मतदाताओं को मिला 'राईट टू रिजेक्ट' का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट का आदेश, अब ईवीएम में शामिल होगा 'कोई नहीं' का विकल्प भी नई दिल्ली। देश के सर्वोच्य न्यायालय ने शुक्रवार को एक बड़ा...

सुप्रीम कोर्ट का आदेश, अब ईवीएम में शामिल होगा 'कोई नहीं' का विकल्प भी

नई दिल्ली। देश के सर्वोच्य न्यायालय ने शुक्रवार को एक बड़ा फैसला कर भारतीय मतदाताओं को ‘राइट टू रिजेक्ट’ का अधिकार प्रदान कर दिया है। यह फैसला 9 साल से लंबित एक जनहित याचिका पर निर्णय देते हुए शुक्रवार को सुनाया गया है।

गौरतलब है कि निर्वाचन आयोग ने पहले ही ‘राइट टू रिजेक्ट’ का समर्थन किया था। इससे पहले अन्ना हजारे द्वारा ‘राइट टू रिजेक्ट’ का अधिकार मतदाताओं को देने के लिये आंदोलन चलाया गया था।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक मतदाता अब ईवीएम मशीन में ‘नन ऑफ द एबव’ यानी ‘उपरोक्त में कोई नहीं’ के विकल्प का बटन दबा कर चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवारों को रिजेक्ट कर अपना जता सकते है। यानि अगर किसी क्षेत्र से दस उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं तो वहां ईवीएम में इन दस उम्मीदवारों के अलावा ग्यारहवां बटन भी मौजूद होगा जो 'कोई नहीं' का बटन होगा, जिसे दबाकर मतदाता उम्मीदवारों को रिजेक्ट कर अपना विरोध जता सकेंगे।

यह जनहित याचिका पीयूसीएल ने दायर की थी, जिस पर मुख्य न्यायाधीश पी. सतशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला दिया है, यदि इसे लागू किया जाता है तो सबसे पहले छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और मिजोरम के मतदाता इस अधिकार का उपयोग करेंगे।

अभी वर्तमान में अगर किसी मतदाता को चुनाव में खड़े सभी उम्मीवार नापसंद हैं तो उसे यह बात निर्वाचन अधिकारी के पास रखे रजिस्टर में दर्ज कराना पड़ता है, जिससे गोपनीयता भंग हो जाती है. इस कारण कोई भी इसका उपयोग नही करता है। यह मतदाताओं के वापस बुलाने के अधिकार अर्थात राइट टू रीकाल से जुदा है।

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