रोजगार दिलाए, मनोविज्ञान का ज्ञान

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मानव व्यवहार से संबंधित आंकड़े हासिल करने हों या फिर स्कूल, कॉलेज व विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में काउंसलर के रूप में काम करना हो। मनोवैज्ञानिकों की मांग तेजी से बढ़ रही है। यह एक ऐसा विषय है जिसके बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते या फिर यह कहें कि जानना नहीं चाहते। लेकिन यह बात भी सही है कि इस क्षेत्र में अब करियर की अपार संभावनाएं बढ़ती जा रही हैं। समाज सेवा और खेलों के क्षेत्र में भी मनोवैज्ञानिकों की मांग तेजी से बढ़ रही है।

जो लोग मनोविज्ञान के क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं, उनका मिलनसार होना जरूरी है। उनका ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिलना उनके द्वारा मानव व्यवहार की जानकारी हासिल करने के लिए भी जरूरी है। बातचीत का बेहतर अंदाज और दूसरों की बातों को ठीक ढंग से समझने की कला भी बखूबी आनी चाहिए। उनकी जरूरत किसी भी क्षेत्र में पड़ सकती है। इसलिए उनका समसामयिक विषयों की जानकारी रखना भी जरूरी है।

शहरी भागदौड़ भरी जिंदगी और आपाधापी के चलते चिंता, तनाव और अवसाद जैसी परेशानियां तेजी से बढ़ती जा रही हैं। मनोवैज्ञानिकों की जरूरत मानसिक परेशानियों के हल के साथ ही विभिन्न पहलुओं के अध्ययन के लिए भी पड़ती है। यह बात अलग है कि जरूरत के अनुसार यह कई भागों में बंट गया है।

कहां-कहां हैं मौके :

मनोवैज्ञानिकों की जरूरत अब हर क्षेत्र में पडऩे लगी है। जेलों में कैदियों को सुधारने का काम हो या समाज सेवा में जुटे स्वयं सेवी संगठन। हर जगह ऐसे विशेषज्ञों की जरूरत पडऩे लगी है। अब तो कारोबार, प्रबंधन और कर्मचारी संबंधों को लेकर विभिन्न कंपनियां अपने यहां मनोवैज्ञानिकों को मोटे वेतन पर रखने लगी हैं। मनोवैज्ञानिक निजी तौर पर भी अपनी सेवाएं देकर अच्छी कमाई कर सकते हैं। खेल आदि के क्षेत्र में भी विभिन्न टीमों के साथ मनोवैज्ञानिकों की जरूरत पडऩे लगी है। स्पोट्र्स क्लब खिलाडिय़ों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए मनोवैज्ञानिकों की सेवाएं लेते हैं। यहां तक कि विभिन्न देशों की टीमों के साथ भी मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों को रखा जाता है। विभिन्न कंपनियां और सरकारी संस्थान अपने बेहतर कर्मचारियों के चयन के लिए भी इनकी सेवाएं लेती हैं।

शैक्षिक योग्यता :

कई जगह 10 वीं कक्षा के बाद मनोविज्ञान एक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। यहां से इसकी नींव मजबूत की जा सकती है। हालांकि मनोविज्ञान में स्नातक कोर्स करने के लिए अभ्यर्थी का 12 वीं कक्षा पास होना जरूरी है। इसके बाद पोस्ट ग्रेजुएशन और बाद में एमफिल और पीएचडी तक की जा सकती है।

क्या हैं कोर्स के नाम :

बीए इन साइकोलॉजी, बीए ऑनर्स इन साइकोलॉजी, बीएससी इन अप्लायड साइकोलॉजी, पीजी डिप्लोमा इन गाइडेंस एंड काउंसलिंग, पीजी डिप्लोमा इन चाइल्ड साइकोलॉजी केयर एंड मैनेजमेंट, पीजी डिप्लोमा इन क्लिनिकल एंड कम्युनिटी साइकोलॉजी जैसे कोर्स किए जा सकते हैं। वैसे तो सभी विश्वविद्यालय और कई निजी संस्थानों से यह कोर्स किया जा सकता है।

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