व्यय सुधारों के तहत वित्त मंत्रालय ने जारी किए नए नियम
https://khabarrn1.blogspot.com/2016/08/Ministry-of-Finance-issued-new-rules-under-expenditure-reform.html
नई दिल्ली। सार्वजनिक वित्तपोषित योजनाओं के दक्ष तरीके से आकलन तथा मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय ने व्यय सुधारों के तहत नए नियम जारी किए हैं। उम्मीद की जा रही है कि इससे नागरिकों को वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति में सुधार होगा। इसके अलावा मंत्रालय ने अब मंत्रियों को 500 करोड़ रुपए तक के व्यय प्रस्तावों को मंजूर करने का अधिकार दे दिया है। अभी यह सीमा 150 करोड़ रुपए है।
वित्त मंत्रालय ने आज जारी एक बयान में कहा कि वृद्धि आधारित पारिस्थितिकी तंत्र बनाने को, वित्तीय प्रक्रियाएं और प्रणालियां कोष आवंटन जितनी ही महत्त्वपूर्ण हैं। इसमें कहा गया है कि वित्त मंत्रालय के तहत व्यय विभाग ने 5 अगस्त को व्यापक दिशा—निर्देश जारी किए हैं। ये दिशा—निर्देश सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित योजनाओं और परियोजनाओं के आकलन तथा मंजूरी के बारे में हैं।
बयान में कहा गया है कि बजट 2016-17 में 12वीं योजना के अंत तक योजना, गैर योजना के बीच भेद को समाप्त करने की घोषणा की गई है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि योजना, गैर योजना के लिए एक निरपेक्ष आकलन व मंजूरी प्रणाली हो।
बयान में कहा गया कि इसी के अनुरूप व्यय विभाग ने पिछले तीन दशकों के दौरान जारी निर्देशों की व्यापक समीक्षा की है और इन्हें सुगम ढांचे से बदला है। इससे हमारी प्रणाली में योजनाओं और परियोजनाओं के आकलन तथा मंजूरी की दक्षता में उल्लेखनीय सुधार होगा।
क्रियान्वयन करने वाले मंत्रालय को अपनी संबंधित स्थाई वित्त समितियों और प्रदत्त निवेश बोर्डों के जरिये 500 करोड़ रुपए तक की परियोजनाओं और योजनाओं के मूल्यांकन का अधिकार दिया गया है। निर्णय प्रक्रिया के तेजी से आकलन के लिए विशेष समयसीमा तय की गई है।
बयान में कहा गया कि संशोधित दिशा-निर्देश आगे की सोच वाले हैं और इनसे विभागों को ऐसी रूपरेखा के तहत अपनी योजनाओं के पुनर्गठन में मदद मिलेगी, जो योजना, गैर योजना के बीच भेद से स्वतंत्र होगी।
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वित्त मंत्रालय ने आज जारी एक बयान में कहा कि वृद्धि आधारित पारिस्थितिकी तंत्र बनाने को, वित्तीय प्रक्रियाएं और प्रणालियां कोष आवंटन जितनी ही महत्त्वपूर्ण हैं। इसमें कहा गया है कि वित्त मंत्रालय के तहत व्यय विभाग ने 5 अगस्त को व्यापक दिशा—निर्देश जारी किए हैं। ये दिशा—निर्देश सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित योजनाओं और परियोजनाओं के आकलन तथा मंजूरी के बारे में हैं।
बयान में कहा गया है कि बजट 2016-17 में 12वीं योजना के अंत तक योजना, गैर योजना के बीच भेद को समाप्त करने की घोषणा की गई है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि योजना, गैर योजना के लिए एक निरपेक्ष आकलन व मंजूरी प्रणाली हो।
बयान में कहा गया कि इसी के अनुरूप व्यय विभाग ने पिछले तीन दशकों के दौरान जारी निर्देशों की व्यापक समीक्षा की है और इन्हें सुगम ढांचे से बदला है। इससे हमारी प्रणाली में योजनाओं और परियोजनाओं के आकलन तथा मंजूरी की दक्षता में उल्लेखनीय सुधार होगा।
क्रियान्वयन करने वाले मंत्रालय को अपनी संबंधित स्थाई वित्त समितियों और प्रदत्त निवेश बोर्डों के जरिये 500 करोड़ रुपए तक की परियोजनाओं और योजनाओं के मूल्यांकन का अधिकार दिया गया है। निर्णय प्रक्रिया के तेजी से आकलन के लिए विशेष समयसीमा तय की गई है।
बयान में कहा गया कि संशोधित दिशा-निर्देश आगे की सोच वाले हैं और इनसे विभागों को ऐसी रूपरेखा के तहत अपनी योजनाओं के पुनर्गठन में मदद मिलेगी, जो योजना, गैर योजना के बीच भेद से स्वतंत्र होगी।
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