अजमेर को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए बैठक आयोजित

अजमेर। महापौर धर्मेन्द्र गहलोत ने कहा कि जिले में स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों मेें अभूतपूर्व कार्य हुआ है, जिसके चलते कई ग्राम पंचायतें खुले में शौच से मुक्त हो चुकी है। ऐसे में स्मार्ट सिटी के चयनित अजमेर शहर को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए जनप्रतिनिधियों की अहम भूमिका है, वे आमजन को शौचालय निर्माण व उसके उपयोग के प्रति जागरूक करें।

महापौर गहलोत आज इन्डोर स्टेडियम के सभागार में अजमेर को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए आयोजित बैठक में पार्षद व अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह बडे दुख की बात है कि स्मार्ट सिटी के लिए चयनित अजमेर शहर खुले में शौच की प्रथा से मुक्त नही हैं, इस अभिशाप से शहर को मुक्त करने के लिए शहर के सभी 60 वार्डाें में जनप्रतिनिधियों के नेतृत्व में मिशन के तहत कार्य करने की आवश्यकता है।

उन्होंने बताया कि सर्वे के अनुसार अजमेर शहर में 9 हजार घरों में शौचालय बने हुए हैं, लेकिन टेंक नही बनाए गए हैं, जिससे मल की निकासी सीधे नाली में की जा रही है। जबकि 668 परिवारों के पास शौचालय ही नहीं है, वे खुलें में अथवा सामुदायिक भवन में शौच के लिए जा रहे हैं।

सरकार द्वारा इन 668 परिवारों में से 160 परिवारों को शौचालय निर्माण के लिए 4 हजार रूपए की राशि प्रथम किश्त में बैंक खातें द्वारा दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद इन लोगों ने शौचालय का निर्माण नही करवाया है, जो शहर की स्वच्छता व स्वास्थ्य के लिए बेहद चिंता का विषय है।

गहलोत ने कहा कि सरकार द्वारा स्वस्थ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण करने पर शहरी क्षेत्र में 8 हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है, इस से शौचालय का निर्माण नहीं हो सकता है, लेकिन आमजन को शहर की स्वच्छता व स्वास्थ्य के लिए इस प्रोत्साहन राशि का उपयोग कर शौचालय निर्माण के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है।

कलक्टर डाॅ. आरूषि मलिक ने कहा कि घरों में शौचालय होने के बावजूद टेंक ना बनाकर सीधे नाली में मल प्रवाहित करना मानवता के विरूद्ध अपराध है, इससे सम्पूर्ण वातावरण दूषित होता है, जिससे लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है।

उन्होंने कहा कि घर में शौचालय का निर्माण बहू-बेटी की इज्जत व सम्मान से जुडा है। आज शहरों में जगह की कमी हो गई है। ऐसे में महिलाओं को शौच जाने के लिए अंधेरा होने का इंतजार करना पडता है, जो समाज के शर्मनाक स्थिति है। समाज को खुले में शौच के इस अभिशाप से मुक्त करने के लिए जनप्रतिनिधि, आम नागरिक एवं अधिकारी सभी को नैतिक कर्तव्य मानकर कार्य करने की आवश्यकता है।
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