हिंगौनिया गौशाला के लिए हाईकोर्ट ने जारी किए दिशा-निर्देश
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जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने हिंगौनिया गौशाला में बडी संख्या में हो रही गायों की मौत पर चिंता जताते हुए राज्य सरकार और नगर निगम को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके साथ ही अदालत ने एसीबी के एडीजी को निर्देश दिए हैं कि वह प्रकरण में हो रही जांच की स्वयं मॉनिटरिंग करे ओर अदालत में प्रगति रिपोर्ट पेश करें। न्यायाधीश महेश चन्द्र शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश जागो जनता सोसायटी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
बुधवार को सुनवाई के दौरान प्रमुख स्वायत्त शासन सचिव मंजीतसिंह, प्रमुख यूडीएच सचिव मुकेश शर्मा, आईजी एमएन दिनेश, निगम आयुक्त हेमंत गेरा, जिला कलक्टर, एसीबी एडीजी और पशुपालन निदेशक सहित अन्य अधिकारी अदालत में पेश हुए। जिन्हें अदालत ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि निगम में हो रहे भ्रष्टाचार के कारण गायों की सही देखभाल नहीं हो रही है। लगता है कि गौशाला गौवध शाला बन रही है।
अदालत ने निगम आयुक्त को निर्देश दिए हैं कि वे गौशाला में बने बाडों का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए उनमें सुविधाएं विकसित करें और आठ नए बाडों का निर्माण किया जाए। इसके अलावा चारे की कमी को दूर करने के लिए कम से कम दो सौ बीघा भूमि पर चारा उगाया जाए। अदालत ने कहा कि मृत गायों से होने वाले संक्रमण को रोकने के लिए खड्डों में नमक डलवाएं।
अदालत ने जिला कलक्टर, पुलिस आयुक्त और निगम को आदेश दिए हैं कि कि शहर में किसी भी सूरत में प्लास्टिक थैलियों का उपयोग नहीं हो। इसके अलावा थैलियों से होने वाली गंदगी को साफ कराएं। अदालत ने कलक्टर को कहा है कि वे इनका प्रयोग रोकने के लिए कदम उठाएं।
अदालत ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को भी निर्देश दिए हैं कि वे प्लॉस्टिक की थैलियों के रोकथाम के लिए जागृति फैलाने का काम करें। अदालत ने स्वायत्त शासन विभाग को कहा है कि वह पशुपालन विभाग से समन्वय कर गौशाला में चिकित्सकों की सुचारू व्यवथा करें। अदालत ने आईजी दिनेश एमएन को कहा है कि गायों की मौत के कारणों का पता लगाकर अदालत में रिपोर्ट दें। वहीं अदालत ने कलक्टर को कहा है कि वह ड्रोन के माध्यम से गौशाला और उसके आधा किलोमीटर की परिधि में वीडियो रिकॉर्डिंग कराए।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता और कोर्ट कमिश्नर की ओर से कहा गया कि यदि अदालती आदेशों की पालना हो जाती तो इतनी संख्या में गायों की मौत नहीं होती। उन्होंने कहा कि थैलियों के उपयोग को प्रतिबंधित करते हुए गौशाला में करीब बीस हजार गायों के रहने की व्यवस्था की जाए। वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि गायों की मौत को लेकर सरकार काफी गंभीर है। सरकार ने अभियान चलाकर 82 हजार किलोग्राम से अधिक थैलियों को जब्त किया है।
सुनवाई के दौरान स्वायत्त शासन सचिव की ओर से कहा गया कि तीन माह में बाडों को कवर्ड कर निर्माण पूरा कर दिया जाएगा। इसके अलावा चौबीस घंटे गौशाला में चिकित्सकों को तैनात किया जाएगा। वहीं निगम आयुक्त ने अदालत को आश्वस्त किया कि 32 ट्यूबवेल को एक माह में चालू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही पन्द्रह दिन में आईसीयू को आरंभ किया जाएगा, जिस पर अदालत ने दिशा-निर्देश जारी करते हुए मामले की सुनवाई 17 अगस्त को रखी है।
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बुधवार को सुनवाई के दौरान प्रमुख स्वायत्त शासन सचिव मंजीतसिंह, प्रमुख यूडीएच सचिव मुकेश शर्मा, आईजी एमएन दिनेश, निगम आयुक्त हेमंत गेरा, जिला कलक्टर, एसीबी एडीजी और पशुपालन निदेशक सहित अन्य अधिकारी अदालत में पेश हुए। जिन्हें अदालत ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि निगम में हो रहे भ्रष्टाचार के कारण गायों की सही देखभाल नहीं हो रही है। लगता है कि गौशाला गौवध शाला बन रही है।
अदालत ने निगम आयुक्त को निर्देश दिए हैं कि वे गौशाला में बने बाडों का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए उनमें सुविधाएं विकसित करें और आठ नए बाडों का निर्माण किया जाए। इसके अलावा चारे की कमी को दूर करने के लिए कम से कम दो सौ बीघा भूमि पर चारा उगाया जाए। अदालत ने कहा कि मृत गायों से होने वाले संक्रमण को रोकने के लिए खड्डों में नमक डलवाएं।
अदालत ने जिला कलक्टर, पुलिस आयुक्त और निगम को आदेश दिए हैं कि कि शहर में किसी भी सूरत में प्लास्टिक थैलियों का उपयोग नहीं हो। इसके अलावा थैलियों से होने वाली गंदगी को साफ कराएं। अदालत ने कलक्टर को कहा है कि वे इनका प्रयोग रोकने के लिए कदम उठाएं।
अदालत ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को भी निर्देश दिए हैं कि वे प्लॉस्टिक की थैलियों के रोकथाम के लिए जागृति फैलाने का काम करें। अदालत ने स्वायत्त शासन विभाग को कहा है कि वह पशुपालन विभाग से समन्वय कर गौशाला में चिकित्सकों की सुचारू व्यवथा करें। अदालत ने आईजी दिनेश एमएन को कहा है कि गायों की मौत के कारणों का पता लगाकर अदालत में रिपोर्ट दें। वहीं अदालत ने कलक्टर को कहा है कि वह ड्रोन के माध्यम से गौशाला और उसके आधा किलोमीटर की परिधि में वीडियो रिकॉर्डिंग कराए।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता और कोर्ट कमिश्नर की ओर से कहा गया कि यदि अदालती आदेशों की पालना हो जाती तो इतनी संख्या में गायों की मौत नहीं होती। उन्होंने कहा कि थैलियों के उपयोग को प्रतिबंधित करते हुए गौशाला में करीब बीस हजार गायों के रहने की व्यवस्था की जाए। वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि गायों की मौत को लेकर सरकार काफी गंभीर है। सरकार ने अभियान चलाकर 82 हजार किलोग्राम से अधिक थैलियों को जब्त किया है।
सुनवाई के दौरान स्वायत्त शासन सचिव की ओर से कहा गया कि तीन माह में बाडों को कवर्ड कर निर्माण पूरा कर दिया जाएगा। इसके अलावा चौबीस घंटे गौशाला में चिकित्सकों को तैनात किया जाएगा। वहीं निगम आयुक्त ने अदालत को आश्वस्त किया कि 32 ट्यूबवेल को एक माह में चालू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही पन्द्रह दिन में आईसीयू को आरंभ किया जाएगा, जिस पर अदालत ने दिशा-निर्देश जारी करते हुए मामले की सुनवाई 17 अगस्त को रखी है।
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