आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने आयोजित की 21वीं वार्षिक कॉन्फ्रेन्स 'प्रदन्या-2016'
https://khabarrn1.blogspot.com/2016/10/IIHMR-university-organizes-21st-Annual-Conference-Pradanya-2016.html
जयपुर। हैल्थ केयर रिसर्च संस्थान आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने अपनी 21वीं वार्षिक कॉन्फ्रेन्स 'प्रदन्या-2016' का आज शुभारंभ किया। इस दो दिवसीय कॉन्फ्रेन्स का उद्घाटन मुख्य अतिथि आईआईएचएमआर युनिवर्सिटी के चेयरमैन डॉ. एस. डी गुप्ता ने विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. विवेक भण्डारी तथा अन्य गणमान्य लोगों की उपस्थिति में किया। हैल्थ केयर क्षेत्र की वर्तमान चुनौतियां, जो एसडीजीएस के सदर्भ में 'स्मार्ट हैल्थ केयर फॉर इण्डिया' इस महत्वपूर्ण विषय के लिए यह कॉन्फ्रेन्स एक मंच प्रदान करेगी।
इस अवसर पर यूनिवर्सिटी चेयरमैन डॉ. एस.डी. गुप्ता ने भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत में 5 हजार से भी अधिक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 25 हजार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं। पूरे भारत में कुल मिला कर 1.25 लाख स्वास्थ्य केन्द्र हैं, जो विश्व में सबसे बड़ी स्वास्थ्य प्रणाली कही जा सकती है। देश मेंं 5 लाख लोग स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत हैं। निजी एवं सार्वजनिक अस्पतालों की बैड्स की संख्या एक मिलियन के आस-पास है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन ने भारत की स्वास्थ्य प्रणालियों में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है, क्यों कि इससे हम मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम कर पाए हैं।
उन्होंने कहा कि, 'हाल ही के वर्षों में प्रजनन दर को 2.3 प्रतिशत कमी आई है। टीबी और एचआईवी से होने वाली मौतों में कई गुणा कमी आई है। भारत में असंक्रमणकारी रोगों का डर अधिक है, जैसे डेंगू और जिका वायरस। क्योंकि ये काफी तेज गति से फैल रहे हैं। भारत में 9 लाख से भी अधिक चिकित्सक हैं तथा भारी वित्तीय संसाधन हैं लेकिन वित्त और मानव संसाधनों दोनों का ही पूरा दोहन नहीं हो पा रहा है।'
वहीं यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष डॉ. विवेक भण्डारी ने कहा कि हैल्थकेयर के क्षेत्र में स्थायित्व विकास एक बड़ी चुनौती है, जिसे हम हैल्थकेयर को प्रबन्धित कर तथा गुणवत्ता में अभिवृद्धि कर हासिल कर सकते हैं तथा हैल्थकेयर प्रणाली के भावी विकास का दृष्टिकोण विकसित कर सकते हैंं। इसके लिए हमें स्वास्थ्य सुविधाओं को सुलभ बनाने का प्रयास करना होगा। यहां तक कि सुदूर इलाको को भी इसमें शामिल करना होगा तथा इसके लिए हमें मानव संसाधनों के साथ ही वित्तपोषण भी प्राप्त कर इसे कुशलता के साथ प्रबन्धित करना होगा।
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इस अवसर पर यूनिवर्सिटी चेयरमैन डॉ. एस.डी. गुप्ता ने भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत में 5 हजार से भी अधिक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 25 हजार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं। पूरे भारत में कुल मिला कर 1.25 लाख स्वास्थ्य केन्द्र हैं, जो विश्व में सबसे बड़ी स्वास्थ्य प्रणाली कही जा सकती है। देश मेंं 5 लाख लोग स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत हैं। निजी एवं सार्वजनिक अस्पतालों की बैड्स की संख्या एक मिलियन के आस-पास है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन ने भारत की स्वास्थ्य प्रणालियों में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है, क्यों कि इससे हम मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम कर पाए हैं।
उन्होंने कहा कि, 'हाल ही के वर्षों में प्रजनन दर को 2.3 प्रतिशत कमी आई है। टीबी और एचआईवी से होने वाली मौतों में कई गुणा कमी आई है। भारत में असंक्रमणकारी रोगों का डर अधिक है, जैसे डेंगू और जिका वायरस। क्योंकि ये काफी तेज गति से फैल रहे हैं। भारत में 9 लाख से भी अधिक चिकित्सक हैं तथा भारी वित्तीय संसाधन हैं लेकिन वित्त और मानव संसाधनों दोनों का ही पूरा दोहन नहीं हो पा रहा है।'
वहीं यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष डॉ. विवेक भण्डारी ने कहा कि हैल्थकेयर के क्षेत्र में स्थायित्व विकास एक बड़ी चुनौती है, जिसे हम हैल्थकेयर को प्रबन्धित कर तथा गुणवत्ता में अभिवृद्धि कर हासिल कर सकते हैं तथा हैल्थकेयर प्रणाली के भावी विकास का दृष्टिकोण विकसित कर सकते हैंं। इसके लिए हमें स्वास्थ्य सुविधाओं को सुलभ बनाने का प्रयास करना होगा। यहां तक कि सुदूर इलाको को भी इसमें शामिल करना होगा तथा इसके लिए हमें मानव संसाधनों के साथ ही वित्तपोषण भी प्राप्त कर इसे कुशलता के साथ प्रबन्धित करना होगा।
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