क्या है उन्नाव के खजाने वाले महल की पूरी कहानी

उन्नाव। उत्तर प्रदेश में उन्नाव जिले के डौंडियाखेड़ा गांव में राजा राव रामबक्स सिंह का वीरान महल,  जहां लोग दिन में भी नहीं आने से डरते...

उन्नाव। उत्तर प्रदेश में उन्नाव जिले के डौंडियाखेड़ा गांव में राजा राव रामबक्स सिंह का वीरान महल,  जहां लोग दिन में भी नहीं आने से डरते थे। उसी वीरान महल में आज अचानक चहल-पहल शुरू हो गई है और सदियों से वीरान पड़ा यह महल आज न सिर्फ देश बल्कि दुनिया के लिए चर्चा का विषय बन गया है।

कभी महल में रहने वाले राजा राव रामबक्स सिंह को शहीद का दर्जा दिया जाता है। 1857 की क्रांति के दौरान रानी लक्ष्मीबाई का साथ देने के लिए अंग्रेजों ने उनके महल पर हमला किया था और उन्हें महल छोड़कर जाना पड़ा था। बाद में वो वाराणसी में अंग्रेजों के हाथों गिरफ्तार हुए और उन्हें यहीं लाकर सामूहिक फांसी दे दी गई।

राजा राव रामबक्स सिंह के जो किस्से उन्नाव में मशहूर हैं, उनके मुताबिक राजाराम बक्स सिंह को उन्नाव का शेर कहा जाता था। किस्सा है कि इसी महल के अन्दर शिवमंदिर में कुछ अंग्रेज सैनिकों ने कब्जा कर लिया था और राजा ने उन्हें जिंदा जला दिया। यह भी कहा जाता है कानपुर में राजा की गहनों की दुकानें थीं, लेकिन अंग्रेजों से जंग के दौरान उन्होंने सारा सोना इसी महल में दफ्न कर दिया था।

डौंडियाखेड़ा गांव का यह महल भेले ही वीरान हो गया, लेकिन यहां रहने वालों के किस्से कहानियों में खजाने के किस्से एक बार फिर तैर उठे हैं। महल के नीचे कोई खजाना है या नहीं ये तो खुदाई के बाद ही पता चले सकेगा। लेकिन खजाने को लेकर खींचतान अभी से शुरु हो गई है।

संत के जिस दावे पर अब सरकार भी यकीन कर रही है उसके मुताबिक यहां 1000 टन सोना है, जबकि देश के सबसे बड़े बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक के पास करीब 550 टन ही सोना मौजूद है। यानी सरकार के पास मौजूद सोने से करीब दोगुना सोना यहाँ निकल सकता है। 

अगर संत का दावा सही साबित हो जाता है और यहाँ से सोने का खाजन निकल जाता है तो, घटे में चल रहे देश का वित्तीय घाटा दूर हो सकता है। लेकिन, इस पर पहला दावा तो गांववाले ही कर रहे हैं और अपना हक़ जताते हुए कई तरह की मांगें कर रहे हैं। 

ये है गांव वालों की मांगे :

- इलाके को पर्यटन नगरी के तौर पर डेवलप किया जाए।
- इलाके को हवाई नेटवर्क से इलाके को जोड़ा जाए।
- गांव वालों को सरकारी सुविधाओं में विशेष वरीयता दी जाए।
- गांव की जमीन की कीमतों में बढ़ोतरी की जाए।
- इलाके के ज्यादातर विकास केंद्र डौडियाखेडा गांव में हों।

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