सामाजिक मुद्दों पर बोलने के बजाय फिल्मों से देता हूँ अपनी राय : राजकुमार हिरानी
https://khabarrn1.blogspot.com/2016/01/rajkumar-hirani-gives-his-opinion-with-the-films-on-social-issues.html
नई दिल्ली। मुन्नाभाई, 3 ईडियट्स, पीके जैसी फिल्मों से समाज में फैली विभिन्न व्यवस्थाओं तथा अंधविश्वासों पर कटाक्ष करने वाली फिल्में बनाने के लिए पहचाने जाने वाले फिल्म निर्माता-निर्देशक राजकुमार हिरानी का कहना है कि सामाजिक मुद्दों को लेकर वह अपनी फिल्मों के माध्यम से अपनी राय सबके बीच में रखते हैं।
हिरानी ने कहा, 'मैं बोलने वक्त बहुत सतर्क रहता हूं, क्योंकि मैं नहीं जानता कि मेरी बातों को कैसे लिया जाएगा, इसलिए मैं बोलना पसंद नहीं करता। क्योंकि अगर हम कुछ भी कहते हैं तो लोग सोशल मीडिया पर हमें कोसना शुरू कर देते हैं। आमिर खान के साथ भी यही हुआ, असहिष्णुता के मुद्दे पर उनकी बात को अलग ढंग से लिया गया।' इसी कारण हिरानी अपनी फिल्मों के माध्यम से अपनी बात कहते हैं।
हिरानी ने कहा, 'ऐसी बात जब बाहर जाती है तो उसकी सच्चाई जाने, परखे बिना पूरा देश उसे वैसे ही ले लेता है। मीडिया जो लिखता है, लोग वही समझते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि मीडिया इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार है। आमिर के साथ यह ठीक नहीं हुआ, क्योंकि उन्होंने देश के लिए काफी अच्छा किया है।'
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि उनकी फिल्में देश को बदल पाएंगी, लेकिन उन्हें यह जरूर लगता है कि उनकी फिल्में कुछ लोगों में तो अवश्य बदलाव ला पाएंगी। 'मुन्नाभाई', 'पीके' या '3 इडियट्स' में मनोरंजन के साथ दिए गए उनके संदेश को दर्शकों ने बेहद पसंद किया है।
हिरानी ने कहा, 'कोई भी अगर अच्छी फिल्म देखता है या अच्छी किताब पढ़ता है तो वह उससे प्रभावित होता है और इसी प्रकार बदलाव आता है। मेरी फिल्मों को देखने के बाद काफी छात्रों ने मुझसे अपने विचार साझा किए। वे कहते हैं कि 'पीके' एक बेहतरीन फिल्म थी और उससे लोगों के विचारों में बदलाव आया है।
फिल्म ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर किया कि हम धर्म के नाम पर क्यों लड़ रहे हैं?' हालांकि समाज के एक अन्य वर्ग ने 'पीके' को पसंद नहीं किया, क्योंकि उन्हें ऐसा लगा था कि इसमें हिंदू धर्म का अपमान किया गया है। हिरानी ने इसका जिम्मेदार भी मीडिया के कुछ लोगों को बताया और उससे भी बढ़ कर सोशल मीडिया को इसके लिए जिम्मेदार बताया।
हिरानी ने कहा, 'मैं बोलने वक्त बहुत सतर्क रहता हूं, क्योंकि मैं नहीं जानता कि मेरी बातों को कैसे लिया जाएगा, इसलिए मैं बोलना पसंद नहीं करता। क्योंकि अगर हम कुछ भी कहते हैं तो लोग सोशल मीडिया पर हमें कोसना शुरू कर देते हैं। आमिर खान के साथ भी यही हुआ, असहिष्णुता के मुद्दे पर उनकी बात को अलग ढंग से लिया गया।' इसी कारण हिरानी अपनी फिल्मों के माध्यम से अपनी बात कहते हैं।
हिरानी ने कहा, 'ऐसी बात जब बाहर जाती है तो उसकी सच्चाई जाने, परखे बिना पूरा देश उसे वैसे ही ले लेता है। मीडिया जो लिखता है, लोग वही समझते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि मीडिया इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार है। आमिर के साथ यह ठीक नहीं हुआ, क्योंकि उन्होंने देश के लिए काफी अच्छा किया है।'
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि उनकी फिल्में देश को बदल पाएंगी, लेकिन उन्हें यह जरूर लगता है कि उनकी फिल्में कुछ लोगों में तो अवश्य बदलाव ला पाएंगी। 'मुन्नाभाई', 'पीके' या '3 इडियट्स' में मनोरंजन के साथ दिए गए उनके संदेश को दर्शकों ने बेहद पसंद किया है।
हिरानी ने कहा, 'कोई भी अगर अच्छी फिल्म देखता है या अच्छी किताब पढ़ता है तो वह उससे प्रभावित होता है और इसी प्रकार बदलाव आता है। मेरी फिल्मों को देखने के बाद काफी छात्रों ने मुझसे अपने विचार साझा किए। वे कहते हैं कि 'पीके' एक बेहतरीन फिल्म थी और उससे लोगों के विचारों में बदलाव आया है।
फिल्म ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर किया कि हम धर्म के नाम पर क्यों लड़ रहे हैं?' हालांकि समाज के एक अन्य वर्ग ने 'पीके' को पसंद नहीं किया, क्योंकि उन्हें ऐसा लगा था कि इसमें हिंदू धर्म का अपमान किया गया है। हिरानी ने इसका जिम्मेदार भी मीडिया के कुछ लोगों को बताया और उससे भी बढ़ कर सोशल मीडिया को इसके लिए जिम्मेदार बताया।