जानिए अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में कुछ रोचक तथ्य
असामान्य व्यक्तित्व के धनि के जन्मदिवस पर विशेष नई दिल्ली। भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक और अपने व्यक्तित्व और कृतित्व स...
असामान्य व्यक्तित्व के धनि के जन्मदिवस पर विशेष
नई दिल्ली। भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक और अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से भारत का नाम विश्व में स्वर्णाक्षरों में लिखने वाले असामान्य व्यक्तित्व के धनि पं. अटल बिहारी वाजपेयी का आज जन्म दिवस है। '25 दिसंबर' को भारतीय जनता पार्टी ने 'सुशासन दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। अटलजी की उदारता को समझने की जो लोग कोशिश करना चाहें वे सिर्फ इस वाक्य से समझ सकते हैं 'जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान।'भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लालबहादुर शास्त्री ने नारा दिया था 'जय जवान, जय किसान'। अटलजी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने यह नहीं कहा कि यह नारा हटा दो बल्कि उन्होंने कहा कि इसके आगे एक शब्द और जोड़ दो 'जय विज्ञान।' 'जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान' इसे उदारता और राजनीतिक श्रेष्ठता का अद्वितीय उदाहरण माना जा सकता है।
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म ग्वालियर के मध्य वर्गीय ब्राह्मण परिवार में कृष्णा देवी और कृष्ण बिहारी वाजपेयी के घर 1924 में हुआ। उनके दादा पंडित श्याम लाल वाजपेयी उत्तर प्रदेश के बटेश्वर से ग्वालियर जा बसे थे। उनके पिता कवि और स्कूल मास्टर थे। वाजपेयी की पढ़ाई सरस्वती शिशु मंदिर और ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से हुई। उन्होंने हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में 75 फीसदी से ज्यादा अंक पाए थे।
राजनीति में उनका पहला कदम अगस्त 1942 में रखा गया, जब उन्हें और बड़े भाई प्रेम को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 23 दिन के लिए गिरफ्तार किया गया। 1951 में वह भारतीय जनसंघ से जुड़े। वाकपटुता और सांगठनिक मजबूती के दम पर वह जल्द ही जनसंघ का चेहरा बन गए। दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु के साथ ही जनसंघ की जिम्मेदारी नौजवान वाजपेयी के कंधों पर आ गई। वह 1968 में इसके अध्यक्ष बने।
हैरानी की बात है कि अटल बिजारी वाजपेयी ने लॉ की पढ़ाई अपने पिता के साथ-साथ की। जब अटल ने कानपुर के डीएवी कॉलेज से लॉ में डिग्री करने की इच्छा जताई, तो उनके पिता ने कहा कि वह भी अपने पुत्र के साथ लीगल डिग्री करना चाहते हैं। कानून के छात्रों के रूप में वे दोनों एक साथ होस्टल के कमरे में रहते थे। इस बारे में सोचकर हैरानी हो सकती है कि पिता-पुत्र ने लॉ की पढ़ाई एक साथ, एक सत्र और एक हॉस्टल में रहते हुए पूरी की, लेकिन यह सच है।
पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एक बार कहा था कि एक रोज अटल बिहारी वाजपेयी को देश का प्रधानमंत्री बनने का मौका जरूर मिलेगा। महात्मा रामचंद्र वीर की अमर कृति विजय पताका ने वाजपेयी की जिंदगी में काफी असर डाला। इसने उनके जीवन को नई दिशा देने का काम किया। इससे पहले 1997 में वह जनता पार्टी सरकार में विदेश मंत्री बने और संयुक्त राष्ट्र संघ के एक सत्र में उन्होंने हिंदी में अपना भाषण दिया।
अटल बिहारी वाजपेयी इकलौते ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। चार दशकों तक संसद का सदस्य रहे वाजपेयी देश के दसवें प्रधानमंत्री बने और उन्होंने 1998 से 2004 के बीच कार्यभार संभाला। वह नौ बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के लिए चुनकर आए। यह बात सही है कि अटल बिहारी वाजपेयी भाजपा के दिग्गज नेता थे, लेकिन विरोधी दलों के बीच भी उनका अपना खास मुकाम रहा।
वाजपेयी को उनकी वाकपटुता और करिश्माई व्यक्तित्व के लिए जाना जाता है। वह ऐसे पहले भारतीय प्रधानमंत्री भी थे, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देने का फैसला किया। साल 1942 में अगस्त क्रांति के दौरान पुलिसकर्मियों ने जिस बच्चे को पकड़कर जुवेनाइल होम में डाल दिया, वह अटल बिहारी वाजपेयी थे। हालिया दिनों तक जब वाजपेयी अपनी पहली जेल यात्रा का जिक्र करते तो खिलखिलाकर हंस पड़ते थे।
वाजपेयी को कविताओं से भी खासा लगाव रहा। वह अपने विचारों को कई बार कविताओं के माध्यम से ही सामने रखते थे। उनका कहना है कि कविता उनके लिए जंग में हार नहीं, बल्कि जीत की घोषणा की तरह है। यह युद्ध में हारे हुए किसी सैनिक की आवाज नहीं, बल्कि जीत के प्रति योद्धा की मजबूत इच्छाशक्ति है। यह हताशा का सूचक नहीं, बल्कि जीत का उत्साह है।
दिसंबर 2005 में वाजपेयी ने सक्रिय राजनीति से रिटायरमेंट का ऐलान किया। उन्होंने साफ किया कि वह अगले लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। मुंबई के ऐतिहासिक शिवाजी पार्क में भाजपा की रैली के दौरान उन्होंने कहा था कि लालकृष्ण आडवाणी और प्रमोद महाजन भाजपा के राम-लक्ष्मण होंगे। मौजूदा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में एक भाषण के दौरान वाजपेयी को भारतीय राजनीति का भीष्म पितामाह करार दिया था।
चेस्ट इंफेक्शन और बुखार की वजह से वाजपेयी को फरवरी, 2009 में एम्स में भर्ती कराया गया। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया, लेकिन हालत में सुधार के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। खराब सेहत की वजह से 2009 लोकसभा चुनावों के प्रचार अभियान में वह हिस्सा नहीं ले सके, लेकिन उन्होंने पत्र लिखकर मतदाताओं से भाजपा का साथ देने की बात कही।
अटल बिहारी वाजपेयी इन दिनों भले पैरालाइसिस की वजह से बोल न पाते हों। लेकिन वह इशारों से अपनी बात समझाने की कोशिश जरूर करते हैं। बीते बीस साल में वाजपेयी की 10 सर्जरी हुई हैं। कुछ महीने पहले तक वह नियमित फिजियोथेरेपी सेशन के बाद अक्सर टीवी देखा करते हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी को उनके करीबी दोस्त और रिश्तेदार बापजी कहते हैं। उनकी गोद ली हुई एक बेटी है, जिसका नाम नमिता है। उन्हें भारतीय संगीत और नृत्य में काफी दिलचस्पी है। वाजपेयी को कुदरत से भी काफी लगाव है और उन्हें छुट्टियां पहाड़ियों पर बिताना काफी अच्छा लगता है। हिमाचल प्रदेश में मनाली उनके आराम की पसंदीदा जगह रही है और वह ब्रेक के लिए अक्सर वहां जाया करते थे।
लेकिन उनकी सेहत पर अब चिंता का विषय बन गई है और जो लोग उन्हें जानते हैं, उनका कहना है कि वह व्हीलचेयर पर रहते हैं और लोगों को आम तौर पर पहचान नहीं पाते। वह डिमेंशिया और डायबिटीज से पीड़ित हैं। 2001 में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उनकी नी रिप्लेसमेंट सर्जरी भी हो चुकी है। वह कभी-कभार ही घर से बाहर निकलते हैं और इनमें से ज्यादातर दफा वह नियमित चेकअप के लिए एम्स जाते हैं।