भगवान राम के खिलाफ महिला उत्पीड़न के मामले में यूं चली सुनवाई
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पटना। बिहार के सीतामढ़ी जिले के पेशे से वकील चंदन सिंह की ओर से दर्ज करवाए गए मामले में भगवान राम को महिला उत्पीड़न का आरोपी बनाए जाने वाले मामले में आज सुनवाई करते हुए ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट श्याम बिहारी ने संबंधित फाइल को देखा और इसके बाद उन्होंने एडवोकेट चंदन सिंह के पूछा कि उन्होंने त्रेता युग की इस घटना को लेकर केस किया क्यों है? इसके जवाबी में वकील चंदन सिंह ने दलील दी कि इससे वे माता सीता को न्याय दिलाना चाहते हैं।
वकील चंदन सिंह ने कहा कि माता सीता का कोई कसूर नहीं था, फिर भी भगवान राम ने उन्हें जंगल में क्यों भेजा। कोई पुरुष अपनी पत्नी को इतनी बड़ी सजा आखिर कैसे दे सकता है। भगवान राम ने यह सोचा भी नहीं कि घनघोर जंगल में माता सीता अकेली कैसे रहेगी।
जज के सवाल पर वकील चंदन ने कहा कि मैंने माता सीता को न्याय दिलाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है और मैं अदालत से सीता जी के लिए न्याय की भीख मांगता हूं। मैंने अपने केस में रामायण से घटनाओं का विवरण लिया है। दलील सुनने के बाद जज ने कुछ देर विचार किया और कहा कि इस केस पर बाद में फैसला होगा।
वकील चंदन सिंह ने कहा कि माता सीता का कोई कसूर नहीं था, फिर भी भगवान राम ने उन्हें जंगल में क्यों भेजा। कोई पुरुष अपनी पत्नी को इतनी बड़ी सजा आखिर कैसे दे सकता है। भगवान राम ने यह सोचा भी नहीं कि घनघोर जंगल में माता सीता अकेली कैसे रहेगी।
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मामले में सुनवाई करते हुए मजिस्ट्रेट ने कहा कि इस मामले में आखिर गवाही कौन देगा, किसे पकड़ा जाएगा और आखिर में किसके खिलाफ कार्रवाई की। जाएगी। उन्होंने पूछा कि इस केस में यह भी नहीं बताया गया है कि भगवान श्रीराम ने सीताजी को किस दिन घर से निकाला था।जज के सवाल पर वकील चंदन ने कहा कि मैंने माता सीता को न्याय दिलाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है और मैं अदालत से सीता जी के लिए न्याय की भीख मांगता हूं। मैंने अपने केस में रामायण से घटनाओं का विवरण लिया है। दलील सुनने के बाद जज ने कुछ देर विचार किया और कहा कि इस केस पर बाद में फैसला होगा।