बीएसएनएल लेखाधिकारी की अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज
जयपुर। विशिष्ट न्यायाधीश महिला उत्पीडऩ एवं दहेज प्रकरण मामलात की अदालत ने घरेलू हिंसा मामले में कोर्ट की अवमानना करने के बाद दर्ज हुई एफआ...
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जयपुर। विशिष्ट न्यायाधीश महिला उत्पीडऩ एवं दहेज प्रकरण मामलात की अदालत ने घरेलू हिंसा मामले में कोर्ट की अवमानना करने के बाद दर्ज हुई एफआईआर पर पुलिस के शिकंजे से बचने के लिए बीएसएनएल के लेखाधिकारी सत्यनारायण गुप्ता की ओर से दायर की गई अग्रिम जमानत की याचिका मंगलवार को खारिज दी। बहस के दौरान आरोपी की महिला वकील ने अदालत को बताया कि प्रार्थी पीडि़ता का इलाज कराना चाहता था, लेकिन पीडि़ता इलाज ही नहीं कराना चाहती थी। उसने कोर्ट के आदेश के बाद सात दिन तक पीडि़ता का इंतजार किया कि वो आकर मिले और इलाज कराए।
इस पर पीडि़ता के वकील मुकेश शर्मा ने अदालत को बताया कि ऐसा नहीं है कि पीडि़ता इलाज नहीं कराना चाहती, क्योंकि पीडि़ता गत 18 सितंबर को भण्डारी अस्पताल में भर्ती हुई थी और 19 सितंबर को उसका ऑपरेशन भी हुआ है। इसके अलावा आरोपी का पीडि़ता का इलाज कराने के लिए इंतजार करना और इलाज नहीं करवाना सिर्फ कोर्ट के आदेश की अवमानना करना था। इस पर अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मंगलवार को अपना फैसला सुनाया।
उ;उल्लेखनीय है कि वैशाली नगर के चित्रकूट की निवासी महिला ने बीएसएनएल विभाग में लेखाधिकारी के पद पर कार्यरत अपने पति एस.एन. गुप्ता के द्वारा प्रताडि़त किए जाने पर उसके खिलाफ अपर सिविल न्यायाधीश (क.ख.) एवं महानगर मजिस्ट्रेट, क्रम-14 में घरेलू हिंसा के तहत स्त्री का संरक्षण अधिनियम का परिवाद दर्ज कराया था, जिसमें पीडि़ता ने अंतरिम बहस में अपनी बीमारी का पति के बीएसएनएल विभाग में उच्च पद पर कार्यरत होने पर इलाज करवाने का अनुतोष चाहा था।
इस पर अदालत ने गत 3 सितम्बर को बीएसएनएल विभाग के लेखाधिकारी सत्यनारायण गुप्ता को घरेलू हिंसा से महिला का संरक्षण अधिनियम 2005 मामले में बीएसएनएल विभाग के नियमानुसार अधिकृत अस्पताल में पत्नी का इलाज करवाने के अन्तरिम आदेश दिए थे। उसके बाद कोर्ट का आदेश नहीं मानने पर पीडि़ता ने घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की धारा 31 के तहत वैशाली नगर थाने में आरोपी के खिलाफ वैशाली नगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी।
इस पर पीडि़ता के वकील मुकेश शर्मा ने अदालत को बताया कि ऐसा नहीं है कि पीडि़ता इलाज नहीं कराना चाहती, क्योंकि पीडि़ता गत 18 सितंबर को भण्डारी अस्पताल में भर्ती हुई थी और 19 सितंबर को उसका ऑपरेशन भी हुआ है। इसके अलावा आरोपी का पीडि़ता का इलाज कराने के लिए इंतजार करना और इलाज नहीं करवाना सिर्फ कोर्ट के आदेश की अवमानना करना था। इस पर अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मंगलवार को अपना फैसला सुनाया।
उ;उल्लेखनीय है कि वैशाली नगर के चित्रकूट की निवासी महिला ने बीएसएनएल विभाग में लेखाधिकारी के पद पर कार्यरत अपने पति एस.एन. गुप्ता के द्वारा प्रताडि़त किए जाने पर उसके खिलाफ अपर सिविल न्यायाधीश (क.ख.) एवं महानगर मजिस्ट्रेट, क्रम-14 में घरेलू हिंसा के तहत स्त्री का संरक्षण अधिनियम का परिवाद दर्ज कराया था, जिसमें पीडि़ता ने अंतरिम बहस में अपनी बीमारी का पति के बीएसएनएल विभाग में उच्च पद पर कार्यरत होने पर इलाज करवाने का अनुतोष चाहा था।
इस पर अदालत ने गत 3 सितम्बर को बीएसएनएल विभाग के लेखाधिकारी सत्यनारायण गुप्ता को घरेलू हिंसा से महिला का संरक्षण अधिनियम 2005 मामले में बीएसएनएल विभाग के नियमानुसार अधिकृत अस्पताल में पत्नी का इलाज करवाने के अन्तरिम आदेश दिए थे। उसके बाद कोर्ट का आदेश नहीं मानने पर पीडि़ता ने घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की धारा 31 के तहत वैशाली नगर थाने में आरोपी के खिलाफ वैशाली नगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी।
