अनोखी शादी, नेत्रहीन शालिनी ने की श्री कृष्ण से शादी
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भोपाल। मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में एक नेत्रहीन युवती ने भगवान श्रीकृष्ण के गले में वरमाला डालकर गंधर्व विवाह कर उनके साथ शादी रचाई। इस अनोखी शादी के बाद 22 वर्षीय शालिनी ने इंसान की जगह भगवान श्रीकृष्ण से शादी कर मीरा बन गई। धूम धाम से हुई इस शादी के हजारों लोग साक्षी बने।
जिले के दिगौड़ा कस्बे में यहां की 22 साल की नैत्रहीन शालिनी विदुआ ने माखन चोर श्री कृष्ण से शादी रचा कर इतिहास रच दिया। आज दोपहर दिगौड़ा नगर के किले से बारात का शुभारम्भ हुआ, जिसमें कृष्ण भगवान दूल्हा बने। बैंड बाजों के साथ हजारों बारातियों के साथ बारात पूरे नगर में घूमने के बाद शालिनी के द्वार पहुंची, जहां पर वैवाहिक रस्मों के साथ जयमाला कार्यक्रम के साथ विवाह संपंन्न हुआ, जिसमें दुल्हन बनी शालिनी ने कृष्ण भगवान को वर माला पहनाई गई।
इसके बाद मण्डप के नीचे पांव पखराई और मण्डप की रस्मे पूरी हुई। इस दौरान हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे। गौरतलब है कि इससे पूर्व साढ़े 4 सौ साल पहले चित्तौड़गढ़ में मीरा ने कृष्ण से मानसिक शादी की थी। लेकिन शालिनी ने आलैकिक शादी कर भगवान श्रीकृष्ण को अपना पति मान लिया है, वो भी धूमधाम के साथ। इस शादी के लिए हदी और मण्डप की रस्मों से लेकर पूरी शादी की रम्में पूरी होने के वादा श्रीकृष्ण से शादी हो रही है।
शालिनी कहती है कि मेरे तो सब कुछ कृष्ण है और मैनें उन्हीं से प्यार किया है और उन्हीं से शादी कर रही हूं। इस शादी से वह बहुत खुश है, इस शादी से जहां परिजन खुश हैं, वहीं गांव के लोगों में भी अति उत्साह है। भोपाल से विवाह कराने आये शास्त्री जी का कहना है कि यह परम्परा सदियों से चली आ रही है और इसे गंधर्व विवाह कहते हैं।
जिले के दिगौड़ा कस्बे में यहां की 22 साल की नैत्रहीन शालिनी विदुआ ने माखन चोर श्री कृष्ण से शादी रचा कर इतिहास रच दिया। आज दोपहर दिगौड़ा नगर के किले से बारात का शुभारम्भ हुआ, जिसमें कृष्ण भगवान दूल्हा बने। बैंड बाजों के साथ हजारों बारातियों के साथ बारात पूरे नगर में घूमने के बाद शालिनी के द्वार पहुंची, जहां पर वैवाहिक रस्मों के साथ जयमाला कार्यक्रम के साथ विवाह संपंन्न हुआ, जिसमें दुल्हन बनी शालिनी ने कृष्ण भगवान को वर माला पहनाई गई।
इसके बाद मण्डप के नीचे पांव पखराई और मण्डप की रस्मे पूरी हुई। इस दौरान हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे। गौरतलब है कि इससे पूर्व साढ़े 4 सौ साल पहले चित्तौड़गढ़ में मीरा ने कृष्ण से मानसिक शादी की थी। लेकिन शालिनी ने आलैकिक शादी कर भगवान श्रीकृष्ण को अपना पति मान लिया है, वो भी धूमधाम के साथ। इस शादी के लिए हदी और मण्डप की रस्मों से लेकर पूरी शादी की रम्में पूरी होने के वादा श्रीकृष्ण से शादी हो रही है।
शालिनी कहती है कि मेरे तो सब कुछ कृष्ण है और मैनें उन्हीं से प्यार किया है और उन्हीं से शादी कर रही हूं। इस शादी से वह बहुत खुश है, इस शादी से जहां परिजन खुश हैं, वहीं गांव के लोगों में भी अति उत्साह है। भोपाल से विवाह कराने आये शास्त्री जी का कहना है कि यह परम्परा सदियों से चली आ रही है और इसे गंधर्व विवाह कहते हैं।