त्यौहारी सीजन में मिलावटखोरों की हो रही पौ-बारह
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जयपुर। अब बस एक दिन के बाद रक्षाबंधन का त्यौहार है और लोग इसकी तैयारियों में भी जुट चुके हैं। रक्षाबंधन को लेकर शहर में बाजार भी सज चुके हैं और इसी बाजार में मिठाईयों की दुकानों पर भी मिष्ठानों की खुशबू महकने लगी है, लेकिन इसी महक के साथ मिलावट की बू भी आने लगी है।
त्यौहार के मद्देनजर मिलावटखोरों की भी पौ-बारह हो रही है। मिलावटखोरी के बढ़ते दंश के बावजवूद खाद्य आपूर्ति और स्वास्थ्य विभाग महज सैंपल लेने तक के कार्य में मशगूल दिखाई दे रहा है।
राजधानी जयपुर में बड़े स्तर पर बाजारों में बिक रहा मावा और मिठाईयां कितनी असली है, इसकी जांच नहीं होने से त्यौहार में बहन के प्यार के साथ नकली मावे से बनी मिठाइयां जहर घोलने का काम करने के लिए तैयार है।
पिछले एक वर्ष से स्वास्थ्य विभाग का मिलावटखोरों को लेकर शुद्ध के लिए युद्ध अभियान सुस्त पडऩे के कारण इनका खेल धड़ल्ले से चल रहा है। राजधानी जयपुर में तो त्यौहार का सीजन आते ही एक ओर जहां गली-मोहल्लों में मिठाइयों की फुटकर दुकानें खुलना शुरू हो जाती है, तो दूसरी ओर बड़ी दुकानों में भी मिठाईयों की ब्रिकी कई गुणा बढ़ जाने से मावे की खपत बढ़ जाती है।
ऐसे में सामान्य दिनों के मुकाबले त्यौहार के मौके पर मावे की बढ़ी हुई आपूर्ति आखिर कहां से हो रही है। इसकी जांच नहीं होने से मिलावटखोरी का धंधा बेरोक-टोक चल रहा है। मिलावट के गोरखधंधे पर लगाम कसने के लिए जिम्मेदार स्वास्थ्य विभाग की ओर से सैंपल लेने के अलावा दूसरी कोई जांच नहीं की जा रही है, जिससे मिलावटखोरों की पौ-बारह हो रही है और त्यौहारी मौसम में ये जमकर चांदी कूट रहे हैं।
त्यौहार के मद्देनजर मिलावटखोरों की भी पौ-बारह हो रही है। मिलावटखोरी के बढ़ते दंश के बावजवूद खाद्य आपूर्ति और स्वास्थ्य विभाग महज सैंपल लेने तक के कार्य में मशगूल दिखाई दे रहा है।
राजधानी जयपुर में बड़े स्तर पर बाजारों में बिक रहा मावा और मिठाईयां कितनी असली है, इसकी जांच नहीं होने से त्यौहार में बहन के प्यार के साथ नकली मावे से बनी मिठाइयां जहर घोलने का काम करने के लिए तैयार है।
पिछले एक वर्ष से स्वास्थ्य विभाग का मिलावटखोरों को लेकर शुद्ध के लिए युद्ध अभियान सुस्त पडऩे के कारण इनका खेल धड़ल्ले से चल रहा है। राजधानी जयपुर में तो त्यौहार का सीजन आते ही एक ओर जहां गली-मोहल्लों में मिठाइयों की फुटकर दुकानें खुलना शुरू हो जाती है, तो दूसरी ओर बड़ी दुकानों में भी मिठाईयों की ब्रिकी कई गुणा बढ़ जाने से मावे की खपत बढ़ जाती है।
ऐसे में सामान्य दिनों के मुकाबले त्यौहार के मौके पर मावे की बढ़ी हुई आपूर्ति आखिर कहां से हो रही है। इसकी जांच नहीं होने से मिलावटखोरी का धंधा बेरोक-टोक चल रहा है। मिलावट के गोरखधंधे पर लगाम कसने के लिए जिम्मेदार स्वास्थ्य विभाग की ओर से सैंपल लेने के अलावा दूसरी कोई जांच नहीं की जा रही है, जिससे मिलावटखोरों की पौ-बारह हो रही है और त्यौहारी मौसम में ये जमकर चांदी कूट रहे हैं।