वीडियो : पूर्व महापौर की शिकायत पर जयपुर नगर निगम में सबसे बड़े घोटाले का खुलासा
जयपुर। प्रदेश कांग्रेस महासचिव पूर्व महापौर ज्योति खण्डेलवाल की शिकायत पर पीएफ विभाग की ओर से जयपुर नगर निगम को 23 करोड़ रुपए का नोटिस दिया...
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जयपुर। प्रदेश कांग्रेस महासचिव पूर्व महापौर ज्योति खण्डेलवाल की शिकायत पर पीएफ विभाग की ओर से जयपुर नगर निगम को 23 करोड़ रुपए का नोटिस दिया गया है। साथ ही विभाग ने पीएफ राशि के पेटे बकाया 22.94 करोड़ रुपए 15 दिनों में जमा कराने के आदेश दिए हैं। इसको लेकर पूर्व महापौर ज्योति खण्डेलवाल ने इसे नगर निगम में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला करार दिया है। वहीं उन्होंने कहा कि विभाग के आदेश से करीब 4 हजार से अधिक श्रमिकों को पीएफ का फायदा मिलेगा और उनको पीएफ कानून के तहत पेंशन का भी फायदा मिलेगा।
खण्डेलवाल ने इस बारे में जानाकरी देते हुए बताया कि शिकायत पर कार्यवाही पीएफ विभाग के क्षेत्रीय आयुक्त-1 सौरभ जगाती ने स्कवायड हैड पंकज कुमार की जांच रिपोर्ट पर जयपुर नगर निगम के आयुक्त को आदेश दिये हैं कि अस्थाई श्रमिकों की पीएफ राशि के पेटे बकाया रुपए 22 करोड़ 94 लाख 85 हजार 16 रुपए 15 दिन में पीएफ विभाग में जमा कराएं। ऐसा नहीं होने की स्थिति में निगम के कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम 1952 की धारा 8 के तहत कार्यवाही की जाएगी, जिसके तहत नोटिस की मियाद की अवधि में राशि जमा नहीं कराए जाने पर खातों की सीज किया जाना, सम्पंत्ति से वसूली किया जाना और जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ अभियोजन की कार्यवाही की जा सकती है।
गौरतलब है कि पूर्व मेयर ने इस मामले में 5 जून 2014 को पीएफ विभाग में शिकायत दी थी, जिसमें उन्होंने बताया कि निगम में कार्यरत श्रमिकों का पीएफ जमा नहीं करवाया जा रहा है, जिसकी जांच करवाकर कार्यवाही की जाए। शिकायत के आधार पर पीएफ विभाग द्वारा नगर निगम जयपुर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रहरी प्रोटेकशन सिस्टम प्राईवेट लिमिटेड, प्रहरी सिक्योरिटी एवं डिटेक्टिव सर्विस, अमित एन्टरप्राईजेज, बीआर एन्टरप्राईजेज, बलवीर डिटेक्टिव, सहारा एक्स सर्विसमेन वेलफेयर काॅपरेटिव सोसायटी, महावीर कंस्ट्रक्शन और छोटेलाल विरेन्द्र कुमार जैन को नोटिस जारी किया गया। इसके बाद धारा 7 ए के तहत कार्यवाही शुरू की गई।
खण्डेलवाल ने बताया कि निगम के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी, वित्तीय सलाहकार, स्वास्थ्य अधिकारी व ठेकेदारों ने मिलकर 4 हजार से अधिक श्रमिकों के 22 करोड रुपए से अधिक की हेराफेरी की है, जिसके कारण श्रमिक सामाजिक लाभों से वंचित हो गये और उनका शोषण किया गया। इस वजह से वे ठीक ढंग से कार्य नहीं कर सके और इसका खामियाजा जयपुर की जनता को भुगतना पडा। जयपुर शहर में ढंग से साफ-सफाई नहीं हो सकी। इससे डेंगू, मलेरिया, चिकगुणिया इत्यादि घातक बीमारियों से जयपुर की जनता को दोचार होना पड़ा। खण्डेलवाल ने बताया कि उनके कार्यकाल में स्वयं ने सीबीआई व एसीबी में शिकायत की थी, किन्तु इसकी विस्तृत जांच नहीं की गई। इस पूरे प्रकरण में निष्पक्ष सीबीआई जांच होना आवश्यक है।
ज्योति खण्डेलवाल ने यह भी बताया कि जयपुर नगर निगम के अधिकारियों एवं ठेकेदारों ने सेवाकर विभाग व ईएसआई विभाग के अधिकारियों से भी मिलीभगत कर राजकोष को नुकसान पहुचाया है साथ ही ईएसआई विभाग एवं सेवाकर विभाग में भी निगम से इन मदों में पैसा वसूलने के बावजूद जमा नहीं करवाया गया है। साथ ही श्रमिकों को ईएसआई के लाभों से भी वंचित रखा गया है। खण्डेलवाल ने इन सभी मामलो की सीबीआई से जांच करवाने की मांग की है, जिससे दोषियों पर कार्यवाही हो सके एवं अस्थाई श्रमिकों को ईएसआई सुविधा का लाभ भी मिल सके।
खण्डेलवाल ने इस बारे में जानाकरी देते हुए बताया कि शिकायत पर कार्यवाही पीएफ विभाग के क्षेत्रीय आयुक्त-1 सौरभ जगाती ने स्कवायड हैड पंकज कुमार की जांच रिपोर्ट पर जयपुर नगर निगम के आयुक्त को आदेश दिये हैं कि अस्थाई श्रमिकों की पीएफ राशि के पेटे बकाया रुपए 22 करोड़ 94 लाख 85 हजार 16 रुपए 15 दिन में पीएफ विभाग में जमा कराएं। ऐसा नहीं होने की स्थिति में निगम के कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम 1952 की धारा 8 के तहत कार्यवाही की जाएगी, जिसके तहत नोटिस की मियाद की अवधि में राशि जमा नहीं कराए जाने पर खातों की सीज किया जाना, सम्पंत्ति से वसूली किया जाना और जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ अभियोजन की कार्यवाही की जा सकती है।
गौरतलब है कि पूर्व मेयर ने इस मामले में 5 जून 2014 को पीएफ विभाग में शिकायत दी थी, जिसमें उन्होंने बताया कि निगम में कार्यरत श्रमिकों का पीएफ जमा नहीं करवाया जा रहा है, जिसकी जांच करवाकर कार्यवाही की जाए। शिकायत के आधार पर पीएफ विभाग द्वारा नगर निगम जयपुर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रहरी प्रोटेकशन सिस्टम प्राईवेट लिमिटेड, प्रहरी सिक्योरिटी एवं डिटेक्टिव सर्विस, अमित एन्टरप्राईजेज, बीआर एन्टरप्राईजेज, बलवीर डिटेक्टिव, सहारा एक्स सर्विसमेन वेलफेयर काॅपरेटिव सोसायटी, महावीर कंस्ट्रक्शन और छोटेलाल विरेन्द्र कुमार जैन को नोटिस जारी किया गया। इसके बाद धारा 7 ए के तहत कार्यवाही शुरू की गई।
खण्डेलवाल ने बताया कि निगम के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी, वित्तीय सलाहकार, स्वास्थ्य अधिकारी व ठेकेदारों ने मिलकर 4 हजार से अधिक श्रमिकों के 22 करोड रुपए से अधिक की हेराफेरी की है, जिसके कारण श्रमिक सामाजिक लाभों से वंचित हो गये और उनका शोषण किया गया। इस वजह से वे ठीक ढंग से कार्य नहीं कर सके और इसका खामियाजा जयपुर की जनता को भुगतना पडा। जयपुर शहर में ढंग से साफ-सफाई नहीं हो सकी। इससे डेंगू, मलेरिया, चिकगुणिया इत्यादि घातक बीमारियों से जयपुर की जनता को दोचार होना पड़ा। खण्डेलवाल ने बताया कि उनके कार्यकाल में स्वयं ने सीबीआई व एसीबी में शिकायत की थी, किन्तु इसकी विस्तृत जांच नहीं की गई। इस पूरे प्रकरण में निष्पक्ष सीबीआई जांच होना आवश्यक है।
ज्योति खण्डेलवाल ने यह भी बताया कि जयपुर नगर निगम के अधिकारियों एवं ठेकेदारों ने सेवाकर विभाग व ईएसआई विभाग के अधिकारियों से भी मिलीभगत कर राजकोष को नुकसान पहुचाया है साथ ही ईएसआई विभाग एवं सेवाकर विभाग में भी निगम से इन मदों में पैसा वसूलने के बावजूद जमा नहीं करवाया गया है। साथ ही श्रमिकों को ईएसआई के लाभों से भी वंचित रखा गया है। खण्डेलवाल ने इन सभी मामलो की सीबीआई से जांच करवाने की मांग की है, जिससे दोषियों पर कार्यवाही हो सके एवं अस्थाई श्रमिकों को ईएसआई सुविधा का लाभ भी मिल सके।