक जीते थे। इस बार हमारा ईरादा पांच से अधिक पदक जीतने का है तथा मैं भी अपना स्वर्ण पदक दूसरी बार जीतूंगा।
नौकायान में ताखर को पहली बड़ी सफलता 2006 के साऊथ एशियन गेम्स में मिली जहां उन्होने सिंगल व डबल स्किल में दो स्वर्ण पदक जीते। इसी वर्ष दोहा में सम्पन्न हुये एशियन गेम्स की नौकायान प्रतियोगिता में उन्होने प्रथम व्यक्तिगत रजत पदक जीता। उसके बाद तो वो लगातार सफलता हासिल करते चले गयें। 2007 में कोरिया में सम्पन्न हुयी एशियन नौकायान प्रतियोगिता में उन्होने स्वर्ण पदक जीता।
2008 में ताखर को भारत सरकार द्वारा आर्मी अवार्ड से सम्मानित किया गया। 2008 में चीन के बीजिंग में सम्पन्न हुये ओलम्पिक गेम्स की नौकायान प्रतियोगिता में ताखर 21 वीं रैंक पर रहे थे। 2010 में चीन के गांजाऊ शहर में सम्पन्न हुये एशियन गेम्स में नौकायान प्रतियोगिता की व्यक्तिगत स्पर्धा में प्रथम स्वर्ण पदक जीत कर देश का नाम गौरवान्वित करने वाले ताखर का कहना है कि इस बार एशियाड प्रतियोगिता में वो हर हाल में अपना पदक बरकरार रखने का पूरा प्रयास करेंगें।
गत ओलम्पिक प्रतियोगिता में स्वास्थ्य खराब होने के कारण ताखर भाग नहीं ले पाये थे। इस बात का उन्हे अब भी मलाल है। वर्तमान में भारतीय सेना की राजपूताना रायफल्स रेजिमेंन्ट में नायब सूबेदार के पद पर कार्यरत ताखर की खेल प्रतिभा को देखते हुये 2008 में भारत सरकार द्वारा उन्हे अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया था। 2013 में ताखर को नौकायान खेल के लिये पद्म श्री सम्मान से भी सम्मानित किया गया।
अर्जुन पुरस्कार विजेता पूर्व नौकायान खिलाड़ी जेनिल कृष्णन को अपना रोल माडल मानने वाले ताखर ने नौकायान में भारत में अभी तक का सर्वोच्च पुरस्कार 2010 के एशियाड में स्वर्ण पदक जीतकर यह दिखा दिया था कि वह भी ओलम्पिक में पदक जीतने का दम रखता है। स्वर्ण पदक जीतने के बाद से सरकार भी नौकायान को बढ़ावा देने लगी है। खिलाडिय़ों के प्रशिक्षण के लिये सरकार ने इटली से नावें मंगवायीं हैं तथा प्रशिक्षण के लिये बेहतर साधन उपलब्ध करवा रही है। ताखर ने बताया कि यूरोपिय देशों का वातावरण नौकायान के लिये हमारे से बेहतर है।
राजस्थान के रेगिस्तानी शेखावाटी क्षेत्र के सीकर जिले की छोटी सी बालूराम की ढ़ाणी में 5 जनवरी 1981 को सामान्य किसान परिवार में जन्में ताखर 1 अप्रैल 2000 को भारतीय सेना में सिपाही के रूप में भर्ती हुये थे तथा 2001 में अच्छी कद-काठी व लम्बाई के चलते इनका चयन नौकायान के प्रशिक्षण के लिये हो गया।
राजस्थान में नौकायान की संभावनाओं पर ताखर का कहना है शेखावाटी के खिलाडिय़ों में अन्य प्रदेशों के खिलाडिय़ों के मुकाबले अधिक दमखम होता है मगर जरूरत है उन्हे उचित प्रशिक्षण व सुविधा उपलब्ध करवाने की। यदि सरकार द्वारा यहां नौकायान की पर्याप्त सुविधायें उपलब्ध करवा दी जाये तो इस क्षेत्र से कई अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकल सकतें हैं । इस क्षेत्र में प्रतिभाओं की कमी नहीं हैं। 1982 के एशियाड खेलों के दौरान जयपुर के रामगढ़ बांध में नौकायान प्रतियोगिताओं का आयोजन करवाया गया था मगर उसके बाद किसी ने वहां की सुध नहीं ली इस कारण यहां पर दुबारा ऐसी कोई प्रतियोगिता का आयोजन नहीं हो पाया।
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