शराबबंदी की मांग पर अनशन कर रहे गुरूशरण छाबड़ा का निधन
https://khabarrn1.blogspot.com/2015/11/gurusharan-chhabra-passes-away.html
जयपुर। प्रदेश में शराबबंदी और सशक्त लोकायुक्त कानून बनाए जाने की मांग को लेकर पिछले 33 दिन से आमरण अनशन कर रहे जनता पार्टी के पूर्व विधायक गुरूशरण छाबड़ा का आज तड़के साढ़े चार बजे एसएमएस अस्पताल में निधन हो गया है।
गौरतलब है कि छाबडा 69 वर्ष के थे और वे 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर सूरतगढ़ से विधायक चुनें गए थे। उन्होंने गोकुलभाई भट्ट के साथ मिलकर प्रदेश में शराब बंदी को लेकर आंदोलन चलाया था। उनके निधन के बाद सामाजिक संगठनों, राजनीतिक पार्टियों सहित समाजसेवा, शैक्षाणिक जगत से जुड़े लोगों में शोक की लहर छा गई है।
छाबडा ने शराबबंदी और लोकायुक्त कानून की मांग को लेकर 1 अप्रेल से 15 मई 2014 तक 45 दिन के अनशन के बाद सरकार ने उनके साथ किए गए समझौते में एक साल में मांगे मानने का लिखित में आश्वासन दिया था। लिखित समझौते के तहत सरकार की तरफ से गठित समिति को एक साल में सशक्त लोकायुक्त कानून को लेकर सिफारिश देने थी।
एक साल बीत जाने के बाद भी सरकार की तरफ गठित कमेटी ने न तो सिफारिश दी और न ही प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्रवाई हुई। सरकार के इस रूख से नाराज छाबडा ने 2 अक्टूबर को अनशन शुरु कर दिया था।
छाबडा के निधन पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ,विधायक डॉ.किरोडीलाल मीणा ,पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह सहित कई नेताओं ने शोक जताया है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने संवेदना संदेश में कहा कि एक निष्ठुर एवं संवेदनहीन सरकार के रहते छाबड़ा की जीवन लीला समाप्त हो गई। काश एक बार भी मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे छाबडा से सम्पर्क कर समझाइश की कोशिश की होती और अनशन समाप्त करने के लिए उनसे अपील की होती तो शायद उनके प्राणों को बचाया जा सकता था।
वहीं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने छाबड़ा के निधन को दुखद और अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि उनको बचाने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन आज सुबह साढ़े चार बजे ह्रदय गति रुकने से उनका निधन हो गया। उनके इलाज के लिए 7 चिकित्सकों के बनाए गए मेडिकल बोर्ड ने उन्हे कल देर रात गुडग़ाव के मेंदात अस्पताल में भर्ती कराने की बात कही थी, लेकिन आज तड़के सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। राठौड़ ने उनक सच्चा समाजसेवक और पथप्रदर्शक बताया।
गौरतलब है कि छाबडा 69 वर्ष के थे और वे 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर सूरतगढ़ से विधायक चुनें गए थे। उन्होंने गोकुलभाई भट्ट के साथ मिलकर प्रदेश में शराब बंदी को लेकर आंदोलन चलाया था। उनके निधन के बाद सामाजिक संगठनों, राजनीतिक पार्टियों सहित समाजसेवा, शैक्षाणिक जगत से जुड़े लोगों में शोक की लहर छा गई है।
छाबडा ने शराबबंदी और लोकायुक्त कानून की मांग को लेकर 1 अप्रेल से 15 मई 2014 तक 45 दिन के अनशन के बाद सरकार ने उनके साथ किए गए समझौते में एक साल में मांगे मानने का लिखित में आश्वासन दिया था। लिखित समझौते के तहत सरकार की तरफ से गठित समिति को एक साल में सशक्त लोकायुक्त कानून को लेकर सिफारिश देने थी।
एक साल बीत जाने के बाद भी सरकार की तरफ गठित कमेटी ने न तो सिफारिश दी और न ही प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्रवाई हुई। सरकार के इस रूख से नाराज छाबडा ने 2 अक्टूबर को अनशन शुरु कर दिया था।
छाबडा के निधन पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ,विधायक डॉ.किरोडीलाल मीणा ,पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह सहित कई नेताओं ने शोक जताया है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने संवेदना संदेश में कहा कि एक निष्ठुर एवं संवेदनहीन सरकार के रहते छाबड़ा की जीवन लीला समाप्त हो गई। काश एक बार भी मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे छाबडा से सम्पर्क कर समझाइश की कोशिश की होती और अनशन समाप्त करने के लिए उनसे अपील की होती तो शायद उनके प्राणों को बचाया जा सकता था।
वहीं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने छाबड़ा के निधन को दुखद और अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि उनको बचाने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन आज सुबह साढ़े चार बजे ह्रदय गति रुकने से उनका निधन हो गया। उनके इलाज के लिए 7 चिकित्सकों के बनाए गए मेडिकल बोर्ड ने उन्हे कल देर रात गुडग़ाव के मेंदात अस्पताल में भर्ती कराने की बात कही थी, लेकिन आज तड़के सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। राठौड़ ने उनक सच्चा समाजसेवक और पथप्रदर्शक बताया।