किशोर न्याय कानून की धारा 77 को मिली अंतरराष्ट्रीय सराहना

Maneka Gandhi, Section 77 of Juvenile Justice Act 2015, तंबाकू उत्पाद, मेनका गांधी
जयपुर। देश में 15 जनवरी 2016 से लागू हुए किशोर न्याय कानून 2015 की धारा 77 कहती है, “जो भी व्यक्ति बच्चों को तंबाकू उत्पाद देता है या देने का कारण बनता है, उसे सश्रम कारावास की सजा होगी, जिसकी अवधि सात साल तक बढाई जा सकती है और उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा, जिसकी राशि एक लाख रूपए तक हो सकती है।” इसके साथ ही भारत इस तरह का कानून बनाने वाला दुनिया का पहला राष्ट्र बन गया है, जिसकी सभी जगह सराहना की जा रही है।

अंतरराष्ट्रीय जन स्वास्थ्य समूह मेनका गांधी के इस नए प्रयास के लिए उनकी सराहना कर रहे हैं। इस प्रयास को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण समुदाय में पहले से ही एक बदलाव के कारक के रूप में देखा जा रहा है। इस कानून के साथ, भारत पूरे विश्व में एकमात्र ऐसा देश बन गया है, जिसने नाबालिगों को तंबाकू उपलब्ध करवाने के लिए इतनी कडी सजा का प्रावधान किया है।

दक्षिण-पूर्व एशिया तंबाकू नियंत्रण गठबंधन (एसईएटीसीए) के एफसीटीसी कार्यक्रम निदेशक ई.यू. डोरोथेओ ने इस संशोधन को, हमारे युवाओं को तंबाकू की भयावह लत से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और अभूतपूर्व कदम माना है। डोरोथेओ ने इसे एक ऐसी उत्कृष्ट मिसाल बताया है, जिसे दूसरे देशों को भी अपनाना चाहिए।

यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क हेसलिंग्टन में तंबाकू सेक्शन (तपेदिक और फेफडे संबंधित रोगों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय संघ) के अध्यक्ष डॉ कामरान सिद्दीकी ने यॉर्क में गांधी को मुबारकबाद देते हुए कहा, तंबाकू विरोधी समुदाय आपके दूरदर्शी नेतृत्व से प्रेरणा लेगा। मैं उम्मीद करता हूं कि अन्य सरकारें भी इन्हीं पदचिन्हों पर चलेंगी और हमारी भावी पीढियों को इस बुराई से बचाएंगी।”

पाकिस्तान के आगा खां विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण गठबंधन के अध्यक्ष जावेद ए. खान ने कहा, “भारत से एक अच्छा उदाहरण लेते हुए हमारा संगठन पाकिस्तान सरकार से इस देश में भी ऐसा करने का अनुरोध कर रहा है।” वहीं तुर्की में स्वास्थ्य संस्थान संघ के प्रोफेसर अलिफ दाग्ली ने इसे एक आदर्श नेतृत्व का साहसी कदम करार दिया है।

भारत में, कई राज्यों में पुलिस भी बहुत उत्साह दिखा रही है। गुडगांव के पुलिस आयुक्त नवदीप सिंह विर्क ने स्वस्थ हरियाणा अभियान के उदघाटन के हालिया समारोह में किशोर न्याय कानून 2015 में हुए हाल ही के संशोधन का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह कानून सीओटीपीए (सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद कानून) से ज्यादा सख्त है। सीओटीपीए में सिर्फ 200 रूपए का जुर्माना था। हर पुलिस चौकी में जेजे कानून के तहत कार्रवाई करने के लिए अधिकारी पहले से मौजूद हैं।

सीओटीपीए कानून में धाराएं हैं, जो कि बच्चों को सुरक्षा प्रदान करती हैं। सीओटीपीए कानून की धारा चार सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान को प्रतिबंधित करके, बच्चों को दूसरों के धूम्रपान (सेकेंड हैंड स्मोक) का शिकार बनने से बचाती है। इसकी धारा छह (ए व बी) 18 साल से कम उम्र वाले व्यक्ति को और शैक्षणिक संस्थानों की बाहरी दीवार से 100 यार्ड तक के दायरे के भीतर तंबाकू उत्पाद बेचने पर प्रतिबंध लगाती है। हालांकि सीओटीपीए कानून के तहत सजाएं कमजोर हैं लेकिन इनसे जेजे कानून के जरिए उबरा गया है। जेजे कानून के तहत सात साल तक की कैद हो सकती है।

तंबाकू नियंत्रण की पुरोधा डॉ मीरा आघी ने कहा, “यह कानून मानव स्वास्थ्य पर पडने वाले तंबाकू के हानिकारक प्रभावों को रेखांकित करता है और इसके साथकृसाथ यह तंबाकू उद्योग की उस भयावह व्यवस्था पर भी गौर करता है, जो कि कमजोर बच्चों को अपने नए ग्राहकों के तौर परनिशाना बनाते हैं। हम तंबाकू की बढती बुराई पर काबू  पाने की दिशा में इस कानून को एक महत्वपूर्ण सुधार के तौर पर देखते हैं और हम इसकी सराहना करते हैं।”

तंबाकू नियंत्रण कार्यकर्ता संजय सेठ ने कहा, बिक्री में गिरावट के डर और मीडिया में आईं खराब खबरों ने तंबाकू उद्योग को अपने उत्पादों को बच्चों के बीच प्रचारित करने के नए तरीके ढूंढने के लिए प्रेरित किया है। जेजे कानून “बच्चों को तंबाकू उत्पाद देने का कारण बनने वालों“ को भी अभियोजन के दायरे में लाता है। ऐसे में यह एक बडे अवरोधक के रूप में काम करेगा और बच्चों की सुरक्षा में मददगार साबित होगा। ”अध्ययन दिखाते हैं कि यदि कोई व्यक्ति नाबालिग होने के दौरान तंबाकू का सेवन नहीं शुरू करता है तो इस बात की संभावना कहीं ज्यादा है कि वह पूरे जीवन तंबाकू का सेवन नहीं करेगा।”

टाटा मेमोरियल अस्पताल के प्रोफेसर और सर्जन डा. पंकज चतुर्वेदी बतातें है कि इससे पहले का का कानून जिसे सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद 2003 कोटपा के नाम से जाना जाता था, वह छोटे बच्चों के बीच मादक पदार्थों की बिक्री पर रोक लगाने में पूरी तरह विफल रहा क्योंकि इसके तहत किया जाने वाला जुर्माना सिर्फ 200 रुपए था।  इस बार मेनका गांधी के अथक प्रयासों की सराहना करने की जरूरत है क्योकि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तंबाकू समुदाय में इसे परिवर्तनकारी के रूप में पहले से ही  देख जा रहा है।

डा.चतुर्वेदी बतातें है कि वैश्विक व्यस्क तंबाकू सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में तंबाकू सेवन की आदत की शुरूआती उम्र 17 साल है। वैश्विक युवा तंबाकू सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 20 प्रतिशत तक बच्चे तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं। 5500 से ज्यादा बच्चे, किशोर तंबाकू का सेवन जल्दी ही शुरू कर देते हैं।

गौरतलब है कि वर्ष 2009 में आठवीं, नवीं और दसवीं कक्षा के छात्रों के बीच किए गए स्कूल आधारित सर्वेक्षण भारत वैश्विक युवा तंबाकू सर्वेक्षण (जीवाईटीएस) में यह रेखांकित किया गया कि इस समय 14.6 प्रतिशत छात्र किसी ने किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। हर पांच में से एक छात्र ऐसे घर में रहता है, जहां दूसरे लोग धूम्रपान करते हैं, एक चौथाई छात्रों में माताकृपिता में से कोई एक व्यक्ति धूम्रपान करता है। चूंकि तंबाकू सेवन का कोई सुरक्षित स्तर नहीं है, ऐसे में तंबाकू उत्पाद से उपभोक्ता सुरक्षा तंबाकू के इस्तेमाल को पूरी तरह बंद करके ही उत्कृष्ट ढंग से हो सकती है।

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