23 करोड़ रुपए पीएफ के घोटाले को लेकर पूर्व मेयर ने की हाईकोर्ट में लगाई केवियट
जयपुर। जयपुर नगर निगम की पूर्व महापौर ज्योति खण्डेलवाल ने हाल ही में पीएफ विभाग द्वारा जयपुर नगर निगम को दिये गये 23 करोड रुपए के नोटिस के ...
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जयपुर। जयपुर नगर निगम की पूर्व महापौर ज्योति खण्डेलवाल ने हाल ही में पीएफ विभाग द्वारा जयपुर नगर निगम को दिये गये 23 करोड रुपए के नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट बिना उनका पक्ष सुने कोई फैसला नहीं दें, इसके लिए हाईकोर्ट में केवियट लगाई है। पूर्व मेयर के एडवोकेट कुणाल रावत ने आज हाईकोर्ट में केवियट फाईल दायर की है। पूर्व मेयर ज्योति खण्डेलवाल की शिकायत पर पीएफ द्वारा जांच के बाद दिये गये आदेश के बाद निगम में खलबली मची हुई है।
जानकार सूत्रों के अनुसार जयपुर नगर निगम हाईकोर्ट जाने की तैयारी में है, ताकि पीएफ के इस आदेश पर स्टे मिल जाये। इन्ह परिस्थितियों को देखते हुए पूर्व मेयर ने हाईकोर्ट में केवियट फाईल की है। करीब ढ़ाई साल पहले पूर्व मेयर ज्योति खण्डेलवाल ने पीएफ, ईएसआई एवं सेवाकर विभाग में शिकायत की थी कि अस्थाई कर्मचारी जयपुर नगर निगम में उपलब्ध करवा रहे ठेकदारों द्वारा नगर निगम से तीनों विभागों में जमा कराने के लिए पैसा वसूलने के बावजूद जमा नहीं कराया है। साथ ही तीनों विभाग ने इस बात की पुष्टि भी की थी और जयपुर नगर निगम व ठेकेदारों को नोटिस भी जारी किया था, लेकिन यह राशि तीनों ही विभागों में जमा नहीं करवाई।
पीएफ विभाग ने 7ए की कार्यवाही को निस्तारित करते हुए गत दिनों ही 23 करोड रूपये की राशि जयपुर नगर निगम को 15 दिनों में जमा कराने के आदेश दिये थे। ये पैसा उन अस्थाई कर्मचारियों का है, जिन्होंने सन् 2011 से 2014 के दौरान जयपुर नगर निगम में कार्य किया था। खण्डेलवाल ने बताया कि जयपुर नगर निगम में जनप्रतिनिधि व अधिकारी पीएफ विभाग से आदेश आने के बाद ठेकेदारों पर कार्यवाही करते हुए उनसे यह राशि वसूलने की बजाय इस आर्डर को स्टे कराने में लगे हुए हैं। इस बात से साफ जाहिर होता है कि निगम के इस सबसे बड़े घोटाले में ठेकेदारों के साथ अधिकारी भी मिलीभगत रही है।
पूर्व मेयर ने कहा कि वे इस मामले की सीबीआई से जांच करवाने की मांग कर चुकी हैं। साथ ही शीघ्र ही ईएसआई व सेवाकर विभाग में भी इस आदेश की प्रति के साथ वे अधिकारियों से मिलेगी और पीएफ विभाग की जांच के उपरांत दिये गये आदेश के अनुसार ईएसआई व सेवाकर की डिमांड निकालकर जयपुर नगर निगम व ठेकेदारों से वसूलने की कार्यवाही करने के लिए मांग करेगी।
गौरतलब है कि पीएफ विभाग ने तो इस प्रकरण की जांच करके जयपुर नगर निगम व ठेकेदारों को दोषी मानते हुए डिमाण्ड निकाल दी है, लेकिन अभी तक सेवाकर विभाग व ईएसआई विभाग ने कार्यवाही नहीं की है। पूर्व मेयर पहले ही सेवाकर विभाग व ईएसआई विभाग के अधिकारियों पर भी जयपुर नगर निगम के अधिकारियों व ठेकेदारों से मिलीभगत कर भ्रष्टाचार में सम्मिलित होने का अंदेशा जता चुकी है और इसकी जांच के लिए सीबीआई को पत्र भी लिख चुकी है।
जानकार सूत्रों के अनुसार जयपुर नगर निगम हाईकोर्ट जाने की तैयारी में है, ताकि पीएफ के इस आदेश पर स्टे मिल जाये। इन्ह परिस्थितियों को देखते हुए पूर्व मेयर ने हाईकोर्ट में केवियट फाईल की है। करीब ढ़ाई साल पहले पूर्व मेयर ज्योति खण्डेलवाल ने पीएफ, ईएसआई एवं सेवाकर विभाग में शिकायत की थी कि अस्थाई कर्मचारी जयपुर नगर निगम में उपलब्ध करवा रहे ठेकदारों द्वारा नगर निगम से तीनों विभागों में जमा कराने के लिए पैसा वसूलने के बावजूद जमा नहीं कराया है। साथ ही तीनों विभाग ने इस बात की पुष्टि भी की थी और जयपुर नगर निगम व ठेकेदारों को नोटिस भी जारी किया था, लेकिन यह राशि तीनों ही विभागों में जमा नहीं करवाई।
पीएफ विभाग ने 7ए की कार्यवाही को निस्तारित करते हुए गत दिनों ही 23 करोड रूपये की राशि जयपुर नगर निगम को 15 दिनों में जमा कराने के आदेश दिये थे। ये पैसा उन अस्थाई कर्मचारियों का है, जिन्होंने सन् 2011 से 2014 के दौरान जयपुर नगर निगम में कार्य किया था। खण्डेलवाल ने बताया कि जयपुर नगर निगम में जनप्रतिनिधि व अधिकारी पीएफ विभाग से आदेश आने के बाद ठेकेदारों पर कार्यवाही करते हुए उनसे यह राशि वसूलने की बजाय इस आर्डर को स्टे कराने में लगे हुए हैं। इस बात से साफ जाहिर होता है कि निगम के इस सबसे बड़े घोटाले में ठेकेदारों के साथ अधिकारी भी मिलीभगत रही है।
पूर्व मेयर ने कहा कि वे इस मामले की सीबीआई से जांच करवाने की मांग कर चुकी हैं। साथ ही शीघ्र ही ईएसआई व सेवाकर विभाग में भी इस आदेश की प्रति के साथ वे अधिकारियों से मिलेगी और पीएफ विभाग की जांच के उपरांत दिये गये आदेश के अनुसार ईएसआई व सेवाकर की डिमांड निकालकर जयपुर नगर निगम व ठेकेदारों से वसूलने की कार्यवाही करने के लिए मांग करेगी।
गौरतलब है कि पीएफ विभाग ने तो इस प्रकरण की जांच करके जयपुर नगर निगम व ठेकेदारों को दोषी मानते हुए डिमाण्ड निकाल दी है, लेकिन अभी तक सेवाकर विभाग व ईएसआई विभाग ने कार्यवाही नहीं की है। पूर्व मेयर पहले ही सेवाकर विभाग व ईएसआई विभाग के अधिकारियों पर भी जयपुर नगर निगम के अधिकारियों व ठेकेदारों से मिलीभगत कर भ्रष्टाचार में सम्मिलित होने का अंदेशा जता चुकी है और इसकी जांच के लिए सीबीआई को पत्र भी लिख चुकी है।