राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह में पदक व उपाधियां की वितरित

अजमेर। राज्यपाल कल्याण सिंह ने युवाओं का आव्हान करते हुए कहा कि वे “उठो, जागो और आकाश को छू लो“ आज विश्वभर में भारतीय युवा प्रतिभा का प्र...

अजमेर। राज्यपाल कल्याण सिंह ने युवाओं का आव्हान करते हुए कहा कि वे “उठो, जागो और आकाश को छू लो“ आज विश्वभर में भारतीय युवा प्रतिभा का प्रभाव और प्रसार है। विज्ञान, तकनीकी, आई.टी. और प्रबन्धन के क्षेत्रा में पूरी दुनियां भारत के युवाओं की प्रतिभा और कौशल का वर्चस्व मान रही है। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे इस मौके पर यह संकल्प लें कि वे अपनी पूरी शक्ति और क्षमता के साथ विकास के संवाहक बनेंगे। अपना और अपने परिवार के हित साधन के साथ ही देश और मानवता के सार्थक भी बनेंगे।

राज्यपाल आज अजमेर के महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविश्वविद्यालय के छठे दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने समारोह में  279 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक एवं 561 को शोध उपाधि प्रदान की।

राज्यपाल सिंह ने कहा कि देश की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु वर्ग की है जो विश्व में भारत की एक विशिष्ठ पहचान है। युवा, देश, सोच, ऊर्जा एवं स्फूर्ति के साथ विकास के पथ पर निरन्तर आगे बढ़ रहे हैं। देश का वर्तमान और भविष्य इसी युवा शक्ति पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि युवा संकल्प करके जुट जाएं तो सब कुछ हांंिसल करना सम्भव है।

उन्होंने कहा कि सच्ची शिक्षा वही है जो सभी तरह की संकीर्णताओं, सीमाओं, अज्ञान, भय और संदेह, निराशा और अवसाद जैसे सभी प्रकार के बंधनों से मुक्त करके अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाये। विद्या एक अपूर्व कोष है। इसीलिए हमारे यहां कहा गया है कि “सा विद्या या विमुक्तये“ । शिक्षा का मुख्य लक्ष्य व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास है। जीविका का उपार्जन शिक्षा का सहवर्ती लक्ष्य है।  उपाधि प्राप्त करना मात्र ही शिक्षा का उद्देश्य नही है  अपितु शिक्षा का सही और सार्थक लक्ष्य है अपने को पहचानना, व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करना, जीवन में अनुशासन का पालन करना, स्वयं में आत्मबल पैदा करना और चरित्रा का निर्माण करना । किताबी शिक्षा से काम नहीं चलेगा।

उन्होंने इस बात पर दुखः प्रकट किया कि आजकल अक्सर देखा जाता है कि बच्चे और युवा लोग बहुत जल्दी ही प्रतिकूल स्थितियों में अवसादग्रस्त हो जाते हैं। इसीलिए आत्मविश्वास तथा सकारात्मक सोच रखना बहुत जरूरी है।

कुलाधिपति ने युवाओं को सलाह दी कि वे आत्मनिर्भर और स्वालम्बी बनने का प्रयास करें। कुछ अपना स्वयं का उद्यम स्थापित करें, जिससे आपके उत्कर्ष की संभावनाएं खुलें और देश के विकास को नई गति मिले। कुछ नया प्रयोग करें, कुछ नया खोजे और तलाशें।

उन्होंने शिक्षकों से भी कहा कि उन्हें पूरी निष्ठा और समर्पण से अध्यापन के साथ विद्यार्थियों को शास्वत जीवन मूल्यों और चरित्रा निर्माण की पे्ररणा देनी चाहिए। महात्मा गांधी ने पे्ररणादायक शिक्षकों को राष्ट्र निर्माण का पुरोधा माना था। डाॅ. राधाकृष्णन्न ने भी चरित्रा से ही किसी राष्ट्र के गौरव का निर्माण होना बताया था।

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के कुलपति को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने दीक्षान्त समारोह में भारतीय परम्परा को शुरू कर यहां की संस्कृति से जुड़ी डेªस कोड प्रारम्भ की है। पुराने समय के गाउन, टोपी गुलामी का प्रतीक है जिसे समाप्त किया जाना चाहिए। हमें भारतीयता पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आगामी नवम्बर माह में वे राज्य के सभी कुलपतियों का सम्मेलन बुलाकर भारतीय डेªस कोड पर निर्णय लेंगे और पुरानी पद्धति को समाप्त करेंगे। उन्होंने छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि 80 प्रतिशत छात्राओं ने आज पदक और उपाधियां अर्जित की है। उन्होंने छात्रों को सलाह दी की वे छात्राओं से प्रेरणा लें।

राज्यपाल ने उच्च शिक्षा मंत्री कालीचरण सर्राफ को बधाई दी की उन्होंने विश्वविद्यालय के शिक्षकों के रिक्त पदों को शीघ्र भरने की कार्यवाही शुरू करने को कहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के पद रिक्त नहीं रहने चाहिए। उन्होंने सभी छात्र-छात्राओं को सलाह दी की वे अपने गांव, कस्बे और शहर के मौहल्ले से दूर नही जाएं । सामाजिक सरोकार को जिन्दा रखें।

राज्यपाल सिंह ने कहा कि राजस्थान में जल की कमी है। हमें जल, ऊर्जा, पर्यावरण और वन संरक्षण की तरफ ध्यान देना है। भारतीय शिक्षा पद्धति में देश के सामाजिक परिवेश, सांस्कृतिक गौरव, राष्ट्रीय भावना एवं भारतीय जीवन मूल्यों का समावेश और समायोजन करने की जरूरत है।  

कुलाधिपति ने प्रसन्नता व्यक्त की कि महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय शोध को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रहा है । यहां “सिन्धु“ और “पृथ्वीराज चैहान“ शोध पीठ पुनः प्रारम्भ की गई है। उन्होंने कुलपति से कहा कि संविधान निर्मात्राी सभा के अध्यक्ष डाॅ. अम्बेडकर के बहु आयामी व्यक्तित्व पर शोध के लिए भी यहां उनके नाम से एक पीठ की स्थापना की जाए और उसके संचालन के लिए यह विश्वविद्यालय एक करोड़ रूपये की राशि उपलब्ध कराएं।

राज्यपाल ने उपाधि एवं पदक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को अपनी शुभकामना और आर्शीवाद देते हुए कहा कि अजमेर की माटी में धर्म और संस्कृति का अनूठा संगम है। महर्षि दयानन्द सरस्वती ने भारत के प्राचीन गौरव और वेदों की ज्ञान गरिमा के नाम का उद्द्योष पूरे विश्व में फैला दिया वे साक्षात सरस्वती के वरदान स्वरूप थे।


उन्होंने यह भी प्रसन्नता प्रकट की कि इस विश्वविद्यालय ने सामाजिक दायित्व निर्वाह की दिशा में पहल करने के लिए मोहामी गांव को गोद लिया है।
उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री कालीचरण सर्राफ ने कहा कि महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय को आधारभूत सुविधाएं एवं संरचनाओं के लिए रूसा अभियान के तहत शीघ्र ही 30 करोड़ रूपये की राशि मिलेगी। उन्होंने विश्वविद्यालय के रिक्त शिक्षक व कर्मचारियों के पदों की भर्ती के लिए भी शीघ्र कार्यवाही करने को कहा।

 सर्राफ ने दीक्षान्त समारोह में कहा कि शिक्षा व्यक्ति के चरित्रा के निर्माण का आधार है। युवा शक्ति को दिशा देने की आवश्यकता है। उच्च शिक्षा संस्थाओं में 25 सितम्बर को रक्तदान दिवस के रूप में मनाया जाएंगा। पण्डित दीनदयाल उपाध्याय की हाल ही 25 सितम्बर को सम्पन्न जयंती पर 74 स्थानों पर 2052 युवकों द्वारा रक्तदान किया गया।  एक लाख 27 हजार ने रक्तदान हेतु संकल्प पत्रा भरे है। जिनकी डिजिटल डायरी तय की है। महाविद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति बनी रहे इसके लिये बायोमैट्रिक उपस्थिति अनिवार्य की गई है।  75 प्रतिशत से कम उपस्थिति वाले विद्यार्थियों की अभिभावकों को एस.एस.एस. से सूचना दी जाएंगी।

विश्वविद्यालय की कुल सचिव रेणु जयपाल ने दीक्षान्त समारोह की कार्यवाही के बारे में बताया । समारोह का प्रारम्भ दीक्षान्त शोभायात्रा से हुआ।

दीक्षान्त समारोह में राजस्थान लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष डाॅ. ललित के. पंवार, पूर्व सदस्य के.एल. बैरवा, कोटा विश्वविद्यालय के कुलपति पी.के. दशोरा, पुलिस महानिरीक्षक मालिनी अग्रवाल तथा पुष्कर के विधायक सुरेश सिंह रावत, जिला प्रमुख वंदना नोगिया, नगर निगाम के महापौर धर्मेन्द्र गहलोत एवं राज्यपाल के विशेषाधिकारी अजय शंकर पाण्डे भी मौजूद थे। 
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