बिना बुनियाद के ही बन रही है धर्मशाला
चूरू (राकेश पंवार)। लगता है शायद अब ऐसे भवन निर्माण ठेकेदार और उनसे मिलीभगत रखने वाले सहायक अभियन्ता जो कि निर्माण कार्य में घटिया सामग्...
ऐसा ही एक वाक्या चूरू जिला मुख्यालय के राजकीय अस्पताल के सामने रोगियों के परिजनों के लिए मैसर्स आजाद कंस्ट्रक्शन कम्पनी द्वारा एक करोड की लागत से निर्माणाधीन धर्मशाला में देखने को मिला, जहां बिना बुनियाद और घटिया सामग्री से रोगियों के परिजनों के ठहरने के लिए धर्मशाला का निर्माण एईएन की देखरेख में किया जा रहा था।
हालांकि अलग-अलग समय में एसडीएम, अतिरिक्त जिला कलेक्टर, निरीक्षण के लिए बनी समिति और जिला कलेक्टर द्वारा किये गये निरीक्षण में घटिया निर्माण कार्य होना पाया गया, जिस पर काम को रूकवा दिया गया। धर्मशाला के निर्माण कार्य में निर्माण सामग्री की गुणवता एनआरएचएम के प्रोजेक्ट डायरेक्टर यू डी खान द्वारा किये गये निरीक्षण में भी उधड कर सामने आई थी।
निरीक्षण के दौरान प्रोजेक्ट डायरेक्टर खान ने निर्माण कार्य को छह जगहों से उधेडा, जिनमें चार स्थानों पर पत्थरों की चिनाई बिना सीमेन्ट के की गई, जबकि दो स्थानों पर नाम मात्र का सीमेन्ट पाया गया। टैण्डर के अनुसार सीमेन्ट का अनुपात 1/6 का होना चाहिए था जबकि 1/14 का माल लगा होना पाया गया। पत्थर भी खडे लगाये गये ताकि निर्माण कार्य ज्यादा दिखे और बीच की खाली जगह भी रह जाये।
हालांकि इसके बाद गत दिनों निर्माण कार्य को तुडवा दिया गया। लेकिन निर्माण कार्य करवा रही मैसर्स आजाद कंस्ट्रक्शन कम्पनी के विरूद्ध अभी तक कोई कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही अभी तक अमल में लाइ गई है। इस सम्बन्ध में आज फिर निरीक्षण समिति द्वारा अतिरिक्त जिला कलेक्टर राजेन्द्र कविया के साथ निरीक्षण कर निर्माण कार्य को फिर से उधेडा गया, जिसमें घटिया निर्माण होना ही पाया गया। इस सम्बन्ध में निरीक्षण समिति द्वारा मिटिंग की गई, जिसमें सक्षम अधिकारी से ठेकेदार और सहायक अभियन्ता के विरूद्ध कठौर अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंषा की गई है।
इनका कहना है...
"अभी तक सम्बन्धित ठेकेदार और एईएन के विरूद्ध किसी तरह की कार्यवाही नहीं हुई है, इस सम्बन्ध में निरीक्षण समिति द्वारा मुख्य अभियन्ता को पुन: सूचित किया गया है कि जब तक यह ठैकेदार और सहायक अभियन्ता रहेगा, तब तक निर्माण कार्य में निर्धारित मापदण्ड की उम्मीद नही है। अस्पताल परिसर में 20 करोड रूपये की लागत का कार्य निर्माणाधीन है, अगर यही ठैकेदार और सहायक अभियन्ता इसे बनवायेंगे तो निर्माणकार्य की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।" -डॉ. बी एल नायक, सदस्य, निरीक्षण समिति।