कार्रवाई में फिसड्डी रोडवेज के उडऩदस्ते
https://khabarrn1.blogspot.com/2015/09/rajasthan-roadways-flying-not-doing-spl-act.html
जयपुर। राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (रोडवेज) में चैकिंग उडऩदस्तों की समीक्षा रिपोर्ट ने इनके कामकाज की पोल-खोल दी है। रोडवेज में राजस्व में भारी रिसाव के बावजूद उडऩदस्ते कार्रवाई में फिसड्डी साबित हो रहे हैं, जिसे देखते हुए बिना टिकट यात्रा कराने वाले परिचालकों और उडऩदस्तों के बीच कुछ गहरा नाता होने का अंदेशा प्रतीत होता दिख रहा है।
राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम में हाल ही में की गई उडऩदस्तों की समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक, रोडवेज के उडऩदस्तों की ओर से बीते एक माह पहले की गई महीनेभर की कार्रवाई का एक उदाहरण ये है कि रोडवेज के 55 उडऩदस्तों ने बिना टिकट यात्रा करने वाले मात्र 468 यात्रियों पर कार्रवाई की गई।
यानी कुल मिलाकर एक उडऩदस्ता प्रतिदिन बिना टिकट यात्री का एक केस भी नहीं बना पाया। इससे लगता है कि या तो रोड़वेज में यात्रा करने वाले सभी यात्री इतने जागरूक हो चुके हैं कि अब वे बिना टिकट लिए यात्रा ही नहीं करते अथवा परिचालकों और उडऩदस्तों के बीच कोई गहरा नाता बनता जा रहा है।
समीक्षा रिपोर्ट में साफ किया गया है कि रोडवेज के उडऩदस्ते कार्रवाई के मामले में बिल्कुल नाकारा हो गए हैं। एक उडऩदस्ता तीन दिन में मात्र एक बिना टिकट यात्री का केस बनाता है। ऐसे में उडऩदस्तों से रोडवेज को किराए की राशि और जुर्माना किए जाने की राशि से भी कोई आय नहीं हो रही है।
ऐसे में अब यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर रोडवेज के इतने बड़े उडऩदस्ते कर क्या रहे हैं।
समीक्षा रिपोर्ट में पिछले साल से की गई तुलनात्मक अध्ययन में भी खास प्रगति नहीं देखी गई है। इसके उलट यदि बेटिकट यात्री या बिना टिकट सामान ले जाने के मामलों से प्राप्त जुर्माना राशि की बात की जाए तो यह राशि पिछले साल की तुलना में कम हो गई है।
मई से जुलाई माह की लगातार दो साल की समीक्षा रिपोर्ट में भी यह साफ है कि रोडवेज में उडऩदस्तों की चैकिंग के कोई अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं। यह भी अपने आप में रोचक है कि एक उडऩदस्ते को 20 बसें चैक करने का लक्ष्य दिया जाता है और उडऩदस्ते का चैकिंग का औसत भी 20 से 22 ही रहता है।
राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम में हाल ही में की गई उडऩदस्तों की समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक, रोडवेज के उडऩदस्तों की ओर से बीते एक माह पहले की गई महीनेभर की कार्रवाई का एक उदाहरण ये है कि रोडवेज के 55 उडऩदस्तों ने बिना टिकट यात्रा करने वाले मात्र 468 यात्रियों पर कार्रवाई की गई।
यानी कुल मिलाकर एक उडऩदस्ता प्रतिदिन बिना टिकट यात्री का एक केस भी नहीं बना पाया। इससे लगता है कि या तो रोड़वेज में यात्रा करने वाले सभी यात्री इतने जागरूक हो चुके हैं कि अब वे बिना टिकट लिए यात्रा ही नहीं करते अथवा परिचालकों और उडऩदस्तों के बीच कोई गहरा नाता बनता जा रहा है।
समीक्षा रिपोर्ट में साफ किया गया है कि रोडवेज के उडऩदस्ते कार्रवाई के मामले में बिल्कुल नाकारा हो गए हैं। एक उडऩदस्ता तीन दिन में मात्र एक बिना टिकट यात्री का केस बनाता है। ऐसे में उडऩदस्तों से रोडवेज को किराए की राशि और जुर्माना किए जाने की राशि से भी कोई आय नहीं हो रही है।
ऐसे में अब यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर रोडवेज के इतने बड़े उडऩदस्ते कर क्या रहे हैं।
समीक्षा रिपोर्ट में पिछले साल से की गई तुलनात्मक अध्ययन में भी खास प्रगति नहीं देखी गई है। इसके उलट यदि बेटिकट यात्री या बिना टिकट सामान ले जाने के मामलों से प्राप्त जुर्माना राशि की बात की जाए तो यह राशि पिछले साल की तुलना में कम हो गई है।
मई से जुलाई माह की लगातार दो साल की समीक्षा रिपोर्ट में भी यह साफ है कि रोडवेज में उडऩदस्तों की चैकिंग के कोई अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं। यह भी अपने आप में रोचक है कि एक उडऩदस्ते को 20 बसें चैक करने का लक्ष्य दिया जाता है और उडऩदस्ते का चैकिंग का औसत भी 20 से 22 ही रहता है।