प्रेमी के चक्कर में बेदर्द बनी मां, इकलौती बेटी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर
https://khabarrn1.blogspot.com/2016/03/a-mother-became-unrelenting-over-the-affair-with-lover.html
चुरू (राकेश पंवार)। महज दस साल की एक मासूम बच्ची, जिससे उसकी बेदर्द मां और शराबी पिता ने अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए ऐसा मुंह मोड़ा कि इस बच्ची को दर-दर की ठोकरें खाने के लिए लावारिस छोड़ दिया। शराबी पिता, शराब के नशे में इस कदर डूब चुका है कि उसको अपना ही होश नहीं और बच्ची की मां, एक युवक के प्रेमजाल में ऐसी उलझी कि उसने अपनी ही कोख से जन्मी बेटी से मां कहने का अधिकार भी छीन लिया।
इतना ही नहीं, उस दस साल की मासूम द्वारा अगर गलती से भी 'मां' कह दिया जाता तो उसके साथ अपनी ही मां के हाथों मार-पीट की जाती और दवाब बनाया जाता कि उसे वह 'आन्टी' कहे। अपने दूध का रिश्ता भूल चुकी मां से जब मासूम का मां कहना बर्दाश्त नहीं हुआ, तो उसे सोते हुए दर-दर की ठोकरें खाने के लिए ट्रेन में छोड दिया गया।
यह दास्तां है पालम में रहने वाली उस दस साल की बच्ची की, जो लावारिस हालत में सादुलपुर रेलवे स्टेशन पर पुलिस को सोती हुई मिली। सादुलपुर पुलिस ने बच्ची को चूरू के बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया, जहां से समिति ने बच्ची को अस्थायी बालिका आश्रय गृह भेज दिया। एनजीओ द्वारा जिला मुख्यालय स्थित बालिका आश्रय गृह में अपनी जिन्दगी के दिन काट रही यह मासूम अपनों के ही जुल्मों का शिकार हुई है।
दिल्ली के पालम में रहने वाली इस मासूम को पहले तीसरी कक्षा में अपनी पढाई छोड़नी पडी और फिर मां-बाप की बेरूखी के चलते घर-बार भी छूट गया। सादुलपुर पुलिस को यह बच्ची सादुलपुर रेलवे स्टेशन पर लावारिस हालत में मिली, बच्ची पालम की रहने वाली है, उसे अपनों के द्वारा उस समय लावारिस छोड दिया गया, जबकि उसे गुडगांव ले जाने की बात कहकर ट्रेन में अकेले को सोते हुए छोड दिया गया। सादुलपुर पुलिस ने बालिका को बाल कल्याण समिति चूरू में पेश किया।
समिति अध्यक्ष सन्तोष मासूम ने पूछताछ के बाद उसे बालिका आश्रय गृह भिजवा दिया। बालिका ने बताया कि उसकी मां अपने प्रेमी के साथ रह रही है और आये दिन उसके साथ मारपीट की जाती थी। बालिका की मां चाहती है कि उसे 'मॉ' नहीं बोला जाये, बल्कि मौसी या आन्टी कहा जाये। इन्हीं बातों को लेकर बच्ची को मारा-पीटा जाता।
अपनी ही मां के जुल्मों का शिकार हुई यह बालिका अपनी मां के पास जाना नहीं चाहती है। बच्ची के परिजनों को बुलाया भी गया, लेकिन उनके पास दस्तावेजी साक्ष्य नहीं होने के कारण उनके साथ नहीं भेजा जा सका।
इतना ही नहीं, उस दस साल की मासूम द्वारा अगर गलती से भी 'मां' कह दिया जाता तो उसके साथ अपनी ही मां के हाथों मार-पीट की जाती और दवाब बनाया जाता कि उसे वह 'आन्टी' कहे। अपने दूध का रिश्ता भूल चुकी मां से जब मासूम का मां कहना बर्दाश्त नहीं हुआ, तो उसे सोते हुए दर-दर की ठोकरें खाने के लिए ट्रेन में छोड दिया गया।
यह दास्तां है पालम में रहने वाली उस दस साल की बच्ची की, जो लावारिस हालत में सादुलपुर रेलवे स्टेशन पर पुलिस को सोती हुई मिली। सादुलपुर पुलिस ने बच्ची को चूरू के बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया, जहां से समिति ने बच्ची को अस्थायी बालिका आश्रय गृह भेज दिया। एनजीओ द्वारा जिला मुख्यालय स्थित बालिका आश्रय गृह में अपनी जिन्दगी के दिन काट रही यह मासूम अपनों के ही जुल्मों का शिकार हुई है।
दिल्ली के पालम में रहने वाली इस मासूम को पहले तीसरी कक्षा में अपनी पढाई छोड़नी पडी और फिर मां-बाप की बेरूखी के चलते घर-बार भी छूट गया। सादुलपुर पुलिस को यह बच्ची सादुलपुर रेलवे स्टेशन पर लावारिस हालत में मिली, बच्ची पालम की रहने वाली है, उसे अपनों के द्वारा उस समय लावारिस छोड दिया गया, जबकि उसे गुडगांव ले जाने की बात कहकर ट्रेन में अकेले को सोते हुए छोड दिया गया। सादुलपुर पुलिस ने बालिका को बाल कल्याण समिति चूरू में पेश किया।
समिति अध्यक्ष सन्तोष मासूम ने पूछताछ के बाद उसे बालिका आश्रय गृह भिजवा दिया। बालिका ने बताया कि उसकी मां अपने प्रेमी के साथ रह रही है और आये दिन उसके साथ मारपीट की जाती थी। बालिका की मां चाहती है कि उसे 'मॉ' नहीं बोला जाये, बल्कि मौसी या आन्टी कहा जाये। इन्हीं बातों को लेकर बच्ची को मारा-पीटा जाता।
अपनी ही मां के जुल्मों का शिकार हुई यह बालिका अपनी मां के पास जाना नहीं चाहती है। बच्ची के परिजनों को बुलाया भी गया, लेकिन उनके पास दस्तावेजी साक्ष्य नहीं होने के कारण उनके साथ नहीं भेजा जा सका।