कम वस्त्रों से नहीं, संस्कारों से है भारतीयता का परिचय : साध्वी ऋतम्भरा
https://khabarrn1.blogspot.com/2015/10/give-your-introduction-by-sacraments-said-rithambara.html
जयपुर। एसएमएस इन्वेस्टमेंट ग्राउड़ में आयोजित 'हिन्दू स्प्रिच्युअल एण्ड सर्विस फेयर' के समापन के अवसर पर देश की कई यातनाम शख्सियतों ने शिरकत की। फेयर के अंतिम दिन परमवीर वंदन कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि जनरल वी के सिंह थे।
समापन समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में साध्वी ऋतम्भरा, सोमगिरी महाराज, शनि उपासक दाती महाराज, उतम स्वामी महाराज, एचएसएस आयोजन समिति के अध्यक्ष सुभाष बापना, लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ढिल्लौ एवं सत्यनारायण समेत कई लोग शामिल थे।
इस अवसर साध्वी ऋतम्भरा ने कहा कि जीवन की सार्थकता सेवा में ही है। जीवन को अपने लिए नहीं अपनो के लिए जीना है। उन्होंने कहा कि वात्सल्य को समझना है तो भारत की कोख से जन्म लेना पड़ेगा। जो तप और साधना से ही संभव हो सकता है।
साध्वी ऋतम्भरा ने देश की महिलाओं को आह्वान किया कि अपना परिचय कम वस्त्रों से नहीं दे, बल्कि भारतीय संस्कारों से दें। उन्होंने पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि जिस भारत में देवियों की पूजा होती है, उसी भारत में बेटियों को कोख में ही क्यों मार दिया जाता है?
जनरल वी के सिंह ने कहा कि हमारे देश को सही मायने में समझने वाले बहुत कम लोग है। वर्तमान में जो भी भ्रांतिया है, वह 1857 से उत्पन हुई। राष्ट्रवादी ताकत संघ, भारतीय जनता पार्टी की चेष्टा, सभी को इकट्ठा करना है। हमें अपने धर्म की श्रेष्ठता को पहचानना होगा। सेना के लोग धर्म की एकता पर विश्वास करते हैं।
इस अवसर पर 21 परमवीर चक्र विजेताओं का सम्मान किया गया। स्कूली बच्चों द्वारा राष्ट्रभक्ति गीतों पर रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति दी।
समापन समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में साध्वी ऋतम्भरा, सोमगिरी महाराज, शनि उपासक दाती महाराज, उतम स्वामी महाराज, एचएसएस आयोजन समिति के अध्यक्ष सुभाष बापना, लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ढिल्लौ एवं सत्यनारायण समेत कई लोग शामिल थे।
इस अवसर साध्वी ऋतम्भरा ने कहा कि जीवन की सार्थकता सेवा में ही है। जीवन को अपने लिए नहीं अपनो के लिए जीना है। उन्होंने कहा कि वात्सल्य को समझना है तो भारत की कोख से जन्म लेना पड़ेगा। जो तप और साधना से ही संभव हो सकता है।
साध्वी ऋतम्भरा ने देश की महिलाओं को आह्वान किया कि अपना परिचय कम वस्त्रों से नहीं दे, बल्कि भारतीय संस्कारों से दें। उन्होंने पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि जिस भारत में देवियों की पूजा होती है, उसी भारत में बेटियों को कोख में ही क्यों मार दिया जाता है?
जनरल वी के सिंह ने कहा कि हमारे देश को सही मायने में समझने वाले बहुत कम लोग है। वर्तमान में जो भी भ्रांतिया है, वह 1857 से उत्पन हुई। राष्ट्रवादी ताकत संघ, भारतीय जनता पार्टी की चेष्टा, सभी को इकट्ठा करना है। हमें अपने धर्म की श्रेष्ठता को पहचानना होगा। सेना के लोग धर्म की एकता पर विश्वास करते हैं।
इस अवसर पर 21 परमवीर चक्र विजेताओं का सम्मान किया गया। स्कूली बच्चों द्वारा राष्ट्रभक्ति गीतों पर रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति दी।
